छत्तीसगढ़ी बालगीत
जाड़ के दिन आगे
रचनाकार- प्रीतम साहू
कथरी कमरा साल ओढे,
लदलद जाड़ जनावय जी.
सरसर सरसर हवा धुकत हे
जाड़ के दिन आगे जी.
अघन पुश के जाड़ म संगी,
दांत हर कटकटाथे जी.
मुहु डहर ले कुहरा निकले,
गरम जिनिस सुहाथे जी.
सांझा बिहिनिया सित बरसे,
घाम तापे बर जिवरा तरसे.
चारो कोती कुहरा छागे,
जाड़ मा सब मनखे जडा़गे.
बारे अंगेठा अउ भुर्रि ला,
तभो ले मनखे कांपे जी.
सेटर मफलर साल ओढ़े,
गोरसी मा आगी तापे जी.
जेन घाम हर गरमी म,
सबो ला टोरस लागय जी.
आज जाड़ म उही घाम हर,
सबो ला घाते सुहावय जी.
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मोर बचपन अउ स्कूल
रचनाकार- ऋषि प्रधान
आमा के अमरैय्या मा,
गाँव के माटी- भुइयाँ मा.
खेलत- कूदत रहेन हमन
बोइर तरी के छइहाँ मा.
नीम तरी के छइहाँ मा,
नरवा के डहरिया मा.
कतका हमन नहावन जी,
हमर गाँव नान्हे तरिया मा.
स्कूल जाथन मजा उड़ाथन
अब्बड़ अकन खेलथन जी.
सब्बो झन मिलजुल के रहिथन
अब्बड़ पढथन लिखथन जी.
गुरुजी मन हमन ला पढ़ाथे,
हमन मजा ला करथन जी.
खेल -खेल में जम्मो झन
रंगोली ला भरथन जी.
स्कूल जाबोन रोज हमन
अउ अफसर बन जाबोन जी.
ये भुँइया के सेवा करके
अब्बड़ नाम कमाबोन जी.
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जाड़ अउ कुहरा
रचनाकार- सोमेश देवांगन
कथरी, कमरा, शाल ओढे,
लदलद जाड़ जनावय जी.
सरसर-सरसर हवा धुंकत हे,
जड़काला के दिन आगे जी.
अघन-पुस के जाड़ म संगी,
दाँत हर कटकटाथे जी.
मुँहु डहर ले कुहरा निकले,
गरम जिनिस हर सुहाथे जी.
सँझा बिहिनिया सित बरसे,
घाम तापे बर जिवरा तरसे.
चारो कोती कुहरा छागे,
जाड़ मा सब मनखे जडा़गे.
बारे अँगेठा अउ भुर्री ला,
तभो ले मनखे काँपे जी.
स्वेटर, मफलर शाल ओढ़ के ,
गोरसी मा आगी तापे जी.
जेन घाम हर गरमी मा,
सबो के परान छोड़ावय जी.
आज जाड़ म उही घाम हर,
सबो ला घाते सुहावय जी.
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संविधान
रचनाकार- ब्रीजभान टंडन
बाबा साहब अंबेडकर रहे तै भारत के शान
दलित, शोषित, पीड़ित ला अधिकार दिलाये बर लिखे तै संविधान.
पग पग परिश्रम करे तै
इंसान म इंसानियत जगाये बर
शिक्षा के ज्योति म तन ला तपाये तै
अज्ञानता के कलंक मिटाए बर
संगर्ष करके जीवन में रचे तै भारत में इतिहास
धर्म युद्ध के लड़ाई लड़के कुरीति के करे तै विनाश.
सामाजिक विषमता ला दूर करे बर
समानता के बीड़ा उठाये तै
भर साहस विश्वास के अकेला कदम बढ़ाये तै.
भारत के माटी म जन्म लेके
बढ़ाये तै हमर शान
तोर असन महापुरुष पाके
बढ़गे भारत के सम्मान.
सादा जीवन उच्च विचार रहिस बाबा तोर हथियार
दीन हीन के मसीहा बनके मिटाए तै हमर जीवन के अंधियार
सामाजिक आर्थिक क्षेत्र म लड़ाई लड़के
देश बर देहे तै योगदान.
सौ बार जन्म लेके भी तोर ऋण ल
नई चुका पावय हिन्दुस्तान.
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