चित्र देख कर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी –

हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं

सुधारानी शर्मा द्वारा भेजी गई कहानी

एक ही तरह का जीवन जीते जीते हम बड़बडभी ऊब जाते हैं, फिर बबलू तो बच्चा ही था. मम्मी पापा ने ध्यान दिया कि बबलू बहुत सारा समय अपने मोबाइल गेम, टेलीविजन,गूगल, यूट्यूब में कार्टून देखना, आदि पर लगाता है. अपनी टेबल पर बैठे-बैठे ही सारा समय बिताना, शारीरिक कार्य का बिल्कुल अभाव यही बबलू की दिनचर्या हो गई थी. उसके स्वभाव में परिवर्तन आ रहा था. मम्मी पापा ने बबलू को इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए, अच्छी संदेशपरक ज्ञानवर्धक किताबों का सहारा लिया.

उनके पड़ोस में रहने वाले शर्मा दंपति ने अपने घर के ऊपरी तल पर पुस्तकालय खोला था, जिसमें निःशुल्क किताबों की सुविधा थी. मम्मी पापा बबलू को, शर्मा जी के पुस्तकालय में ले गए. वहाँ पर बबलू ने देखा कि किताबों की दुनिया कितनी रोचक थी. रंग बिरंगी चित्रोंवाली, ज्ञान देने वाली, धार्मिक, सामाजिक, योग की किताबें, अमर चित्र कथा, चंपक, चंदामामा, पराग, टेल मी व्हाई, महापुरुषों की रोचक जीवनियाँ, पिंकी के कार्टून, लोक कथाएँ पञ्चतंत्र,हितोपदेश की कहानियाँ, राजा रानी की कहानियाँ, विक्रम बेताल की कहानियाँ, विज्ञान के आविष्कारों की कहानियाँ. इतनी अच्छी-अच्छी किताबें, बबलू के मन में इतनी उत्सुकता भर गई कि वह हर किताब को जल्दी से जल्दी देखना चाह रहा था. मम्मी पापा से कह रहा था, मम्मी मै इसे भी पढ़ लूँगा.

मम्मी ने कहा, बेटा तुम्हें किताबों से अनमोल खजाना मिल जाएगा, पर पहले तुम्हें अपनी दिनचर्या सुधारनी होगी, अभी तुम योग और कहानियों की किताबें ले जाओ.

सुबह जल्दी उठकर योगाभ्यास करो, क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है और प्रफुल्लित मन से किताबें पढ़ो. तुम्हें अच्छा लगेगा,मन सक्रिय होगा, शरीर में स्फूर्ति आएगी.

इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का उपयोग ठीक है, पर हमेशा उन पर निर्भर रहना ठीक नहीं है. अपने मस्तिष्क का सही उपयोग करो. बबलू के चेहरे पर मुस्कान आ गई उसने कहा मैं किताबों को जरूर पढ़ूँगा,मैं इन्हें अपने साथ लेकर जा रहा हूँ.

मम्मी पापा के साथ ही, शर्मा आंटी के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी.

अनन्या तंबोली द्वारा भेजी गई कहानी

चूहा और कबूतर

एक दिन एक शिकारी ने कबूतर पकड़ने के लिए जाल बिछाया था. और उसमें चारा डाला था. कबूतर बिखरे हुए दाने देखकर खाने के लिए उतर गए. वे दाना खा ही रहे थे कि शिकारी के जाल में सब फँस गए. उन्होंने उड़ने की बहुत कोशिश की लेकिन उड़ नहीं पाए और गुटर गूँ गुटर गूँ की आवाज करने लगे. उनकी आवाज सुनकर आसपास से चूहे उनकी मदद के लिए आ गए. चूहों ने जाल काटना शुरू कर दिया. जाल बहुत बड़ा और मजबूत था लेकिन चूहों ने अपना काम जारी रखा और धीरे-धीरे करके सारा जाल कुतर डाला. सारे कबूतर आजाद हो गए और उन्होंने चूहों को बहुत धन्यवाद दिया.

शिकारी के फैलाए दानों को चूहों ने खा लिया. कबूतर उड़ गए और चूहों का पेट भर गया. इस प्रकार दोनों का लाभ हुआ. और शिकारी देखते ही रह गए.

दूसरों की मदद करने से स्वयं को भी लाभ होता है.

लक्ष्मी तिवारी द्वारा भेजी गई कहानी

कबूतर और चूहा

एक जंगल में एक बहुत बड़ा और ऊँचा पेड़ था जिस पर बहुत सारे कबूतर रहा करते थे. एक दिन जंगल में एक शिकारी आया उसने देखा कि इस पेड़ पर बहुत सारे कबूतर रहते हैं, चलो इस पेड़ के नीचे जाल लगाकर सबको फँसा लिया जाए. शिकारी ने जाल लगाया और अनाज के दाने बिखेर दिए ताकि जब कबूतर आएँ तो जाल में फँस जाएँ. पेड़ पर बैठे कबूतरों में से एक कबूतर ने देखा कि नीचे अनाज के दाने बिखरे हुए हैं और वह खाने चला गया, उसने अपने दोस्तों से भी कहा देखो नीचे अनाज के दाने पड़े हैं आओ मिलकर खाएँगे. उस कबूतर की बात सुनकर सभी कबूतर अनाज को खाने के लिए नीचे आ गए,और जब सब कबूतरों ने अनाज का दाना खाना शुरू किया तो उनके ऊपर शिकारी का बिछाया जाल गिर गया. सारे कबूतर फँस गए. सारे कबूतर डर गए कि अब तो हम सब मारे जाएँगे थोड़ी देर में शिकारी आएगा और हम सब को पकड़ लेगा. उनमें से एक कबूतर बहुत समझदार था' उसने कहा डरो मत, हमें कुछ नहीं होगा हम अब तक अलग-अलग प्रयास कर रहे थे लेकिन हमें कोई परिणाम नहीं मिला. अब हमें एक साथ मिलकर प्रयास करना है और इस जाल को साथ लेकर उड़ना है, अगर हम अलग-अलग प्रयास करते रहेंगे तो कभी जाल से नहीं निकल पाएँगे. चलो हम सब मिलकर उड़ने की कोशिश करते हैं और सभी कबूतरों ने एक साथ उड़ने की कोशिश की. उनकी यह कोशिश रंग लाई और सभी कबूतर जाल लेकर उड़ गए. वह शिकारी रास्ते में ही था, उसने देखा कि सारे कबूतर जाल लेकर उड़ गए. वह सोचने लगा, यह कैसे हो सकता है? जाल तो मैंने बहुत ही अच्छे से लगाया था. सब कबूतर उड़ते उड़ते एक दूसरे से कह रहे थे अब हम इस जाल से बाहर कैसे निकलेंगे? हम उस शिकारी से तो बच गए लेकिन इस जाल से कैसे बचेंगे? समझदार कबूतर ने कहा,चिंता मत करो थोड़ी दूर पर मेरा दोस्त चूहा रहता है हम वहाँ चलते हैं. वह यह जाल जरुर काट देगा और हम आजाद हो जाएँगे. सभी कबूतर वहाँ पर पहुँच गए. चूहे ने जाल काट दिया और सारे कबूतर बहुत खुश हुए. सारे कबूतरों ने उस चूहे का धन्यवाद किया.

श्रीमती वंदिता शर्मा द्वारा भेजी गई कहानी

बहुत समय पहले की बात है कबूतरों ने चूहों की जान बचाई थी. उस समय भी कबूतरों ने अपने एकता का परिचय देते हुए चूहे की जान बचाई थी.

कबूतरों में एक बुजुर्ग कबूतर भी था. वह बहुत समझदार था उसे इंसानों और जानवरों की चाल का अंदाजा पहले ही समझ जाता था. वह हमेशा ही अपने दलों के कबूतरों को आने वाली घटनाओं से सतर्क करता रहता था. उसी जंगल में एक शिकारी आया और उसने कबूतर का शिकार करने ढेर सारे दाने जमीन पर बिखेर दिए.

कबूतरों को यह समझ नहीं थी कि किसी ने उन सभी को पकड़ने के लिए के लिए कुचक्र बना रखा है. वे नासमझ थे उन्हें इंसानों के इस कुचक्र का पता ही नहीं था. वे सभी कबूतर बुजुर्ग कबूतर के मना करने पर भी उनकी बात नहीं सुने. इधर शिकारी बहुत खुश था कि मैं इन सभी कबूतरों को जाल में फंसाकर इन्हें बाजार में बेच दूंगा और ढेर सारे पैसे कमाऊंगा. वे सभी कबूतर मिलकर दाने चुगने के लिए जमीन पर उतर आए और जैसे ही वे दाना चुगने लगे वे सभी कबूतर जाल के अंदर फंस गए. वे जोर जोर से रोने व चिल्लाने लगे. हमें कोई तो बचाओ और हमें इस जाल से आजाद करवाओ. इस कबूतरों की रूदन को पेड़ में बैठा बुजुर्ग कबूतर सुन रहा था. फिर उसे अपने मित्र चूहे की याद आयी और वह मन ही मन सोचने लगा, क्यूं ना आज अपने मित्र चूहे से मदद ली जाए. क्योंकि उसने हम सभी कबूतरों से सौगंध ली थी वक्त आने से आप सभी की मदद जरुर करूंगा तो आज क्यों ना अपने मित्र चूहे से मदद ली जाये.

बुजुर्ग कबूतर उड़ते-उड़ते अपने मित्र चूहे के पास पहुंचा. और हांफते हांफते चूहे से कहा आज मुझे आपके सहयोग की आवश्यकता है. मित्र चूहे ने कहा- क्या हुआ मित्र, इतना हांफ क्यों रहे हो? बुजुर्ग चूहे ने सारी बातें अपने मित्र चूहे को बताई. चूहे ने कहा- घबराओ नहीं, मैं सारे कबूतरों को शिकारी के जाल से आजाद कर दूंगा. उसको अपनी पुरानी बातें याद आ गई जिस प्रकार कबूतरों ने एकता का परिचय देते हुए मेरी जान बचाई थी, आज मैं भी एकता का परिचय देते हुए अपने दोस्तों की मदद जरूर करूंगा और अपने सौगंध को पूरा करूंगा. इस प्रकार अपने सभी मित्र चूहों के साथ कबूतर के पिछे-पिछे सरपट दौड़ लगाते हुए उस जंगल पर पहुंचे, जहां उनके मित्र जाल में फंसे हुए थे. इधर शिकारी ख्याली पुलाव बनाते हुए सपनों की दूनिया में खो गया और उसे नींद आ गई. शिकारी को सोता देख चूहे ने छटपट जाल को कुतर डाला और उन्हें आजाद कर दिया. सभी कबूतर खुश हो गये. चूहों ने कहा अब आप सभी यहाँ से जल्दी से उड़कर अन्यत्र जगह चले जाओ. सभी कबूतरों ने चूहों को धन्यवाद दिया और यह भी साबित कर दिया एकता में ही बल होता है और हमें अपनों से बड़ों का कहना मानना चाहिए.

शिकारी की जब निद्रा खुली तो वह क्या देखता है कि वहां कोई भी कबूतर नहीं है. फिर उसने मन ही मन सोचने लगा एक ना एक दिन मैं इन कबूतरों का शिकार जरूर करूंगा.

तभी अचानक मार्च, 2019 में एक कोरोना नामक बीमारी फैली इंसानों के जान का खतरा फैल गया. उस समय इंसान का स्वतंत्र घुमना बहुत ही मुश्किल हो गया. मनुष्य की जान की रक्षा के लिए लाकडाउन ही एक उचित राह हो गया. सभी मानव जाति घरों के अंदर पिंजरे के माफिक कैद हो गये. और सारे पंछी आजाद हो गये. तभी उस शिकारी को सपने में एक पंछी की रुदन भरा गीत कानों में गुंजने लगा.

पिंजरे के पंछी रे तेरा दर्द ना जाने कोय, तेरा दर्द ना जाने कोय..

इस गाने से उसे इतना पछतावा होने लगा की अपने लोभ के लिए हम एक पंछी को पिंजरे में कैद कर लेते हैं और उनका दर्द नहीं समझते, आज रब ने इसकी ही सजा हमें दी है कि आज हम पिंजरे में कैद है और पंछी आजाद स्वच्छंद वातावरण में घुम रहे हैं. कबूतरों से माफी भी मांगी कि आप सभी मुझे माफ़ कर दे, अब से मैं ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा और आज से तुम सभी पंछियों का मित्र बनकर रहूंगा, कभी तुम्हारा शिकार नहीं करूंगा. आज मैं अपने आपको घर में कैद होकर, आप सभी के दर्द को पहचान लिया और जान लिया.

आज मैं सौगंध खाता हूँ कि अब से मैं कभी भी पंछियों का शिकार नहीं करूंगा. अब वह प्रतिदिन सुबह उठकर पंछियों के लिए दाने और पानी रखता है तथा घायल पंछियों का इलाज भी करने लगा. इस प्रकार वह शिकारी पंछियों की सेवा कर सुखद जीवन व्यतीत करने लगा.

संतोष कुमार कौशिक द्वारा भेजी गई कहानी

साधु से सीख

एक समय कबूतरों का झुंड अपने राजा के नेतृत्व में भोजन की खोज कर रहा था. उसमें से एक कबूतर ने बरगद पेड़ के नीचे चावल के बिखरे हुए कुछ दाने देखे. सभी कबूतर भोजन देखकर प्रसन्न हो उठे और खुशी से उस पेड़ के नीचे दाना चुगने लग गए. उसी समय एक साधु मंदिर में पूजा करने के लिए जाते समय कबूतरों को दाना चुगते हुए देखा. साधु, कबूतरों को देखकर मन ही मन सोचने लगा कि शिकारी कभी भी यहाँ आकर जाल में इन्हें फंसा सकता है इसे बचाने के लिए मुझे ही कुछ करना पड़ेगा. ठीक उसी समय राजा कबूतर साधु को देखकर कहता है, महात्मा जी- महात्मा जी आप मनुष्य जाति को अच्छी-अच्छी बातें बतातें हैं आपके द्वारा कहे हुए बातों पर चलकर उन्हें सुख और आनंद की प्राप्ति होती है. हम लोगों को भी कुछ ऐसी बातें बताओ जो हमारे जीवन में काम आ सके. साधु जी को अवसर मिल ही गया जो उसके हृदय में शिकारी से कबूतरों को बचाने का विचार आया था. साधु कबूतरों से कहता है- तुम सब निडर होकर पेड़ के नीचे दाना चुग रहे हो लेकिन सोचा नहीं होगा कि कब शिकारी तुम लोगों को जाल में फंसा ले इसलिए तुम लोगों को एक मंत्र मैं दे रहा हूँ. उसको समझ कर उसके अनुसार कार्य करोगे तो अपने जीवन में सफल रहोगे. इस मंत्र को अपने जीवन में हमेशा याद रखना. 'एकता में बल है, मिलकर कार्य करने से कोई भी काम आसान हो जाता है.' यह कहकर साधु मंदिर की ओर चले गए.

कुछ क्षड़ पश्चात शिकारी आ कर, झुंड में दाना चुग रहे कबूतर पर बड़ा जाल बिछा देता है. सभी कबूतर पूरी तरह जाल में फंस जाते हैं. सभी कबूतर जाल से निकलने की कोशिश करते हैं लेकिन जाल से निकलने के बजाय और पूरी तरह से फंस जाते हैं. तभी राजा कबूतर को महात्मा की कही बातें याद आती है और वे सभी कबूतर को कहते हैं- 'एकता में बल है, मिलकर कार्य करने से कोई भी काम आसान हो जाता है.' राजा कबूतर के बातों को सुनते ही सभी कबूतर एक साथ जाल को चोंच में पकड़कर उड़ गए. शिकारी सभी कबूतर को उड़ता देखकर आश्चर्य चकित हो गया पर उन्हें पकड़ न सका और कबूतरों का झुंड शिकारी से दूर हो गए. कुछ देर उड़ने के पश्चात वे ऐसी जगह पर पहुँचे जहाँ साधु मंदिर में पूजा कर रहे थे. साधु ने कबूतर को देख कर खुश हो गया क्योंकि उनकी कही हुई बातों को कबूतर ने अपने जीवन में प्रयोग किया. साधु फंसे हुए कबूतर की जाल को काटकर सभी कबूतर को जाल से मुक्त किया. सभी कबूतर ने महात्मा साधु को धन्यवाद दिया.

श्रीमती नारायणी कश्यप द्वारा भेजी गई कहानी

अपना स्वभाव

बात कुछ ऐसी थी कि, खपरी गाँव कि एक गली में कबूतरों का दल और चूहों का दल रहता था। कबूतर रंग - बिरंगे खुबसुरत, जो देखें उसके मन को भा जाती थी और यही खुबसुरती के कारण वह घमंडी स्वभाव की हो गई थी, वह कबूतर अपने खुबसुरती को बयाँ करते थकती नहीं थी, वही पर चूहे सबकी मदद करने वाले नम्र स्वभाव के थे। एक दिन की बात हैं, चूहो का दल और कबूतरों का दल आपस में बात करते चले जा रहे थे। उसी बीच उनके आवाजों की ध्वनि बिल्लियों के कान तक जा पहुँची, इन सभी को देखकर बिल्लियाँ खुश हो गई और सोचने लगे कि आज मेरे और मेरे साथियों की दावत हो जाएगी, यह सोचते हुए बिल्ली अपने साथियों के साथ उनकी ओर कदम बढ़ाने लगी, तभी एक कबूतर ने बिल्लियों को अपनी ओर आते हुए देख लिया, तो उसने अपने साथियों को इशारा कर दिया और वहा से सभी कबूतर भाग खडे हुए, बिना चूहों को बताए। कबूतरों को जाते देख बिल्लियों ने अपनी रफ्तार बढ़ायी। चूहो को जब तक समझ आता कि कबूतर क्यो भाग रही हैं, तब तक वे बिल्लियों के चंगुल में फंस चुके थे, पर फिर भी उन्होनें हिम्मत नहीं हारी और अपनी जान बचाकर भागने में सफल रहें, लेकिन उनका एक साथी चूहा, बिल्ली के गिरफ्त में आ गया और बिल्लियों ने उस एक चूहे को मारकर खा लिया।

चूहों को अपने एक साथी के खोने का बहुत दुख हुआ, पर समय के साथ वे सभी उस दुख को भुलाकर अपने दिनचर्या में जीने लगे।

कुछ दिन बाद कबूतरों का दल घूमते-घूमते गावँ के बाहर नदी की तरफ जा पहुँचे, उसी नदी के पास एक शिकारी शिकार के लिये जाल बिछाए बैठा था, जैसे ही कबूतरों को आते देखा शिकारी ने कबूतरों पर अपना जाल फेक दिया, और सभी कबूतर उस जाल में फंस गई। खुद को जाल में फंसा देख मदद के लिये आवाज लगाए 'बचाओ- बचाओ', चूहो ने कबूतरों की आवाज सुनकर उनके तरफ आए ओर देखा की कबूतर जाल में फंसी हुई हैं, उनको जाल में फंसा हुआ देखकर चूहो ने कबूतरों से कहा तुम सभी जाल सहित यहाँ से भागने की कोशिश करो, चूहो की बात को मानकर सभी कबूतरों जाल सहित वहाँ से भागकर कुछ दूर जाकर अपनी गाँव की बस्ती में पहुँच गई। तब उन चूहो के दल ने कबूतरों के जाल को अपने दाँतो से कुतरकर सभी कबूतरों को जाल से बहार निकाल दिए। चूहे की इस दरियादिली स्वभाव को देखकर कबूतरों अपनी पुरानी बातों को याद करके पछ्तावा हुआ कि उस दिन बिल्लियों को देखकर चूहो को छोडकर केवल अपनी बिल्ली साथियों के साथ वहाँ से भाग गई थी। इसके लिये कबूतरों ने चूहों से माफी माँगी।

आशय - केवल बाहरी खुबसुरती अच्छे स्वभाव को नहीं दर्शाती बल्कि अच्छा स्वभाव बाहरी खुबसुरती को स्वतः दर्शाती हैं।

अगले अंक की कहानी हेतु चित्र

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