अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी –

बबलू की उलझन

bablu

आजकल बबलू बहुत अनमना था. हमेशा गुमसुम रहता, किसी भी काम में उसका मन नहीं लगता. पहले हमेशा किसी न किसी काम में लगा रहता था. कभी पढ़ाई, कभी ड्राइंग, कभी गमलों में लगे पौधों की देखभाल. पर आजकल न जाने उसे क्या हो गया था. तीन चार दिनों से उसकी दिनचर्या बदल गई थी. सुबह देर से सोकर उठना, खाने-पीने में भी कोई रुचि नहीं, न खेलकूद, न पढ़ाई, न ड्राइंग, न बागवानी. दिनभर सुस्त रहना. शुरुआत के एक दो दिनों तक मम्मी पापा ने बबलू के व्यवहार में आए इस परिवर्तन को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया, पर जब तीसरे और चौथे दिन भी बबलू की सुस्ती और अनमनापन खत्म नहीं हुआ तो उन्हें चिंता होने लगी. बबलू से पूछने पर भी कुछ खास समझ में नहीं आया कि आखिर इस उदासी का कारण क्या है.

अंततः चौथे दिन शाम को मम्मी पापा ने आपस में विचार-विमर्श किया और यह समझने की कोशिश की कि बबलू के व्यवहार में आए इस परिवर्तन का कारण क्या हो सकता है और इस स्थिति को कैसे ठीक किया जा सकता है?

देर तक आपस में विचार-विमर्श के बाद उन्हें यह तो समझ में आ गया कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण लंबे समय से बंद पड़े स्कूल और बाहर आना-जाना नहीं होने के कारण घर में रहते रहते बबलू ऊब गया है. पर इस स्थिति को कैसे संभाला जाए और कैसे बबलू को फिर से सक्रिय किया जाए इसका कोई निर्णय वे नहीं कर पा रहे थे.

आखिर में मम्मी ने एक उपाय सोच ही लिया. पर मम्मी- पापा दोनों ही असमंजस में थे कि इस उपाय का कोई लाभ होगा या नहीं? पर कुछ तो करना ही था, अतः उन्होंने यह तय किया कि इस उपाय को आजमा कर देख लिया जाए

इस कहानी को पूरी कर हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई उन्हें हम प्रदर्शित कर रहे हैं.

श्रीमती मंजू साहू द्वारा पूरी की गई कहानी

बबलू के मम्मी-पापा ने एक उपाय सोचा कि बबलू को हम अलग-अलग काम देकर उसकी दिनचर्या को व्यस्त रखे. बबलू के पापा ने बबलू को कहा- बबलू तुम अपने स्कूल के दोस्तों के नाम बताओ. बबलू उत्सुकता से कहा- सोनू, पवन, उमेंद, चेतन, राहुल ये मेरे पक्के दोस्त है.

बबलू की मम्मी ने पुछा- अच्छा बबलू, तुम्हारे सबसे प्रिय शिक्षक कौन है और क्यों? बबलू ने कहा- मुझे विज्ञान की शिक्षिका बहुत पसंद है, क्योंकि विज्ञान शिक्षिका मुझे बहुत ही रोचक व हमारे जीवन में हो रही घटनाओं से अवगत कराती है तथा कारणों को बताती है. इस तरह बबलू से उसकी रोचकता के अनुसार बातें करके बबलू के अंदर रूचि को बाहर निकलता देख, बबलू के मम्मी-पापा नित्य ही इसी तरह प्रश्नों के माध्यम से बबलू के मन को परिवर्तन कर पाए. बबलू के पापा ने बबलू को घर के राशन का समान लाने की जिम्मेदारी दे दी. रोज सुबह बबलू अपने खेतों की सैर करने जाता. इस प्रकार बबलू के मम्मी-पापा ने बबलू को घर के विभिन्न कार्यो से जोड़ रखा, जो बबलू को अच्छा लगने लगा.

प्रीतम कुमार साहू द्वारा पूरी की गई कहानी

बबलू की उकझन दूर करने के लिए मम्मी-पापा ने अगले दिन से ही बबलू के सभी दोस्तों से मिलने की बात सोची और उन्हे पढ़ाई से जोड़ने के लिए अपने घर बुलाया. बबलू के सभी दोस्त अगले दिन सुबह से ही बारी बारी से आने लगे. बबलू अपने सभी दोस्तों से मिल बहुत खुश हुए और बहुत सारी बाते करने लगे. तभी बबलू के मम्मी कहने लगती है. स्कूल बंद है तो क्या हुआ पढ़ाई का अपना अलग महत्व है. पढ़ाई हम लोगो को जारी रखनी चाहिए.

आज से हम सब यही घर में ही आपस मे मिल जुल कर पढ़ाई करेंगे और खेल भी खेला करेंगे. बबलू के सभी दोस्त पढ़ने के लिए सहमत हो गए. बबलू अपने दोस्तों के साथ घर मे खूब पढ़ने लगे और खूब खेलने लगे. बबलू को घर स्कूल सा लगने लगा बबलू को घर का महोल बहुत अच्छा लगने लगा. बबलू के जन्मदिन पर मम्मी पापा ने बबलू के सभी दोस्तों के साथ पिकनिक में जाने का निर्णय लिया.

कोरोनाकाल में स्कूल बंद और बाहर आना जाना बंद होने से घर में रहकर बोर हो गया बबलू अपने सभी दोस्तों के साथ पिकनिक में जन्मदिन की खुशियाँ मनाता है और खुब मजे करता हैं. प्रकृती कि अनुपम छटा झरना को देख आनंदित हुए. हरे भरे पेड़-पौधों को देख मन पुलकित हुए. बबलू की नीरस जिन्दगी में उत्सह का संचार हुआ.

अब बबलू पहले की तरह पढ़ाई करने लगा, पेड़-पौधों की देख-रेख करने लगा, सभी कामों में रुची लेने लगा, इस तरह बबलू की उलझन दूर हुई.

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

स्कूल खुलने पर तैयारी

adhurik

बालोद जिले के ग्राम सांकरा में मन्नूलाल अपने छोटे से परिवार के साथ रहता था. वह स्वयं पढ़ा- लिखा नहीं था. पर वह अपने बेटे जुगनू एवं बेटी रमशीला को पढ़ाना चाहता था. पिछले दो वर्षों से स्कूल और आंगनबाड़ी बंद थे. वह बच्चों को पढने भेज नहीं पा रहा था. उसने आनलाइन पढाई के बारे में सुन रखा था. पर उसके पास स्मार्टफोन नहीं था. वह इंटरनेट का खर्च भी नहीं उठा सकता था. उसकी पत्नी मीराबाई कक्षा पांच तक पढ़ी थी. उसके माता-पिता ने उसकी शादी छोटी उम्र में ही कर दी. शादी के बाद उसकी पढ़ाई छूट गयी.

मन्नूलाल के गाँव सांकरा के प्राथमिक स्कूल में महिला शिक्षिका ने उसे अपनी पत्नी को अंगना म शिक्षा कार्यक्रम के बारे में बताया. इस कार्यक्रम में माताओं को अपने छोटे बच्चों को घर पर रहकर पढ़ाने के लिए तैयार किया जा रहा है. गाँव में बच्चों की पढाई के लिए मोहल्ला कक्षाएं भी शुरू हुई है. मन्नूलाल ने अपने बेटे जुगनू को वहां भेजने का निश्चय किया. इस तरह दोनों बच्चों की पढाई धीरे-धीरे शुरू हो गयी. इतने में मन्नूलाल को पता चला कि सरकार स्कूल खोलने जा रही है. लेकिन प्राथमिक स्कूल खोलने के लिए पालकों को लिखित में सहमति देनी थी. मन्नूलाल सोच में पड़ गया. क्या मेरे लिखने मात्र से सरकार स्कूल खोल देगी?

आगे क्या हुआ होगा, इसके बारे में आप सोचना शुरू करें और इस कहानी को पूरा कर हमें ईमेल से kilolmagazine@gmail.com पर भेज देवें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे. कहानी लिखने के साथ-साथ आप अपने आसपास ऐसे मन्नूलाल और मीराबाई को उनके सपनों को पूरा करने में सहयोग करें.

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