चित्र देख कर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी –

हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं

वाणी मसीह द्वारा भेजी गई कहानी

चिंटू की पहली रेलयात्रा

गर्मियों की छुट्टियाँ थीं. चिंटू के मामाजी आए हुए थे. मामाजी चिंटू को उसकी मम्मी और दीदी के साथ नाना-नानी के पास बिलासपुर ले जाने आए थे. चिंटू बहुत खुश था क्योंकि उसे पहली बार रेलगाड़ी से यात्रा करने का मौका मिला था. चिंटू सभी के साथ जब स्टेशन पहुँचा तो वहाँ का वातावरण देखकर उसे मजा ही आ गया. रेल्वे स्टेशन पर खाने-पीने की चीजों की अनेक दुकानें थीं. चाय, काॅफी, कोल्ड ड्रिंक और न जाने क्या-क्या? पुस्तकों की दुकानों पर लोग अपनी पसंद की पुस्तकें खरीद रहे थे. चिंटू के लिऐ यह एकदम नया अनुभव था, उसने स्टेशन पर घूमते हुए अनेक नई बातों की जानकारी प्राप्त की.

संतोष कुमार कौशिक द्वारा भेजी गई कहानी

भ्रमण

बच्चे खुश थे क्योंकि आज विद्यालय में बालसभा होनी थी.शिक्षक ने बताया था कि आज की बालसभा में सभी बच्चे अपने घूमने फिरने की कहानियाँ सुनाएँगे.

सभी बच्चे अपने भ्रमण किए स्थानों के बारे में बताने को उत्साहित थे.

बाल सभा कार्यक्रम सरस्वती वंदना एवं प्रेरणा गीत के साथ प्रारंभ हुआ. बच्चों ने बारी-बारी से अपने भ्रमण किए स्थानों के बारे में अपने अनुभव बताए. अब पूजा की बारी थी. पूजा कुछ दिन पहले अपने परिवार के साथ रेलवे स्टेशन गई थी. उनके घर कोई मेहमान आने वाले थे. पूजा ने अपना अनुभव बताना शुरू किया

मैं अपने माता-पिता के साथ पहली बार रेलवे स्टेशन गई थी. मुझे पता नहीं था कि रेलवे स्टेशन कैसा होता है? वहाँ क्या-क्या सुविधाएँ होती हैं, टिकट कहाँ से लेते हैं,अपनी गाड़ी की पहचान कैसे करते हैं? यह सब जानने की इच्छा थी. पिताजी ने मुझे इन सभी के बारे में बताया. स्टेशन पहुँचकर हमने प्लेटफॉर्म टिकट लिया. पिताजी ने बताया कि अगर हमारे पास प्लेटफार्म टिकट नहीं होगा तो हमें जुर्माना देना पड़ता है. पिताजी मुझे टिकटघर ले गये. वहाँ गाड़ियों के आने-जाने की समय सारणी लगी हुई थी. कौन सी गाड़ी कब आएगी और कब जाएगी, सब उस पर देख सकते हैं. कर्मचारी गाड़ियों के आने-जाने की घोषणा करते रहते हैं. यात्री इधर-उधर न भटकें,इसलिए पूछताछ कक्ष होता है.

मैंने सारणी में अप-डाउन ट्रेन के बारे में पढ़ा. इसके बारे में मैंने पिताजी से पूछा. पिताजी ने बताया कि सभी ट्रेनों का एक मुख्यालय होता है. जो ट्रेन अपने मुख्यालय से निकलती है अर्थात् मुख्यालय को छोड़ रही है वह डाउन ट्रेन तथा अपने मुख्यालय की ओर जा रही ट्रेन अप ट्रेन होती है.

टिकट लेने से गाड़ी में बैठने तक की प्रक्रिया पिताजी ने मुझे समझाई. रेलवे स्टेशन में मैंने देखा कि वहाँ पुस्तक भंडार,खाने-पीने के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ चाय, काफी, समोसा, कोल्ड ड्रिंक, कुल्फी आदि की दुकाने थी. पिताजी ने समझाया कि स्टेशन की खुली खाद्य सामग्री का सेवन नहीं करना चाहिए.कोई भी खाद्य सामग्री लेनी हो तो बंद पैकेट या बंद डिब्बे में मिलने वाली खाद्य सामग्री का उपयोग कर,खाली पैकेट को डस्टबिन में डालना चाहिए ताकि स्टेशन साफ़-सुथरा रहे. पिताजी ने मुझे पुस्तक भंडार से कॉमिक्स बुक दिलाई. कुछ देर पश्चात मेहमान के आने वाली ट्रेन प्लेटफार्म पर पहुँच गई. हम सब मेहमान का स्वागत करने के बाद उन्हें साथ लेकर घर पहुँच गए.

उस दिन जो समय मैंने स्टेशन पर बिताया वह आज भी मुझे याद आता है.

यशवंत कुमार चौधरी द्वारा भेजी गई कहानी

राजू नाम का एक होशियार लड़का था. उसका मित्र संजू खाने पीने और घुमने फिरने में ज्यादा रुचि लेता था. एक दिन दोनों बच्चे पापा के साथ शहर के रेलवे स्टेशन गये. वहाँ जाकर टिकट काउंटर से प्लेटफ़ॉर्म टिकट ख़रीदी. उन्होंने देखा कि वहाँ पर महिलाओं की अलग से कतार थी. सुरक्षा कर्मियों जाँच कराने के बाद वे प्लेटफ़ॉर्म पर पहुँचे. प्लेटफॉर्म पर खाने की अनेक दुकानें थीं और किताबों की दुकान भी थी. संजू अपने आपको रोक नहीं पाया उसने पापकार्न लिया और चाय पी तथा और कुछ कुछ खाने के लिए चल पड़ा जबकि राजू ध्यान से नोटिस बोर्ड पढने लगा और प्लेटफॉर्म पर घूमते हुए अन्तत: वह पुस्तक भण्डार में आकर रूका. राजू की नजर पुस्तकों पर पड़ी और उसने कुछ पुस्तकें खरीद लीं.

जब दोनों बच्चे प्लेटफॉर्म घूमकर वापस आए तो राजू के हाथ में पुस्तकें थी और संजू के हाथ में खाने पीने की वस्तुएँ. संजू ने पापकार्न खाकर पैकेट प्लेटफॉर्म पर ही फेंक दिया जिसे संजू ने उठाकर डस्टबीन में डालकर जुर्माने से बचाया तब संजू को एहसास हुआ कि कहीं जाने पर नोटिस बोर्ड पढना आवश्यक है.

राजू ने रेलवे स्टेशन का पूरा वृत्तांत सहजता से बताया जबकि संजू ने सारा समय खाने पीने में ही गँवा दिया. महत्वपूर्ण चीजें उसकी निगाहों से छुट गईं. संजू को अब अपने व्यवहार पर खूब पछतावा हो रहा था.

अगले अंक की कहानी हेतु चित्र

अब आप दिए गये चित्र को देखकर कल्पना कीजिए और कहानी लिख कर हमें यूनिकोड फॉण्ट में टंकित कर ई मेलkilolmagazine@gmail.com पर अगले माह की 15 तारीख तक भेज दें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगल अंक में प्रकाशित करेंगे

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