अधूरी कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिये दी थी –

मित्रता

इस चित्र पर हमें कहानियाँ प्राप्त हुई हैं, जो हम नीचे प्रकाशित कर रहे हैं –

एक गांव में दो मित्र रहते थे. एक का नाम था चंदन,दूसरे का गुलाब. दोनों की मित्रता इतनी गहरी थी कि लोगों को इनसे बड़ी ईर्ष्या होती थी. कई लोग यह कोशिश भी करते थे कि किसी तरह इनकी मित्रता टूट जाए.

कुछ दिनों बाद चंदन के परिवार को दूसरे गांव में जाकर बसना पड़ा. अब इनका रोज का मिलना बंद हो गया. पर इन्होंने एक दूसरे को चिट्ठियां लिखनी शुरू कर दीं. बहुत दिनों तक ये सिलसिला चलता रहा.फिर पता नहीं क्या हुआ,गुलाब की चिट्ठियां आनी बंद हो गईं. चंदन बड़ी प्रतीक्षा करता था. उसने गुलाब को लिखना जारी रखा पर गुलाब का कोई उत्तर नहीं आता था.

चंदन अब उदास रहने लगा था. उसे समझ में नहीं आता था कि अचानक ये क्या हो गया. एक दिन वह अपने पिताजी से पूछकर अपने पुराने गांव की ओर चल पड़ा.

डिजेन्द्र कुर्रे जी व्दारा पूरी की गई कहानी

गुलाब और चंदन की मित्रता इतनी गहरी थी कि शब्दों में बयां नहीं की जा सकती थी. चंदन के जाने के पश्चात गुलाब पूरी तरह से टूट चुका था. सच्ची गहरी मित्रता के कारण अपना मानसिक संतुलन खो बैठा था. गली गली फटे पुराने कपड़े पहन कर घूमता और अपने मित्र को ढूंढता था. जिसको भी मिलता चंदन- चंदन कह के गले लगाता. यही स्थिति गुलाब की हो गई थी. इसी बीच अचानक चंदन अपने मित्र गुलाब से मिला अपने मित्र को .देखकर उसकी आँखों में आँसू आ गया. घर ले जाकर उसके लिए नए कपड़े लाए और उसे पहनाये और अपनी पुरानी मित्र को देखकर गुलाब याददाश्त पुनः वापस आ गयी. वह अपनी मित्र को देखकर खुशी से फूला नहीं समाया दोनों मित्र आपस में मिल गए और उनकी मानसिक स्थिति ठीक हो गई. दोनों मित्र एक सच्ची मित्रता की मिसाल थे.

कन्हैया साहू (कान्हा) जी व्दारा पूरी की गई कहानी

चन्दन अपने पुराने गांव में जा कर देखता है कि गांव में बहुत ही कम लोग निवास कर रहे है क्योकि उस गांव में पिछले साल अकाल पड़ा था. इसलिये अधिकांश लोग अपने परिवार के साथ काम की तलाश में दूसरी जगह चले गए थे. गुलाब का परिवार भी गांव से बाहर चले गया था, जिससे अपना गुजर बसर कर सके. अब चंदन को समझ में आ गया कि उसका मित्र गुलाब उसकी चिट्ठीयो का जवाब इसलिए नही दे रहा था क्योंकि गांव से बाहर होने के कारण चिट्ठियां उसें मिल ही नही रही थी. चंदन को यह बात समझते देर न लगी कि उसका मित्र परिवार सहित संकट के दौर गुजर रहा है. गांव में दूसरे लोगों से गुलाब का पता पूछकर चंदन उस जगह पहुँच गया जहाँ गुलाब अपने परिवार के साथ रहता था. उसने देखा कि कठोर परिश्रम करने के बाद भी उनका जीवन बहुत कष्टप्रद था. दोनों मित्र मिलकर बहुत खुश हुये. गुलाब ने बताया कि उनके दिन किस प्रकार कष्ट से गुजर रहे हैं. तब चंदन ने अपने मित्र की मदद करने का निश्चय किया. वह गुलाब के परिवार को अपने घर ले आया ,उसको अपने घर रखकर सेवा करने लगा. उसने गुलाब को नए कपड़े , जूते दिलवाये और अपने परिचित के दुकानदार के यहाँ काम पर लगा दिया. उसके रहने के लिए एक छोटा सा घर भी बना दिया. अब गुलाब को नियमित काम मिल गया जिससे उसके हालात धीरे धीरे सुधारने लगे और जो काम के बदले में मिलता उसमे से कुछ बचा कर वह एक साल में अपने लिए पक्का घर बना लिया. अब गुलाब अपने माता - पिता को भी अपने पास ले आया. सभी लोग अब सुख पूर्वक जीवन जीने लगे. ये देखकर चंदन को भी बहुत अच्छा लगता कि अब उसका मित्र परिवार सहित उसके पास में रहकर सुख शांति से जीवन व्यतीत कर रहे है. अब पूर्व की भांति दोनों मित्र मिलते और एक दूसरे के सुख-दुख में मदद करते.

सीख:-- सच्चा मित्र वही जो विपत्ति में अपने मित्र का काम आए.

संतोष कौशिक जी व्दारा पूरी की गई कहानी

चंदन अपने पुराने गांव में पहुंचकर अपने दोस्त गुलाब के यहां गया. वहां देखा तो गुलाब की बूढ़ी मां व उसकी पत्नी की स्थिति बहुत ही खराब थी. वे दोनों भूखे प्यासे गुलाब के राह देख रहे थे. तभी चंदन उसकी पत्नी व मां से पूछता है कि-' गुलाब कहां है' गुलाब के बारे में पूरी घटना बताते हुए उसकी मां कहती है कि-' गुलाब को शेर सिंह नाम का एक शराबी बहुत परेशान करता था. वह गांव के सभी सीधे-साधे व्यक्तियों से पैसा मांगता है, नहीं देने पर मारपीट करते हुए उसे षड्यंत्र कर फंसा देता है. वह गुलाब से भी पैसा मांगा, नहीं देने पर मारपीट करते हुए जालसाजी कर जेल भेजवा दिया है. उसके खिलाफ कोई गवाही नहीं देता,गवाही देने वाले को बहुत परेशान करता है.'

चंदन भैया आप ही कुछ करिए हमारा गुलाब निर्दोष है. चंदन ने उन लोगों को सांत्वना दी दुकान जा कर उन लोगों के लिए किराना सामान की व्यवस्था किया ताकि उन लोगों को सही समय में भोजन मिलें.

अब चंदन गुलाब के बारे में, गांव के व्यक्तियों से जानकारी ली. जानकारी से पताचला कि गुलाब निर्दोष है.

चंदन के एक दोस्त वकील था . उसने घटना के बारे में अपने दोस्त से चर्चा किया और गुलाब को निर्दोष साबित करने के लिए सारे सबूत इकट्ठे किये. वकील एवं चंदनने थाने में पहुंचकर थाना प्रभारी को पूरी घटना की जानकारी दी. पुलिस द्वारा घटनाओं को पूरी तरह से छानबीन कर गुलाब को निर्दोष पाता हैऔर उसे जेल से रिहा कर देता है. जेल से निकालते ही गुलाब अपने दोस्त चंदन से गले मिलते हुए कहते हैं कि-' मित्र तूने मुझे निर्दोष साबित कर और मेरे विपत्ति में साथ देकर मित्रता का धर्म निभाया है तुम्हारे जैसे मित्र मुझे नहीं मिलेगा, मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं.'

इधर शराबी शेर सिंह को पुलिस ने सीधे-साधे व्यक्ति को फंसाने के जुर्म में जेल में बंद कर देता है. चंदन अपने दोस्त एवं पूरे परिवार को अपने गांव में रहने की सलाह देते हुए घर ले जाता है. वहां दोनों दोस्त मिलकर काम करते हुए खुशी-खुशी से अपना जीवन बिताने लगे.

चन्दन कुमार बारीक (कक्षा आठवीं ,शासकीय उच्च प्रा.शा.लांती ) व्दारा पूरी की गई कहानी

चन्दन अपने पुराने गाँव जाते हुए यह सोचने लगा कि आखिर क्यों मेरा मित्र गुलाब मेरी चिट्ठियों का जबाब नहीं दे रहा है. यह सोचते हुए वह आगे बढ़ता चला गया चलते-चलते थक कर एक पेड़ के नीचे कुछ देर रुक. उसे पेड़ों की शीतल छाया में आराम महसूस हुआ. उसने पेड़ लगाने वाले को मन ही मन धन्यवाद दिया और सोचने लगा काश कि लोग रास्ते के किनारे-किनारे आपस में मिलकर छायादार पेड़ लगाते तो सफ़र का मजा कुछ और ही होता उसने अपनी तरफ से अपने गाँव में दस पेड़ लगाने का संकल्प लिया. फिर उसने सामने देखा तो एक भला व्यक्ति दिखाई दिया जो उसे थका हुआ देखकर उसके पास ठहर गया था,उससे बातचीत हुई. उसने चंदन को अपनी मोटर साइकिल में बिठाकर उसके मंजिल वाले गाँव के समीप तक पहुंचा दिया फिर चन्दन ने कहा – 'भाई अब मुझे उतार भी दो मैं यहाँ से पैदल चला जाऊंगा' यह बोलकर उसे मदद हेतु धन्यवाद दिया.

वह गाँव में सीधे गुलाब के घर पहुंचा, जैसे ही चंदन ने गुलाब के घर में प्रवेश किया, उसकी नजर उस तस्वीर पर पड़ी जिसमें फूलों का हार लगा हुआ था यह तस्वीर किसी और की नहीं बल्कि उसके अपने जिगरी दोस्त गुलाब की ही थी. तस्वीर देखते ही चंदन भौंचक्का रह गया, उसे कुछ भी नहीं सूझा, उसने घर के भीतरी कक्षों तक प्रवेश करने की हिमाकत भी नहीं की. चन्दन को देखकर गुलाब की माँ ने बताया कि रविवार का दिन था. बेटा गाय चराने पहाड़ी की तरफ गया था उसे पहाडी पर सांप ने डस लिया वह दौड़ते-हांफते घर आया हमने गाँव के बैगा को बुलाकर झा- फूंक कराया पर सही ईलाज नहीं हो पाने के कारण उसकी मौत हो गई और गुलाब हम सब को छोड़कर सदा के लिए चला गया. चंदन ने माताजी से पूछा – आपने मेरे मित्र को पास के अस्पताल में क्यों नहीं पहुँचाया ? काश! आप लोग गुलाब को वक्त रहते अस्पताल ले जाते तो उसका सही ईलाज होता और वह आज हम सबके साथ होता. गुलाब के दादा और माँ ने सिसकते हुए कहा- हाँ बेटा ! तुमने सही कहा काश हम समय रहते उसे डाक्टर के पास ले जाते तो यह दिन देखना नहीं पड़ता. और माताजी ने चंदन को गोद में ले लिया और कहा – 'आज से तुम ही हमारे बेटे हो' हमने तो अपने आँखों के तारे को अंधविश्वास में खो दिया मगर हमारे जैसे भूल कोई और ना करे इसके लिए लोगों को जागरूक करने की जरुरत है. फिर चंदन को माँ ने खूब खिलाया पिलाया दुलार किया और मिठाई भी बनाई और उसके गाँव छोड़ने पूरे परिवार संग गई. इस तरह दोनों परिवार की मित्रता फिर से अटूट विश्वास में बदल गयी और चंदन को भी उसकी चिट्ठियों के जबाब नही आने के कारण का पता लग गया.

लक्ष्मी सोनी जी व्दारा पूरी की गई कहानी

चंदन अपने पुराने गांव की ओर निकल पड़ा. वह रास्ते भर गुलाब के बारे में सोचता जा रहा था. उसे गुलाब की चिंता सता रही थी कि वह ठीक होगा या नहीं? जैसे ही चंदन गाँव में पहुंचा, वहां का नज़ारा देख कर वह हैरान रह गया. गांव पूरी तरह से बदल चुका था. यह बदली तस्वीर बहुत भयानक थी. सभी लोग एक भयानक बीमारी से पीड़ित थे. चारों तरफ सिर्फ गंदगी ही फैली थी. चंदन गुलाब के घर गया. उसे देखकर गुलाब फूट-फूटट कर रो पड़ा. उसके परिवार में सभी बीमार थे. गुलाब खुद बहुत कमजोर हो गया था. इस कारण वह चंदन को कोई पत्र नहीं लिख पा रहा था. चंदन और गुलाब मिलकर गांव को इस बीमारी से बचाने का उपाय सोचने लगे। उन्हें सफाई की बात याद आयी. उन्होंने गुलाब के घर से शुरुआत की. पूरा घर साफ किया। लोगों को जोड़ा और सफाई में लग गए. पूरी गली मोहल्ला को साफ किया और धीरे धीरे गांव साफ हो गया . गाँव की तस्वीर पहले जैसे हो गयी. लोग स्वस्थ होने लगे। गांव पहले जैसा साफ नजर आने लगा. सबने चंदन की खूब तारीफ की. लोगों ने कहा चंदन और गुलाब की दोस्ती वाकई काबिले तारीफ है.

सुशील राठौर जी व्दारा पूरी की गई कहानी

एक दिन वह अपने पिताजी से पूछ कर पुराने गांव की ओर चल पड़ा. वहां अपने मित्र गुलाब के घर गया. घर की स्थिति देखकर उसे बड़ा दुख हुआ ।घर के सामान अस्त-व्यस्त पड़े थे, गुलाब की पत्नी की साड़ी ,बच्चे की कमीज फटी हुई थी . बातचीत में गुलाब की पत्नी ने बताया कि आपके जाने के बाद ये बहुत अधिक उदास रहने लगे धीरे-धीरे इनकी दोस्ती गांव के कुछ गलत आदत वाले लोगों से हो गई. ये भी शराब एवं जुआ के आदी हो गए. इन्हें भी शराब, जुएँ की लत लग गई. घर के सामानों को बेचने लगे. बातचीत के दौरान चंदन को यह भी पता चला कि भाभी के गहने जेवर भी बेच दिए गए यहां तक की खेतों को गिरवी रख दिया. भाभी एवं बच्चे से यह सब बातें जानकर चंदन पर तो मानो पहाड़ ही टूट पड़ा. चंदन अपने दोस्त की खोज में गली की ओर निकल गया. रास्ते में ही गुलाब मिल गया गुलाब अपने मित्र चंदन को देखकर थोड़ा खुश तो हुआ लेकिन ग्लानि ज्यादा हुई दोनों मित्र घर आए. घर में भाभी एवं गुलाब से आग्रह किया कि वह चंदन के साथ उसके नए गांव चलें बहुत मनाने के बाद वे सहमत हुए सब चंदन के साथ गांव आ गए यहां चंदन ने गुलाब का डॉक्टरी इलाज करवाया. गुलाब की गलत आदतों में सुधार आया. चंदन ने अपने मित्र से निवेदन किया कि वह भी अब इसी गांव में रहे. गुलाब अब पुराने गांव को छोड़कर नए गांव में नया मकान बनवा कर रहने लगे. चंदन और गुलाब फिर से एक साथ हो गए लोग उनकी मित्रता को सराहने लगा. गुलाब का परिवार अब खुशी-खुशी जिंदगी बसर करने लगे.

सुचि श्रीवास, कक्षा नवमी के व्दारा पूरी की गई कहानी

चंदन गांव पहुंचते ही अपने मित्र के घर जाता है तब वह देखता है कि उसका प्रिय मित्र बीमार है. चंदन ने पूछा की हे मित्र यह तुम्हें क्या हुआ ? तुम चिट्टियां लिखना क्यों बंद कर दिये और इतने दिन क्यों तक खबर नहीं भिजवाए कि तुम बीमार हो. तुमने मुझे इस लायक भी नहीं समझा. गुलाब ने कहा प्रिय मित्र चंदन मैं तुम्हारे सभी सवालों का जवाब देता हूं ,जब तुम इस गांव को छोड़े उसके बाद तुम्हारी चिट्टियां हमेशा आती थी पर कुछ दिन बाद मेरी तबीयत खराब होने लगी मैं टाइफाईड से पिड़ित था जिसके कारण में तुम्हें चिट्ठी नहीं भेज पाया और ना ही कोई सूचना. तुम तो जानते हो किस वजह से मैं खबर नहीं पहुंचा सका. जब से कुछ ठीक हुआ हूँ मै रोज तुम्हारे चिट्ठी को पढ़ता हूँ ,यही मुझे सबल प्रदान करता है और मन ही मन तुम्हे पुकारता हूँ देखा तुम आज आ गए हो. मुझे तो जैसे भगवान से सब कुछ मिल गया ,धन्यवाद प्रभु! चंदन कहता है तो चलो अब हम खेलने जाते हैं. गुलाब कहता है, मित्र दो-चार दिन मेरे घर मेरे साथ रहते तो मुझे अच्छा लगता. उसके बाद तुम अपने घर चले जाना. चंदन कहता है. मेरा कुछ ही दिन बाद परीक्षा है. उसके बाद तेरे घर भी आऊंगा और चिट्टियां भी लिखकर भेजता रहूंगा मुझे अब तसल्ली हो गई है कि तुम्हारी चिट्ठी मुझे क्यों नहीं आ रही थी. मैं चिट्ठी नहीं आने से बहुत दुखी हो गया था. मेरा किसी काम में मन नहीं लगता था. सोच रहा था पता नहीं क्यों मेरा मित्र मुझसे नाराज हो गया अब मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि मेरा मित्र दूर तो रह सकता है पर मुझसे जुदा नहीं. मैं हर दिन तुम्हें याद करता हूं और मुझे पता है तुम भी मुझे याद करते रहोगे.

टेकराम ध्रुव दिनेश जी व्दारा पूरी की गई कहानी

चंदन जब अपने पुराने गांव पहुंचा तो उसे पता चला कि गुलाब का एक्सीडेंट हो गया है,एक पैर टूट गया है. प्लास्टर लगा होने के कारण वह चलने मे असमर्थ है. ठीक होने में महीनों लगेगा.

चंदन तुरंत गुलाब के पास गया और बोला- मित्र तुम्हारी ऐसी हालत हो गई, और मुझे खबर तक नहीं की. गुलाब ने कहा - ऐसी बात नहीं है मित्र मैंने तुम्हें लिखा था, लेकिन चल न पाने के कारण उसे भेजने में असमर्थ था. मैं पत्र पोस्ट करने के लिए कुंदन को दे देता था. कई सारे पत्र मैं कुंदन के माध्यम से पोस्ट कर चुका हूं. लेकिन तुम्हारी ओर से भी कोई जवाब अभी तक नहीं आया. तब चंदन ने कहा- ये कैसी बातें कर रहे हो मित्र, मुझे तुम्हारा एक भी पत्र अभी तक नहीं मिला है, जबकि मैंने भी तुम्हें ढेर सारे पत्र भेज चुका हू.। लेकिन तुम्हारी ओर से कोई जवाब न आते देख मैं परेशान हो गया और तुमसे मिलने चला आया.
उधर कुंदन को पता चला कि चंदन, गुलाब से मिलने आया है तो वह सोंच में पड़ गया क्योंकि, कुंदन उन लोगों में से था जो चंदन ओर गुलाब की मित्रता से ईर्ष्या करता था. वह सोंचता था कि इनकी मित्रता कैसे टूटे. ओर ये अच्छा मौका जो उसे मिल गया था,चंदन और गुलाब की मित्रता को तोड़ने का इसलिए कुंदन,चंदन के नाम गुलाब का और चंदन का गुलाब के नाम पत्र को पहुंचने ही नहीं दे रहा था.
दोनों को एक साथ देखकर उसे आत्मग्लानि हुई और सोंचने लगा कि चंदन और गुलाब मेरे बारे में न जाने क्या- क्या सोचेंगे, मैं उनकी मित्रता में फूट डालने के लिए ये क्या कर रहा था. उससे रहा न गया और वह उनसे क्षमा मांगने गुलाब के घर पहुंच गया.
कुंदन को आया देख गुलाब ने कहा- बड़ी लम्बी उम्र है तुम्हारी, सही वक्त में आए हो, मैं तुम्हें बुलाने ही वाला था. तुम मेरे मित्र चंदन को बताओ कि मैंने कितने सारे पत्र उसके नाम भेजने को तुम्हें दिया था. लेकिन चंदन कह रहा है कि उसे मेरा एक भी पत्र नहीं मिला और न ही उसके द्वारा लिखा पत्र मुझे मिला.
कुंदन ने कहा- मैं तुम दोनों का गुनहगार हूं मित्र, मैं नहीं चाहता था कि तुम दोनों फिर से मिलों. इसलिए तुम दोनों के पत्र को एक दूसरे तक नहीं पहुंचने दे रहा था. आज चंदन को यहां देख कर तुम दोनों के बीच मित्रता की ताकत का पता चला, मुझे मालूम नहीं था कि चंदन का तुम्हारे प्रति इतना प्यार उसे यहां तक खींच लायेगा। मैं अपने किए पर शर्मिंदा हूं, मुझे माफ कर दो, आगे से ऐसा नहीं होगा.
गुलाब ने कहा- मित्र, सुबह का भूला शाम को वापस घर आ जाए उसे भुला नहीं कहते, हमारे दिल में तुम्हारे लिए कोई गुबार नहीं. अगर तुम ऐसा नहीं करते तो क्या मेरा मित्र मुझसे मिलने आ पाता. कुंदन ने कहा- मुझे और शर्मिंदा न करो मित्र।तब चंदन ने कहा- तो इसी बात पर मिलाओ हाथ, आज के बाद अब हम तीनों का रहेगा साथ.
इस तरह चंदन और गुलाब की मित्रता और निखरकर कुंदन बन गयी

परदेशी राम साहू जी व्दारा पूरी की गई कहानी

उधर गुलाब भी उदास रहने लगा. उसे चंदन की बहुत याद आती थी. एक दिन गुलाब ने सोचा कि भले ही हम मिल नहीं पा रहे तो क्या इसी तरह उदास रह कर जीवन व्यतीत कर देंगे. क्यों न कुछ ऐसा किया जाए कि लोग हमारी दोस्ती को याद रखें. इस तरह सोचने पर उसे उम्मीद दिखाई दी. वह कुछ अच्छा करने के लिए निरंतर चिंतन करने लगा और उसे एक रास्ता सूझा.

गुलाब अपने गाँव के वंचित लोगों के लिए काम करना आरम्भ किया. सबसे पहले उसने बेरोज़गार लोगों के बारे में सोचा. ये वो लोग थे जिनके पास रोज़गार नहीं था और निराशा के कारण शराब पीने जैसी बुराईयों से घिर गए थे. गुलाब ने इन लोगों को एकत्रित किया तथा अपने विचारों से अवगत कराया. पहले-पहल लोगों ने उसे अनसुना कर दिया पर बाद में कुछ लोग सहमत हो गये.

गाँव में तीन चार एकड़ की ज़मीन ख़ाली पड़ी थी. उस ज़मीन पर उन्होंने कुछ फल-फूल व साग-सब्ज़ियाँ उगाना प्रारम्भ किया. धीरे-धीरे वे उस कार्य में सफल होने लगे. जिससे और लोग भी इस कार्य से जुड़ने लगे. इस तरह गाँव में सभी लोगों को रोज़गार मिलता गया एवं बुराईयाँ समाप्त होती गई. अब वह गाँव एक आदर्श गाँव बन गया था .गुलाब को उसके अच्छे व्यवहार और कार्यों के लिए गाँववाले आदर्श मानने लगे .वे लोग जो गुलाब और चंदन की मित्रता से ईर्ष्या करते थे वे भी अब उनकी मित्रता को आदर्श मानने लगे.अब गाँववालों को अपने किए पर पछतावा हो रहा था.

गुलाब के इन अभूतपूर्व कार्यों की सराहना अब सरकार तक पहुँच चुकी थी. सरकार ने उस गाँव के विद्यालय का नाम गुलाब के नाम पर रखने की घोषणा की .लेकिन गुलाब ने अनुरोध किया कि विद्यालय का नाम उसके मित्र चंदन के नाम पर रखा जाए. इस अनुरोध को गाँववालों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और विद्यालय का नाम ‘चंदन प्राथमिक शाला’रखना तय हुआ.

आज शासकीय रूप से विद्यालय के नामकरण के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया था. जिसमें प्रतिष्ठित नागरिक,नेतागण एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. समारोह प्रारम्भ हो चुका था उसी समय चंदन अपने मित्र से मिलने गाँव पहुँचा. लोगों की भीड़ देखकर वह भी उस समारोह में पहुँच गया. उस समय गुलाब मंच पर था और विद्यालय का नाम अपने मित्र चंदन के नाम पर रखने की बात कर रहा था. चंदन यह सब सुन गदगद हो गया उसे अपने मित्र के कार्यों पर गर्व महसूस हो रहा था. लेकिन वह गुलाब से मिलने का साहस नहीं जुटा पा रहा था. अंततः वह गुलाब से बिना मिले वापस लौटने लगा. उसी समय वह ख़ुद को संभाल न पाया और गिर पड़ा.वहाँ मौजूद लोगों ने उसे उठाया और चंदन से उसका परिचय पूछने लगे पर कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया. इस तरह दोनो मित्र आपस में मिल गये. अब चंदन भी वहाँ आ कर रहने लगा. दोनो मित्र अब साथ मिलकर कार्य करने लगे जिससे गाँव में और भी ख़ुशियाली छा गई. चंदन और गुलाब की मित्रता की चर्चा उनके नाम के अनुरूप चारों ओर फैलने लगी .

अगले अंक के लिए अधूरी कहानी

सोना की होशियारी

एक हिरण शावक था, सोना। सोने जैसा रंग, बड़ी- बड़ी आंखें, बहुत फुर्तीला पर भोला-सा जब कुलांचें मारता हुआ दौड़ता तो कोई उसकी बराबरी न कर पाता.

सोना अपने झुंड के साथ जंगल से लगे घास के बहुत बड़े मैदान में रहता था. उसके दिन बड़ी मस्ती में बीत रहे थे.

जंगल में रहता था एक सियार भुरु, बहुत धूर्त और चालाक. एक दिन इसकी नज़र सोना पर पड़ी. उसके नन्हे और कोमल शरीर को देखते ही उसके मुंह से लार टपकने लगी. सोचा, चलो आज उसका पीछा किया जाए. पर थोड़ी ही देर में उसे समझ में आ गया कि सोना को पकड़ना उसके बस की बात नहीं.

मुंह लटकाए वह अपनी मांद में लौट आया. पर सोना की छवि उसकी आंखों से हट नहीं रही थी. वह रात भर तिकड़में भिड़ाता रहा. सुबह होते ही वह कबरा तेंदुए के पास पहुंचा और सोना के बारे में उसे बताया. कबरा के मुंह में भी पानी आ गया. उसने भुरु से कहा,'भुरु, मैं उसे दौड़कर तो पकड़ नहीं पाऊंगा. हां, अगर तुम उसे किसी तरह बहला - फुसलाकर जंगल में ले आओ तो बात बन जाएगी. ' मैं किसी पेड़ पर छुपा बैठा रहूंगा. जैसे ही वह पास आएगा मैं कूदकर उसे दबोच लूंगा.'

फिर एक दिन भुरु सोना से मिला और प्यार का नाटक करते हुए उससे कहा,' कैसे हो प्यारे भांजे ! '

सोना इस नए मामा को देखकर पहले तो चौंका पर धीरे-धीरे उसकी बातों में आ गया. फिर वही हुआ जिसका डर था. वह भुरु के साथ जंगल की ओर चल पड़ा.

(इसके बाद क्या हुआ,यह आप हमें लिख कर भेजें. आपकी कहानी हम अगले अंक में प्रकाशित करेंगे)

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