चित्र देखकर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको कहानी लिखने के लिये यह चित्र दिया था –

इस चित्र पर हमें कहानियाँ प्राप्त हुई हैं, जो हम नीचे प्रकाशित कर रहे हैं –

मतदाता दिवस

लेखक –संतोष कुमार कौशिक

( शिक्षक अपने मतदाता परिचय कार्ड को लेकर कक्षा में प्रवेश करते हैं और वह छात्रों से कार्ड को दिखाकर प्रश्न करते हैं)
अध्यापक-- हे छात्र! मेरे दाहिने हाथ में क्या है?

छात्र-- माननीय गुरुजी आप के दाहिने हाथ में परिचय कार्ड है

अध्यापक-- ठीक है, इस परिचय कार्ड को मतदाता फोटो पहचान पत्र कहते हैं. यह कार्ड आधार कार्ड से अलग है।जिसकी आयु 18 वर्ष यह अधिक उम्र की हो जाती है जिसे मतदान करने का अधिकार होता है उसका मतदाता परिचय कार्ड प्राप्त होता है.

छात्रा--- गुरुजी गत माह मतदाता जागरूकता रैली शाला में निकाली गई थी. मतदाता दिवस कब और क्यों मनाते हैं उसके बारे में समझाइए.

अध्यापक--- बहुत सुंदर, आज हम मतदाता दिवस के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे.

मतदाता दिवस 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के ठीक एक दिन पहले 25 जनवरी को मनाया जाता है. 26 जनवरी 1950 को देश में पहला गणतंत्र दिवस मनाया था. क्या आप जानते हैं कि भारतीय संविधान की बनने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन समय लगा था. मतदाता दिवस भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण दिन है. इस दिन का उद्देश्य युवा भारतीय मतदाताओं को लोकतांत्रिक,राजनैतिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है. भारत में जितने भी चुनाव होते हैं उनके निष्पक्षता से संपन्न कराने की जिम्मेदारी भारत निर्वाचन आयोग की होती है. भारत निर्वाचन आयोग का गठन भारतीय संविधान के लागू होने के ठीक एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को हुआ था क्योंकि एक दिन बाद 26 जनवरी 1950 को भारत एक गण तांत्रिक देश बनने वाला था और भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से चुनाव करने के लिए निर्वाचन आयोग का गठन जरूरी था इसलिए 25 जनवरी 1950 को भारत निर्वाचन आयोग का गठन हुआ भारत सरकार ने वर्ष 2011 से हर चुनाव में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग की स्थापना दिवस 25 जनवरी को ही राष्ट्र मतदाता दिवस मनाने के रूप में शुरुआत की थी और 2011 से ही हर साल 25 जनवरी को ही राष्ट्र दिवस मनाया जाता है. इस साल हम 9वां राष्ट्र मतदाता दिवस मनाया गया है.

छात्र--- गुरुदेव क्या हम लोग भी वोट डाल सकते हैं और डालने के लिए क्या उम्र होनी चाहिए.

अध्यापक--- नहीं बच्चों, आप लोगों का उम्र जब तक 18 वर्ष नहीं हो जाता वोट नहीं डाल सकते. क्या आपको पता है पहले मतदाता की पात्र आयु 21 वर्ष थी लेकिन 1998 में 18 वर्ष घटा दिया था. इस बदलाव को शामिल किया गया क्योंकि दुनिया भर कई देशों में अधिकारिक मतदाता का उम्र के रूप में 18 वर्ष की सीमा को अपनाया था. उसी समय भारतीय युवा साक्षर राजनैतिक रूप से जागरूक हो रहा था 61वें विधेयक संशोधन 1998 में भारत के मतदाता की पात्रता उम्र कम कर दिया. अतः हम कह सकते हैं कि जिसकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक हो वह वोट डाल सकते हैं.

छात्र--- मेरे पड़ोस में कुछ व्यक्ति चर्चा कर रहे थे कि हमारे एक वोट से क्या फर्क पड़ेगा. जीत हार तो होगा ही ,ऐसा सोच कर वोट डालने नहीं जाते. उसका क्या प्रभाव पड़ेगा?

अध्यापक--अच्छा प्रश्न है, भारत के प्रत्येक नागरिक को मतदान प्रक्रिया में भागीदारी जरूरी है क्योंकि आम आदमी का एक वोट ही सरकार बदल देता है हम सब का एक वोट ही पल भर में एक अच्छी सरकार प्रतिनिधि भी चुन सकता है. और एक बेकार सरकार प्रतिनिधि भी चुन सकता है इसलिए भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने मत का प्रयोग सोच समझ कर करना चाहिए.

छात्र--- गुरुदेव आसपास में देखते हैं कि वोट के बदले पैसा, कपड़ा, कुछ नशा सामान,आदि लुभाने वाली वस्तुओं को देकर वोट खरीदा जाता है उसके लिए क्या करना चाहिए?

अध्यापक ----सत्य बात है, अपने मत का प्रयोग कोई भी लुभाने वाले वस्तुओं में नहीं देना चाहिए क्योंकि उसमें क्षण मात्र की सुख है हमें उसके बाद 5 वर्ष तक उसका फल भुगतना पड़ेगा आप सब कल के नागरिक बनोगे इसलिए आप मेरी बात ध्यान से सुनो. भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने मत का प्रयोग सोच समझ कर करना चाहिए पर ऐसी सरकार या प्रतिनिधि चुनने के लिए करनी चाहिए जो देश के तरक्की और विकास के पद पर ले जा सके. भारत देश की 65% आबादी युवाओं की है इसलिए देश की प्रत्येक चुनाव में युवाओं की भागीदारी ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए ऐसी सरकार चुननी चाहिए जो कि सम्प्रदायिकता व जातिवाद से ऊपर उठकर देश के विकास के बारे में सोचें. जिस देश के युवा जाग जाएगा उस देश में जातिवाद ऊंच-नीच सम्प्रदायिक भेदभाव खत्म हो जाएगा ये सिर्फ और सिर्फ हो सकता है हम सबके मतदान करने से.

हम हर साल मतदाता दिवस मनाएंगे और शपथ लेंगे. जिनकी उम्र इस वर्ष 18 वर्ष पूरी हो रही है वह सभी होने वाले मतदान में जरूर वोट दें. मुझे भरोसा है कि आप सभी इस जानकारी को अपने भविष्य में उतारेंगे. साथ ही अपने घर,अपने पड़ोस में इसका प्रचार-प्रसार करेंगे.

( शिक्षक अंत में- मतदान कैसे करते हैं उस सभी प्रक्रिया को समझाते हुए विद्यालय में नकली मत पेटी बनाकर विद्यालय के छात्रों द्वारा रोलप्ले कराते हुए बारी बारी से बच्चों द्वारा मतदान कराया जाता है.)

शिक्षा-- मतदान दिवस कब और क्यों मनाते हैं ,एक वोट का क्या महत्व है उसके बारे में बच्चों को जानकारी प्राप्त होगा. अपने भावी जीवन में मतदान करने का तरीका और सही प्रतिनिधि का चयन का समझ विकसित होगा.

जिम्मेदारी

लेखक इंद्रभान सिंह कंवर

हर बार की तरह गुरु जी इस बार भी शाला के सभी कक्षाओं के उत्कृष्ट विद्यार्थियों को शाला के दायित्व का भार सौपने वाले थे. मगर गुरुजी को उड़ती हुई खबर पता चली थी कि कक्षा के कुछ अन्य विद्यार्थी भी इस जिम्मेदारी को लेकर अपनी कुशलता का परिचय देने को तैयार हैं और वे सभी गुरुजी के सामने सालों से चली आ रही इस परंपरा का विरोध नहीं कर पा रहे हैं. जब यह बात गुरुजी को पता लगी तो वे अत्यंत प्रसन्न हुए.

उन्होंने अगले ही शनिवार को होने वाली बाल सभा में इसकी घोषणा की, कि इस बार हम शाला के दायित्वों का भार शाला में निर्वाचन के माध्यम से चयनित विद्यार्थियों को ही देंगे,और पुरानी परंपरा को खत्म करेंगे. सर्वप्रथम तो जब सब बच्चों ने इस घोषणा को सुना तो उन्हें अजीब-सा लगा मगर राजू, बाला, सोनू और सैफ तथा उनके मित्रों को जो चाहते थे कि इस बार वे भी शाला की जिम्मेदारी लें ,उनके मन में खुशी की लहर दौड़ गई. उन्होंने मन में ठान लिया कि इस बार हम भी विद्यालय की सेवा कर सभी का दिल जीत पाएंगे. फिर क्या था गुरु जी ने सभी को निर्वाचन की रूपरेखा समझाई ,और कहा कि जो भी विद्यार्थी जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं वे अपनी कक्षा शिक्षक के पास अपना नाम दर्ज करा दें.

अगले दिन चुनाव कार्य कराकर जिम्मेदार लोगों को उनके दायित्व सौंपे जाएंगे. आखिर वह दिन आ ही गया जब शाला में पहली बार चुनाव होने वाला था और इस बार शाला को नए जिम्मेदार चेहरे मिलने वाले थे जो अगले वर्ष तक शाला की जिम्मेदारी लेने वाले थे. चुनाव कार्य संपन्न हुआ,और राजू बाला,शैफ तथा मोनू सभी अपने अपने पद के लिए विजयी घोषित हुए और अपना कार्यभार संभाला. उन्होंने अगले एक साल तक अपने कार्यों को जिम्मेदारी पूर्वक और आनंद पूर्वक किया. जिससे साला के वातावरण एवं उनके खुद के वातावरण में निखार आया. जिससे पूरा शाला परिवार खूब खुश हुआ और उन्हें बधाइयां दी.

सीख-जिम्मेदारी इंसान को बहुत कुछ सिखा देती है बस जरूरत है तो उन्हें एक मौका देने की

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