नवाचार

नवाचार - ज्ञान एक्सप्रेस

प्रस्‍तुतकर्ता एवं चित्र - निरंजन लाल पटेल

उद्देश्य:- छात्र-छात्राओं को ज्ञान एक्सप्रेस के माध्यम से खेल-खेल मे अंक एवं शब्द ज्ञान की जानकारी कराना..

क्रियान्वयन:- स्कूल परिसर में ज्ञान एक्सप्रेस (रेलगाड़ी) बनायी गयी है, जिसमें गिनती, अंग्रेज़ी एल्फाबेट, हिंदी की वर्णमाला आदि अंकित की गयी है. बच्चे रेलगाड़ी में सफर करते हुए अंकों, शब्दों आदि को पढ़ते हैं.

लाभ:-

  1. बच्चे खाली समय में भी पढ़ते हैं
  2. खेल-खेल में बच्चे बहुत आसानी से सीखते हैं.

नवाचार - सामाजिक संगठन 'संचय' अब करेगा संचय - शिक्षक व छात्रों ने लिया संकल्प

आलेख एवं चित्र – अनुराग तिवारी, रामसरकार पांडे उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,कुटरा

अब वास्तव में हमारा देश बदल रहा है . वह इसलिये,क्योंकि बच्चों में भी समाज सेवा की भावना घर कर रही है.यह संभव हुआ एक शिक्षक की प्रेरणा से .

ग्राम कुटरा के पण्डित राम सरकार पांडेय शा. उ. मा. विद्यालय के शिक्षक श्री अनुराग तिवारी ने छात्रों के सामने जब समाज सेवा करने की बात कही तो सभी छात्रों ने मिलकर एक सामाजिक संगठन ‘संचय’ का गठन किया व संकल्प लिया कि प्रथम चरण में किसी भी गरीब परिवार में शोक संतप्त परिवार को 50 किलो चावल तत्काल दिया जाएगा.ग्राम कुटरा में इस अनूठी पहल के लिये सभी ग्रामजन शिक्षक व छात्रों की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. उनका मानना है कि बच्चों में ये भाव अभी से हमारे शिक्षक जब जगा रहे हैं तो आगे चलकर निश्चय ही यह विद्यालय समाज सेवा के मामले में देश में अग्रणी स्थान प्राप्त करेगा.उन्होंने विद्यालय के शिक्षक श्री अनुराग तिवारी को धन्यवाद दिया, जिनके अथक प्रयासों ने बच्चों को समाज सेवा से जोड़ा.

नवाचार – रचनात्‍मकता

प्रस्‍तुतकर्ता एवं चित्र - विरेन्द्र कुमार चौधरी शासकीय प्राथमिक शाला तिलाईदादर संकुल केंद्र चनाट विकास खण्ड बसना जिला महासमुंद (छग)

मैंने अपने विद्यालय में लेखन कौशल के विकास हेतु कहानी, कविता, ज्ञान की बाते लिखकर लाने का गृह कार्य देता हूँ. जो अच्छे सारगर्भित या प्रेरणा स्रोत होता है मै उसे टाइपिंग करा कर A4 साइज में प्रिंट निकलवाता हूँ और उस प्रिंट में उस बच्चे का फोटो सहित परिचय का भी उल्लेख करता हूँ तथा उसको कार्ड बनाने के लिए उसे लिमिनेशन करवा देता हूँ. इस प्रकार कहानी संग्रह कर रहा हूँ.

कहानी कविता इस प्रकार हो कि वह किसी पुस्तक से नही हो ऐसा होना चाहिए कि वह अपने दादा-दादी, माता-पिता, नाना-नानी या और किसी व्यक्ति से सुना हो.

शाला के अनसुलझे पहलू

नवाचारी शिक्षक -श्री मोतीराम साहू (शिक्षक) शा.प्रा.शा.-खैरडोंगरी ,संकुल -दुल्लापुर, वि.ख.-पंडरिया ,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

नवाचार संक्षिप्त परिचय - विद्यालय में छात्रों का केवल बौद्धिक विकास करना ही पर्याप्त नहीं है । कई ऐसे भी क्षेत्र होते हैं, जहाँ शिक्षकों का ध्यान नहीं जा पाता है, और उस समस्या का समाधान नहीं हो पाता है । प्रायः यह देखा जाता है कि बच्चों की अपनी समस्या या विद्यालय से संबंधित किसी समस्या या कुछ सुझाव को संकोचवश शिक्षकों को नहीं बता पाते । इस समस्या के समाधान के लिए 'शाला के अनसुलझे पहलू' एक अच्छी और कारगर गतिविधि है । इस गतिविधि के माध्यम से हम बच्चों की व्यक्तिगत समस्या या किसी भी विषय पर उनके सुझाव प्राप्त कर सकते हैं ।इससे विद्यालय की शिक्षा एवं व्यवस्था में आवश्यक सुधार किया जा सकता है ।

विद्यालय/कक्षा में प्रयोग - यह गतिविधि बच्चों में चिंतन करने की क्षमता का विकास करती है और किसी समस्या के समाधान करने की क्षमता का विकास करती है। यह नवाचार सभी कक्षाओं के लिए लाभदायक है।

कार्यविधि - 'शाला के अनसुलझे पहलू ' के लिए सबसे पहले एक बॉक्स की आवश्यकता होती है। बॉक्स बनाने के लिए गत्ते (पुट्ठा)के डिब्बे का इस्तेमाल किया जाता है उसके ऊपर पेपर में 'शाला के अनसुलझे पहलू' लिखकर चिपका दिया जाता है और उस बॉक्स को सुविधानुसार एक स्थान पर रख दिया जाता है।

क्रियान्वयन - (1) विद्यालय के सभी बच्चों को एक कक्षा में बैठाकर उस बॉक्स और शाला के अनसुलझे पहलू के बारे में विस्तार से बताया जाता है।

(2)सबसे पहले बच्चे अपनी समस्या, विद्यालय की समस्या या कुछ सुझाव एक पर्ची पर लिखकर उसमें डाल देते हैं। इस बॉक्स को निश्चित अंतराल पर स्कूल में चौपाल लगाकर खोला जाता है ।

(3) शिक्षक के द्वारा सभी छात्रों के सामने उनकी पर्ची को खोलकर पढ़ा जाता है।

(4) छात्रों को 'शाला के अनसुलझे पहलू' में इस तरह की समस्या या सुझाव डालने के लिए प्रेरित किया जाता है।

(5) शिक्षकों के द्वारा उनकी समस्या का समाधान किया जाता हैं,एवं उनके सुझाव पर आवश्यकतानुसार अमल क़िया जाता है ।

शून्य निवेश पर आधारित माडल – मानव का पाचन तंत्र

संकलित -शासकीय उच्च प्राथमिक शाला लांती ,संकुल केन्द्र – लांती द्वारा प्रेषित

कबाड़ से जुगाड़ के माध्यम से स्वनिर्मित

उद्देश्य :- पाचन अंगों की पहचान करना एवं क्रियाविधि की समझ विकसित करना

आवश्यक सामग्रियाँ :- गत्ते,लचीली पाईप,कोयला,ईंट के टुकड़े, ब्लेड, टूटी छन्नी आदि

सिद्धांत :- जटिल अणुओं का सरल अणुओं में टूटना / विघटन होना .

जटिल कार्बनिक पदार्थों को जल अपघटनीय एन्जाइमों के द्वारा सरल कार्बनिक पदार्थों में बदलने की क्रिया पाचन कहलाती है . निम्न श्रेणी के जीवों में अंत:कोशिकीय पाचन एवं उच्च श्रेणी के जीवों में बाह्य कोशिकीय पाचन होता है

निर्माण विधि :- गत्ते को लेकर उसमें कोयले के माध्यम से आहारनाल एवं पाचक अंगों का एक कल्पित स्वरूप बना लें . उसके ऊपर में नलिकाकार पाइप को आहारनाल एवं आंत,मलद्वार का स्वरूप देते हैं और वृक्क की रचना छलनी से बनाते हैं . यदि आप इसे स्थायी रखना चाहते हैं तो किसी प्रकार के गोंद से चिपका लें .

क्रिया विधि :- मनुष्य का पाचन तंत्र पाचन अंग एवं सहयोगी पाचक ग्रंथियों से मिलकर बनता है . पाचक अंग - आहारनाल,मुखगुहा,ग्रसनी,ग्रसिका,आमाशय,छोटी आंत,बड़ी आंत, मलाशय और मलद्वार से बनी होती है जबकि पाचन ग्रंथियों में लार ग्रंथि,यकृत,पित्ताशय, अग्नाशय शामिल होते हैं . आहार के प्रमुख घटक – कार्बोहाईड्रेट,प्रोटीन,वसा,विटामिन,खनिज लवण एवं जल है .पाचन का प्रयोजन वृहद् अवयवों को सरल अवयवों में विघटन कर उपयोगी पदार्थों का अवशोषण एवं वर्ज्य पदार्थों का निष्कासन करना है . छोटी आंत में अवशोषण का कार्य होता है . पाचन में आन्त्रगति / क्रमाकुंचन गति की भूमिका महत्वपूर्ण होता है .

सावधानियाँ :- डाईग्राम सही बनाएँ एवं सावधानी से काटकर रखें .

निष्कर्ष :- पाचन अंग/ग्रंथि एवं क्रियाविधि की समझ बनती है .

लर्निंग आउटकम्स :- कक्षा 8, 9,10 एवं आंशिक रूप से 14 को पूरा करता है .

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