छात्राओं द्वारा कविता संग्रह

गपशप

रचनाकार - जाग्रति साहू कक्षा 8, नेवरा, छत्तीसगढ़

गपशप आई गपशप आई
खुशियों के दिन संग लायी
गपशप जब भी आती है
सबका मन बहलाती है
कभी दार्जिलिंग के पहाड़ों की सैर
हमें गपशप कराती है
ऐसे ही अलग अलग स्थानों के बारे में
हमें गपशप बताती है
गपशप आई गपशप आई
खुशियों के दिन संग लायी
गपशप जब भी आती है
सबका मन बहलाती है
प्यारी गपशप न्यारी गपशप
सबसे प्यारी लगती गपशप

आओ करे जल संरक्षण

रचनाकार - ईशा निषाद, कक्षा- 9 शासकीय उच्चतर, माध्यमिक विद्यालय खौना, छत्तीसगढ़

देश में बढ़ रही है आबादी, जिससे बड़ी है पानी की बर्बादी .
पानी का तुम करो सदुपयोग, पीने लायक पानी का कम हो रहा है संयोग .
बरसात के पानी को भूमि तल तक तुम पहुचाओं ,
पेड़ों को कटने से भी बचाओ .
करो अब भविष्य की कल्पना तुम, पानी की बर्बादी न करना तुम.
पानी खरीद कर पी रहे हम सब आज, ये है प्रकृति माँ का हमको अभिशाप .
आओं हम सब जल बचायें, जल संरक्षण में हाथ बटायें .
हम बच्चों ने ये सोचा, पानी का महत्त्व सबको बतायेंगे.
पानी का सदुपयोग करना लोगो को बतलायेंगे, जल संरक्षण के महत्व का परचम हम लहरायेंगे .

सावन

रचनाकार - लक्ष्मी साहू, कक्षा 8, शा. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ख़ौना, छत्तीसगढ़

सावन आया सावन आया ,
चारों ओर हरियाली छाया .
टप टप टप बून्द पड़े हैं,
मह मह मह मिट्टी महके है.
सावन में नाचे है मोर ,
खुशियों से झूमते हैं मोर.
झूमते नाचते पंख फैला के ,
सभी लोगो का दिल बहलाते
. जो लगाये पेड़ पौधे ,
आये उसके घर खुशियां
आओ आओ लगाए पेड़,
पर्यावरण बचाये हम.
सावन आया सावन आया,
चारों तरफ हरियाली छाया .

बेटियां

रचनाकार - विद्या वर्मा, कक्षा- 8 , शा.उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ख़ौना

कमल के जैसे खिलती हैं बेटी,
सबसे मीठी मीठी बातें करती हैं बेटी.
यह रखती हैं सबका मान,
यह करती हैं सबका सम्मान.
यह पढ़ लिख कर कुछ बन सकती हैं,
यह अपने सपनों को पा सकती हैं.
सब कुछ सहती हैं ,
फिर भी कुछ न कहती हैं.
कमल के जैसे खिलती हैं बेटी,
सबसे मीठी मीठी बातें करती हैं बेटी.

मेरी छोटी सी कहानी

रचनाकार - हीरा यदु ,कक्षा 8 वीं, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, खौना, छत्तीसगढ़

मेरी छोटी सी गाँव है न्यारी , हम बच्चों में है नादानी .
खेलते कूदते दोस्तों के संग स्कूल है हम जाते,
पढ़–लिख के जो हम बच्चे टीचर बनना चाहते .
टीचर, एस. एम. दीदी से जो शिक्षा मिलती,
वही हम घर में आकर बतलाते .
मम्मी पापा की बात मानकर, रोज स्कूल हम जाते .
दोस्तों की सहायता करके, खुशियाँ हम सब पाते .
जीवन कौशल सीख के, मस्त मगन हो जाते.
गर्मी छुट्टी में खेलकूद के, गाँव घूम के आते .

माहवारी जागरूकता अभियान

कुमारी भावना निषाद, कक्षा 9 वीं शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खौना छत्तीसगढ़

गर्मी की छुट्टी है आती, खाली समय साथ है लाती .
आओ आओ एक बात बताऊँ, लड़कियों की कहानी तुम्हे सुनाऊँ .
किशोरियों को होती है माहवारी, खून की कमी की डर है भारी .
हरी सब्जियाँ अंडा दाल, चावल फल दूध है सम्पूर्ण आहार .
पोषण की है इन्हें जरुरत, न मिले तो कमजोरी की मूरत .
हम यह काम करायेंगे, किशोरियों को माहवारी की बात बतायेंगें .
इसमें लेंगे आशा दीदी व ए. एन. एम. दीदी का साथ,
गाँव में चलाएंगे माहवारी हेतु जागरूकता अभियान .

जल है हमारा जीवन

रचनाकार -(कुसुम साहू , चंचल वर्मा , डिगेश्वरी धीवर )कक्षा 9, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खौना, छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ की है यह बात, आओ सुनायें सबको आज .
पिछले साल पड़ा था सूखा, फसल हमारा मर गया भूखा .
बादल ने दी हमको मात, बारिश न करके महाराज .
न जाने क्यों बादल रूठा, पेड़ों की कमी से पड़ गया सूखा .
लोग हो गये हैं परेशान, जल की कमी पड़ी है आज .
क्या करें यह लोचा है................? हम बच्चों ने यह सोचा हैं .
जल कमी मिटायेंगे, लोंगो को जल संरक्षण का पाठ पढ़ायेंगे

हरी धरती

रचनाकार - योगेश्वरी धीवर, कक्षा 7 वीं शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रायखेड़ा, छत्तीसगढ़

हरी भरी धरती न्यारी, लगती जो केसर की क्यारी .
खेत में गेहूं के बाल ,चम- चम करते धान के बाल .
अरहर की बाजी पैजनियाँ, हंसती खुली मटर की मुनियाँ .
सरसों नाचे फूली- फूली, शर्मा जाती गाजर- मुली .
खेत हो गये रंग बिरंगे, जैसे उड़ते कई पतंगें .
यह है मेरी धरती माता, इससे है सारा जीवन न्यारा .

हर एक कदम में स्वच्छता

रचनाकार - यामिनी ध्रुव, कक्षा 7 वीं, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रायखेड़ा, छत्तीसगढ़

आओ हम दुनिया को स्वच्छ बनायें, घर घर में शौचालय बनवायें .
स्वच्छता का हम रखें ध्यान, तभी बनेगा देश महान .
अस्वच्छता का हम नाश करें, स्वच्छता पर हम नाज करें .
कूड़ा करकट न फैलाएं, गावं शहर को स्वच्छ बनायें .
साफ सफाई हो जहाँ, मन ललचाता है जाने को वहां .
आओ हम दुनिया को स्वच्छ बनाये, घर घर में शौचालय बनायें .
साथ साथ इसे उपयोग में लायें .

सड़कों की सफाई

रचनाकार - नेहा वर्मा, यमुना निषाद, मनोज वर्मा – कक्षा 7 वीं, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रायखेड़ा, छत्तीसगढ़

आओ सड़कों को साफ करें, सड़कों को गन्दा न करें .
सड़कों से चलकर स्कूल आते, सडक से चलकर घर हम जाते .
सड़क किनारे पेड़ लगायें, सड़कों को फूलों से सजायें .
सड़क होती है लम्बी चौड़ी, दिखने में लगती साफ सुनहरी .
सड़क साफ हो जहाँ, लोग चलना पसंद करते हैं वहाँ .
चलो दोस्तों एक कदम उठायें, सड़कों को साफ कर स्वच्छ बनायें .

लड़की लड़का एक समान

रचनाकार - प्रीति धीवर , आरती निषाद – कक्षा 7 वीं शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रायखेड़ा, छत्तीसगढ़

लड़की लड़का को हम समानता का अधिकार दिलायें ,
समाज में असमानताओं को दूर भगायें .
लड़की लड़का दोस्त हैं प्यारे, भाई बहन के रिश्ता हैं न्यारे .
हर लड़की लड़का को पुलिस बनायें, अधिकारों की रक्षा को जो याद दिलायें .
हर लड़की लड़का को दे हम ज्ञान, तभी बनेगा भारत महान .
लड़की लड़का शिक्षित हो जहाँ, सभ्य समाज बनता है वहाँ .
चलो दोस्तों एक कदम उठायें, सबको समानता का अधिकार दिलायें .

जागो माँ

रचनाकार - पार्वती ध्रुव, कक्षा 9 वी शा.कन्या उच्च. मा. वि. मगरलोड

जागो माँ जागों माँ जागो माँ ..........2
कैसी है दुनिया तेरी ये माँ
बेटी न चाहे कोई यहाँ
कैसी है दुनिया तेरी ये माँ
बेटी न चाहे कोई यहाँ
जागो माँ जागों माँ जागो माँ ..........2
कोख के गुड़िया बोले हे माँ
बेटी न चाहे कोई यहाँ
जागो माँ जागो माँ जागो माँ ..........2
मैं नहीं मरना चाहती हूँ माँ
बेटी न चाहे कोई यहाँ
जागो माँ जागो माँ जागो माँ ..........2
मैं पढ़ना चाहती हूँ स्कूल में माँ
ये सब चाहे बेटी यहाँ
मैं पढ़ना चाहती हूँ स्कूल में माँ
ये सब चाहें न बेटी यहाँ
जागो माँ जागो माँ जागो माँ ..........2
क्यों नहीं चाहती दुनिया बेटी हे माँ
रो-रो कर पूछे ये बेटी यहाँ
क्यों नहीं चाहती दुनिया बेटी हे माँ
रो-रो कर पुछे ये बेटी यहाँ
कोख के गुड़िया बोले हे माँ
बेटी न चाहे कोई यहाँ
जागो माँ जागो माँ जागो माँ ..........2

बेटी है कीमती

रचनाकार - मेनका सतनामी कक्षा -9 वी , शा.कन्या उच्च. मा. वि. मगरलोड

बेटी के जन्म पर बहनों आंसू कभी बहाना न .
बेटी तो हीरा मोती है .
उसे कभी ठुकराना न .
धन पराया बेशक बेटी .
खून तो अपना होती है.
जिसके घर में बेटी जन्मे धन की वर्षा होती है
बेटी बचाओ बेटी पढाओ .
अपने दिल पे लिख डालो.
कन्या हत्या के कलंक को माथे से धो डालो .
कन्या भी तो पूज्यनीय है .
उसका वध क्यों करते हो .
बेटी की हत्या करवाकर .
पुत्र रत्न जो पायेगा .
ऐसे बेटा उस माता को .
कभी न सुख दे पायेगा .
आओ बहनों करें प्रतिज्ञा .
ऐसा पाप से बचना हैं .
ममता को न दाग लगाएं
कान खोल के सुनना हैं .

मैं पढ़ना चाहती हूँ

रचनाकार - पूर्णिमा कोपरकर ग्रेड -7th स्कूल –पी.जी. उमाठे शा. उ. मा. कन्या विद्यालय, शांति नगर, रायपुर

मैं पढ़ना चाहती हूँ ,
मैं पढ़ना चाहती हूँ
गर्मी की छुट्टी में कुछ करना चाहती हूँ
मैं दुनिया को कुछ दिखाना चाहती हूँ ,
मैं दुनिया को स्वच्छ रखना चाहती हूँ
मैं संसार को खुश देखना चाहती हूँ
मैं संसार को सुन्दर खिलखिलाता देखना चाहती हूँ
मैं पढ़ना चाहती हूँ, मैं पढ़ना चाहती हूँ
आस पास के लोगों को बताना चाहती हूँ
कि हरे भरे पेड़- पौधे लगायेंगे और कूड़ा कूड़ेदान में डालेंगे
पृथ्वी को हरा भरा रखेंगे
मैं पढ़ना चाहती हूँ, मैं पढ़ना चाहती हूँ
मैं कुछ करना चाहती हूँ.

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