छत्तीसगढ़ी बालगीत

राजिम भक्तिन कहाए

रचनाकार - श्रवण कुमार साहू, प्रखर

उहिच्छ ह राजिम भक्तिन कहाए
तेली वंश के मान बढ़ाए,
पथरा म तै तेल ओगराये.
संत शिरोमणि तै हा कहाए.
प्रभु ल घानी म किंजराये.
उहिच्छ ह राजिम भक्तिन कहाए.

धरम- करम के साथ नई छोड़े,
प्रभु से अपन नाता जोड़े.
पुण्यरूपी तै धन ल जोड़े,
अपन भाग के गति ल मोड़े,
उहिच्छ ह राजिम भक्तिन कहाए.

कमलक्षेत्र के तै मान बढ़ाए,
राजीव लोचन के तै दरसन पाए,
ढाई पत्ती माँ तुलसी से,
नारायण के आसन ल डिगाये.
उहिच्छ ह राजिम भक्तिन कहाए.

तेली वंश म जनम धरे हन,
अईसन सुग्घर भाग ल पाएन.
माता राजिम के परसादे,
हमू ह सुग्घर गंगा नहायेन..
उहिच्छ ह राजिम भक्तिन कहाए.

कमलक्षेत्र पद्मावती पुरी ह,
देखो राजिम नाम धरावे.
तोर महिमा ह भारी हे दाई,
देवी देवता तोर जस गावे..
उहिच्छ ह राजिम भक्तिन कहाए.

छेरछेरा

रचनाकार -योगेश ध्रुव भीम

सुग्घर पुन्नी पुनवाश,
दान बरद के तिहार,
मोर राज के चिन्हारी,
आये हावे छेरछेरा तिहार

लईका धरे टुकनी,
जवनहा धरे काँवर,
घर घर के देराउठि म,
माँगे बर अन्न पुरना ल,
आये हावे छेरछेरा तिहार

छेरछेरा माई कोठी के,
धान ल हेर हेरा बोलथें,,
कोन्हों बजावत मोहरी,
कोन्हों बजावत दफड़ा,
आये हावे छेरछेरा तिहार

किसनहा मन होवत खुश,
धान-पान घलो लुवागेहे,
कोठार म सकलागेहे,
कोठी म घलो धरागेहे,
आये हावे छेरछेरा तिहार

अन्नपूर्णा ल मुठा भर,
लईका मन के टोली ल,
देवत हावे घलो दान,
पावत हावे असीस,
आये हावे छेरछेरा तिहार
अरन बरन कोदो दरन,
जभे देबे तभेच टरन,
तारा रे तारा लोहाटी तारा,
जल्दी-जल्दी बिदा करो,
जाबोन हमन दूसर पारा,
आये हावे छेरछेरा तिहार

बिन मौसम बरसात

रचनाकार -महेन्द्र देवांगन ' माटी'

बिन मौसम अब बरसा होवय, गिरय झमाझम पानी .
धान पान हा कइसे बाँचय, होय करेजा चानी ..
खेत खार मा करपा माढय , होवत हे नुकसानी .
कइसे लानय अब किसान हा, बुड़गे सब्बो पानी ..
माथा धरके बइठे हावय, रोवय सबो परानी .
धान पान हा कइसे बाँचय, होय करेजा चानी ..
करजा बोड़ी अब्बड़ हावय, छूट कहाँ अब पाबो.
धान पान हा होवय नइहे, काला अब हम खाबो ..
खरचा चलही कइसे संगी, कइसे के जिनगानी .
धान पान हा कइसे बाँचय, होय करेजा चानी ..
बिन मौसम अब बरसा होवय, गिरय झमाझम पानी .
धान पान हा कइसे बाँचय, होय करेजा चानी ..

तिरंगा के मान बढ़ाबोन

रचनाकार -तुलस राम चंद्राकर

हमर तिरंगा सबले बढ़िया ,
लहर लहर लहराबोन .
तीन रंग के हमर तिरंगा ,
ऐखर मान बढ़ाबोन ..
ये तिरंगा ल पाये खातिर ,
कतको जान गवाईस .
कतको वीर बलिदानी होगे ,
तब आजादी आईस ..
ईखर मान बढ़ाए बर ,
हमन तिरंगा फहराबोन....
तीन रंग के हमर तिरंगा ,
ऐखर मान बढ़ाबोन ..
भगत , आजाद , सुभाष ह संगी ,
जय हिंद नारा बोलाईस .
आजादी ल पाए खातिर ,
जनता मन ल जगाईस ॥
वन्दे मातरम के गाना ल,
मिलके सब झन गाबोन....
तीन रंग के हमर तिरंगा ,
ऐखर मान बढ़ाबोन ..
सत्य अहिंसा के बात ल,
गाँधी बबा ह बाताईस ॥
स्वदेशी अपनाए खातिर,
चरखा खुब चलाईस ॥
कतका दुख ल पाईस सबझन,
कइसे हमन भूलाबोन..
तीन रंग के हमर तिरंगा,
ऐखर मान बढ़ाबोन ..

गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं

रचनाकार -प्रिया देवांगन 'प्रियू,'

गणतंत्र के दिन हर आही
मिलजुल सब झन खुशी मनाहीं

नाचहीं- गाहीं लइका मन हर,
अउर तिरंगा ला लहराहीं

आहीं बड़े - बड़े सियान मन,
भासन मा उन ग्यान बताहीं

जउन देस के करें हें रक्षा,
उँखर मन के गुन ला गाहीं

बलिदान के का हवे मतलब,
ओहू ला हमला समझाहीं

किसनहा

रचनाकार -संतोष कुमार साहू - प्रकृति

मय छत्तीसगढ़ के किसनहा आंव, मय छत्तीसगढ़ के किसनहा
नांगर तुतारी मोर संगवारी , मय कामबुता मा अगवा आंव
1
रापा कुदारी धरके मय ह , खेत मा जाथंव बिहनिया
लहु बोहाके अन उपजाथंव , खेत म सरी मंझनिया
पथरा के छाती ल चीर के मेहा, सोने फर उपजैय्या आंव

भुंईया के कोरा मोर बिछौना , बादर के ओडहैय्या आंव
नुन चटनी बासी संग मा, पेठ के बरहा खवैय्या आंव
धान के बारी मोर कलगी हे, चिरहा ओनहा ओडहैय्या आंव

उडत- बुडत ले मय ह कमाथव, भुंईया के पियास बुझैय्या आंव
जम्मो झन बर पेज पसिया के, जुगत मय ह भिडैय्या आंव
गद- गद होथे मोरे मने ह, छत्तीसगढ़िया कहवैय्या आंव

मोर पीरा ला कोन ह जाने, सब के पीरा हरैय्या आंव
मया पिरीत के गठरी ल धरके , सब बर हिरदय खोलैय्या आंव
मीठ बोली कोनो बोले त , ओखर बर परान गवैय्या आंव

खेलगीत

रचनाकार - टीकेश्वर सिन्हा 'गब्दीवाला'

खेलकूद एक विद्या ए विद्या ए वरदान .
विभाग आदिम जाति कल्याण.....

बालोद जिला डौण्डी ब्लॉक,
ग्राम घोटिया संजय पारा .
चारों-मुँड़ा पहार-परवत,
रुखराई हरिहर डारा .
चिरई-चिरगुन के चींव-चाँव ले,
सुग्घर सोनहा बिहान .

विभाग आदिम जाति कल्याण.....
खो कबड्डी गोला फेंक,
खुरसी-दऊँड़ होवत हे .
सूजी-धागा बोरा-दऊँड़,
गोली-चम्मच चलत हे .
लइका-सियान बड़ खुश हें,
सइमो-सइमो मैदान .
विभाग जाति कल्याण......

गाँव ब्लॉक जिला ला,
खेल मं अलख जगाना हे .
खेलकूद के प्रतिभा ले,
छत्तीसगढ़ ला सजाना हे .
मया-पिरीत बिखरे इहाँ,
नई हें कोनों अपन-बिरान .
विभाग आदिम जाति कल्याण......

खेलकूद एक विद्या ए विद्या ए वरदान .
विभाग आदिम जाति कल्याण......

Visitor No. : 6744062
Site Developed and Hosted by Alok Shukla