विज्ञान के खेल - वर्षा मापक यंत्र
प्रस्तुतकर्ता एवं चित्र - विरेन्द्र कुमार चौधरी
सहायक सामग्री - कीटनाशक का खाली डिब्बा, लकड़ी का स्केल.
बनाने की विधि - खाली कीटनाशक डिब्बे के ऊपर के भाग को काट कर उसकी धारिता क्षमता को ऊपर से नीचे तक बराबर कर लेते हैं. और बन गया वर्षा मापक यंत्र. इसके साथ एक लकड़ी का स्केल बनाते हैं जिसमे सेंटीमीटर में माप चिन्ह अंकित करते है.
कार्यविधि – इस प्रकार कबाड़ से जुगाड़ करके बनाये गए वर्षा मापक यंत्र को खुली जगह में सुरक्षित करके रख देते हैं जिससे होने वाली वर्षा का जल उस यंत्र में एकत्रित हो जाता है. इस जल को निकालकर हम लकड़ी के स्केल को उस यंत्र रुपी डिब्बे के अंदर डालते हैं तो लकड़ी का स्केल जितनी बरसात हुई हुई उतना भीग जाता है और उसे हम अपनी पंजी में दिनाँक अनुसार दर्ज करते हैं.
प्रमाणिकता - हमने अपने विद्यालय शासकीय प्राथमिक शाला तिलाईदादर जून 2018 में तीन वर्षा मापक यंत्र बनाये और तीनों यंत्रों को खुली जगह में अलग अलग स्था न पर रखा. तीनों यंत्रों से वर्षा को मापकर परीक्षण किया. तीनों यंत्रों से बराबर पानी की मात्रा हमारे स्केल में दर्ज हुई.
उपयोग - इस प्रकार के वर्षा मापकर हम दैनिक होनी वाली वर्षा की वास्तविक जानकारी प्राप्त कर लेंगे.
लाभ –
- वास्तविक वर्षा का पता लगाना
- पूरे सत्र के वर्षा का पता लगाना
- बच्चो में वैज्ञानिक सोच पैदा करना
विशेष - इस प्रकार के वर्षा मापक यंत्र आसानी से बिना खर्च के बना सकते हैं.
अनुभव - हमारे विद्यालय का पूरा स्टाफ और गांव के किसानों इस यंत्र से जुड़ गए हैं और हम से मिलने पर वर्षा की मात्रा को पूछते हैं.
विज्ञान के खेल – स्थिर विद्युत
लेखिका एवं चित्र कांति नागे
अपने विद्यालय में प्रायोगिक गतिविधि के अंतर्गत पीवीसी के पाइप को कपड़े से रगड़ कर कर केन के डिब्बा को पीवीसी के पाइप के पास लाते हैं. केन का डिब्बा पीवीसी के पाइप की ओर आकर्षित होकर चलने लगता है. इसे देख कर छात्र बहुत खुश हुए. इस गतिविधि को देखकर छात्रों के मन में बहुत से प्रश्न उत्पन्न हुए, जिसकी जिज्ञासा शांत करने के लिये मैंने स्थिर विद्युत पाठ को समझा कर दिया. इस तरह छात्र स्वयं प्रयोग को दोहराने लगे. आवेशों में आकर्षण तथा प्रतिकर्षण तथा इलेक्ट्रॉनों को समझे. वह भी खेल खेल में.
कुछ छात्रों ने गुब्बाारे को रगड़ कर दीवार में आकर्षित कर दिखाया. गुब्बारे के पास पीवीसी के पाइप को रगड़ कर लाने लाने पर प्रतिकर्षण का प्रभाव दिखा. इस गतिविधि को कक्षा 6 व 7 में कराया. किंतु इसका प्रभाव संलग्न प्राथमिक शाला के छात्रों में भी दिख में भी दिख रहा था. कक्षा पहली दूसरी के बच्चे गुब्बारों को रगड़ कर दीवार पर आकर्षित कर रहे थे.