संकलनकर्ता - कु. सृष्टि मधुकर
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कल बनूं धड़ के बिना, मल बनूं सिर हीन ।
पैर कटे थोड़ा रहूं ,अक्षर हैं कुल तीन ।।
उत्तर :- कमल
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मध्य कटे तो सास बन जाऊं,
अंत कटे तो सार समझाऊं ।
मैं हूं पक्षी, रंग सफेद,
बताओ मेरे नाम का भेद ।
उत्तर :- सारस
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पूंछ कटे तो सीता, सिर कटे तो मित्र ।
मध्य कटे तो खोपड़ी, पहेली बड़ी विचित् र।।
उत्तर :- सियार
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सिर काटो तो तोला जाऊं,
पैर कटे तो वृक्ष कहलाऊं ।
कमर कटे तो जंगल जानो,
जरा मुझे तो तुम पहचानो ।।
उत्तर :- बटन
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प हटे तो लगता है कोड़ा,
नमक साथ में तीखा थोड़ा ।
खाने में यह सबको भाए,
खाते ही सबका मन हर्षाए ।।
उत्तर :- पकोड़ा