बालगीत

बंदर मामा


बंदर मामा पहन पजामा दावत खाने आये हैं

नीली टोपी पीला कुरता पहन बहुत इतराए हैं

रसगुल्ले पर जी ललचाया मुंह में रखा गप से

नरम नरम था गरम गरम था जीभ जल गई लप से

बंदर मामा रोते रोते वापस घर को आये हैं

फेंकी टोपी फेंका जूता रोये और पछताये हैं

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