जल

पाठ्य पुस्त्क के अनुसार जल का महत्व बच्चों को समझायें. इसके बाद बच्चों से मानव के शरीर में जल के विभिन्न उपयोगों के बारे में प्रश्न‍ करें. इसी प्रकार पौधों के लिये भी जल के उपयोग के संबंध में प्रश्न‍ पूछें. इन विषयों पर बच्चों से पोस्टर और कोलाज इत्यादि भी बनवायें. बच्चों को जल के महत्व के संबंध में यह वीडियो भी दिखायें -

बच्चों को अब यह बतायें कि प्रकृति में पाये जाने वाले जल में अक्सर अनेक प्रकार के रासायनिक पदार्थ मिल जाते हैं जो मनुष्य के स्वास्‍थ्‍य के लिये हानिकारक होते हैं. इसी प्रकार प्रकृति में पाये जाने वाले जल में अन्य प्रकार की गंदगी भी मिल जाती है. जल में बीमारी उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवी भी मिल सकते हैं. ऐसा जल पीने से बीमारी हो सकती है. अत: प्रकृति में पाये जाने वाले जल को बिना साफ किये पीना उचित नहीं है. जिस जल को हम पी सकते हैं, उसे पेयजल कहते हैं. इसके बाद बच्चों को जल प्रदूषण और उससे बचाव के विषय में यह वीडियो दिखायें –

बच्चों को जल में कीटाणुओं की जांच करने के संबंध में हाइड्रोजन सल्फाइड स्ट्रिप जांच के संबध में जानकारी दें और यदि संभव हो तो उन्हें कक्षा में यह टेस्ट कर के भी दिखायें.

यह टेस्ट करने की शीशियां बाज़ार में शायद न मिलें परंतु लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के पास मिल जायेंगी. कुछ जिलों में स्वास्थ्य विभाग भी इनका उपयोग करता है अत: इन जिलों में यह पास के शासकीय अस्पताल से भी प्राप्त की जा सकती हैं. यूनिसेफ भी कभी-कभी यह शीशियां समुदाय व्दारा पानी की जांच के लिये उपलब्ध कराता है. इस शीशी में बैक्टीरिया की ग्रोथ के लिये एक कल्चर मीडियम होता है. साथ ही लौह का एक यौगिक भी होता है. बीमारी उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया हाइड्रोजन सल्फाइड गैस बनाते हैं जो लौह के यौगिक के साथ क्रिया करके लौह की सल्फाइड बना देती है. लौह की सल्फाइड काले रंग की होती है इसलिये बैक्टीरिया युक्त पानी इस शीशी में भरकर लगभग 24 से 48 घंटे तक रखने पर इसका रंग काला हो जाता है, जबकि शुध्द पानी का रंग नहीं बदलता है.

आसुत जल – बच्चों को आसुत जल के संबंध में बतायें. यह जल का सबसे शुध्द रूप है. यदि हम जल को गर्म करके उसे वाष्प में परिवर्तित कर लें और उस वाष्प को ठंडा करके पुन: जल में परिवर्तित कर लें तो इस प्रकार बने जल को आसुत जल कहते हैं और इस क्रिया को आसवन कहते हैं. आसुत जल बनाने के लिये हम बच्चों को एक सरल प्रयोग करके दिखा सकते हैं –

एक बर्तन में साधारण जल लें. इस बर्तन को एक कांच के बड़े जार में रख दें. जार का मुह किसी पालीथीन से एयरटाइट कर बंद कर दें. इस जार को धूप में किसी आइने अथवा चमकीली सतह पर रखें जिससे धूप की गर्मी जार में जाये. कुछ देर में बर्तन में रखा पानी गर्म होकर वाष्प में परिवर्तित होगा और वाष्प जार के मुंह पर लगे पालीथीन से टकरा कर ठंडी होकर वापस पानी में बदल जायेगी. यह पानी बूंद-बूंद कर टपक कर जार में एकत्रित हो जायेगा. इस प्रकार आसुत जल तैयार हो गया. पालथीन को ठंडा रखने के लिये उसके ऊपर कुछ बर्फ के टुकड़े या फिर ठंडा पानी भी रखा जा सकता है. इस प्रकार वाष्पन से पानी की अशुध्दियां पानी में ही रह जाती है. वाष्प में यह अशुध्दियां नहीं जातीं. इस कारण इस वाष्प से बना पानी पूरी तरह से शुध्द होता है.

जल के भौतिक गुण - बच्चों को जल के भौतिक गुणों के बारे में बतायें. जल रंगहीन, स्वादहीन होता है. अधिकांश वस्तुएं इसमें घुलनशील हैं. जल ऊष्मा का कुचालक है. इसे दिखाने के लिये एक टेस्ट ट्यूब में पानी लें. उसमें एक बर्फ का टुकड़ा डालकर उसके ऊपर कुछ भार रख दें जिससे बर्फ ऊपर न तैरे बल्कि टेस्ट ट्यूब की तली पर रहे. अब एक बुन्सेन बर्नर लेकर टेस्ट ट्यूब को ऊपर से गर्म करें. टेस्ट ट्यूब के ऊपर के हिस्से में पानी उबलने लगेगा परंतु तली में रखा हुआ बर्फ नहीं पिघलेगा. इससे सिध्द हुआ कि पानी ऊष्मा का कुचालक है.

इसी प्रकार आसुत जल बिजली का कुचालक है. इसे दिखाने के लिये हम एक बैटरी सेल के दोनो छोर से तार बांधें. इसके बाद इस तार में एक बल्ब लगायें और तार के दोनो छोर आसुत जल मे डाल दें. बल्ब नहीं जलेगा. अब यदि हम इस आसुत जल में कुछ नमक मिला दें तो बल्ब जल उठता है क्यों कि नमक के आयनो से बिजली चालन हो जाता है.

जल का एक बड़ा मज़ेदार भौतिक गुण ठंडा होने पर उसमें होने वाला प्रसार है. जल का घनत्व 4 डिग्री सेंटीग्रेड पर सबसे अधिक हेाता है. इसीलिये बर्फ का धनत्व जल के घनत्व से कम होता है और बर्फ जल पर तैरता है. इसे हम बच्चों को आसानी से गतिविधि व्दारा दिखा सकते हैं.

जल हाइड्रोजन एवं आक्सीजन गैसों के संयोग से बनता है. इसे दि‍खाने के लिये जल का बिजली से अपघटन (इलेक्ट्रोलिसिस) कक्षा में करके दिखाया जा सकता है. इसे नीचे दिये गये वीडियो के अनुसार प्रदर्शित करें –

जल चक्र - बच्चों को बतायें कि वातावरण में जल सूर्य की गर्मी से लगातार एक चक्र में चलता रहता है. समुद्र और नदी तालाबों का जल सूर्य की गर्मी से वाष्प में बदल जाता है. यह वाष्प वातावरण में ऊपर जाकर ठंडी हो जाती है. इससे बादल बनते हैं. बादलों का पानी वापस धरती पर गिरता है. अधिक ऊंचाई पर तथा ठंडे स्थानो में यह पानी बर्फ बरकर गिरता है. ऊंचे पहाड़ो पर यह बर्फ जमी रहती है तथा अपने भार के कारण धीरे-धीरे ग्लेशियरों के रूप में नीचे को आती है. नीचे आकर यह बर्फ पिघलकर पानी बन जाती है और नदियों में बहकर फिर से समुद्र में पहुंच जाती है. इस प्रकार यह चक्र लगातार चलता रहता है. बच्चों से जल चक्र का पोस्टर और कोलाज आदि बनवायें.

जल प्रबंधन - बच्चों को बतायें कि यद्यपि विश्व का बड़ा भाग जल से ही बना है परंतु इसमें मानव के उपयोग करने योग्य जल बहुत कम है. इसलिये जल के प्रबंधन की आवश्यकता है. यदि जल का प्रबंधन ठीक प्रकार से नहीं किया गया तो जल की अत्यंत कमी हो जायेगी जिससे अनेक समस्याएं उत्पन्न होंगी. बच्चों को जल प्रबंधन पर यह वीडियो दिखायें –

बच्चों और ग्राम समुदाय के साथ मिलकर जल प्रबंधन का एक प्रोजेक्ट करायें. जल प्रबंधन पर अपनी पंचायत के सरपंच जी अथवा पंचायत सचिव के साथ बच्चों की चर्चा भी कराई जा सकती है.

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