पृथ्वी की आंतरिक संरचना
पृथ्वी की आंतरिक संरचना के संबंध में पाठ्य पुस्तक में बताया गया है कि इसे तीन प्रमुख परतों में बांटा गया है – भूपर्पटी, प्रावार और क्रोड. भूपर्पटी बाहरी ठोस परत है. प्रावार इसके अंदर की परत है जो बहुत गर्म है और पिघली चट्टानों से बनी है. सबसे भीतर क्रोड है जो सबसे अधिक गर्म है. इसके भी 2 भाग हैं. बाहरी भाग में पिघला हुआ लोहा है तथा भीतरी भाग में लोहा तथा निकल आदि धातुएं ठोस रूप में हैं.
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यहां विद्यार्थियों को निम्नलिखित बातें उदाहरण देकर और संभव हो तो गतिविधियों के माध्यम से समझाने की आवश्यकता है: -
इन गतिविधियों से बच्चे यह समझ सकेंगे कि पृथ्वी की बाहरी परत ठंडी और ठोस क्यों है और अंदरूनी भाग गर्म और पिघला हुआ क्यों है. दाब बढ़ाने पर द्रव के ठोस में परिवर्तन को दिखाकर यह समझाया जा सकता है कि क्रोड के अंदरूनी भाग में यद्यपि तापमान अधिक है तथापि पृथ्वी की बाहरी परतों के वज़न के कारण दाब इतना अधिक है कि अधिक तापमान पर भी लोहा द्रव से ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है.
अंत में यह बताने का प्रयास भी करना चाहिये कि वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी भूकंपों के कंपनो का माप लेकर प्राप्त की. यह कंपन दो प्रकार के होते हैं. एक तो वे कंपन जो ठोस तथा द्रव दोनो के पार जा सकते हैं, और दूसरे वे कंपन जो द्रव के पार नहीं जा सकते. वैज्ञानिकों ने भूंकपों के कंपनों को मापकर यह पाया कि यदि इन कंपनों को धरती के दूसरी ओर मापा जाये तो जो कंपन द्रव के आर-पार नहीं जा सकते हैं वे धरती के दूसरी ओर तक नहीं पहुंचते हैं. इस बात से यह सिध्द होता है कि धरती की अंदरूनी परत द्रव हैं.
