छत्तीसगढ़ी बालगीत

माँ

रचनाकार - निखिल तिवारी

माँ के आँचल की छैंया में,छैंया में,
बड़ा मजा आए सुतइया में.

माँ संग स्कूल जवइया में, जवइया में,
बड़ा मजा आए पढ़इया में.

माँ संग रोटी बनइया में, बनइया में,
बड़ा मजा आए खवइया में.

माँ संग खेल खेलइया में, खेलइया में,
बड़ा मजा आये हंसइया में.

बादर ह बदरावत हे

रचनाकार - महेन्द्र देवांगन माटी

बरसा के दिन आगे संगी, बादर ह बदरावत हे.
सुरूर सुरूर हवा चलत हे, पेड़ सबो लहरावत हे..

पुचुक पुचुक मेचका कूदे, पानी में टररावत हे.
उल्हा उल्हा पाना देखके, कोयली गाना गावत हे..

गडगड गडगड बादर गरजे, बछरू ह मेछरावत हे.
बरसा के दिन आगे संगी, बादर ह बदरावत हे..

नाँगर धर के सोनू कका, खेत डाहर जावत हे.
गाडा बइला फाँद के सरवन, खातू माटी लावत हे..

बड़े बिहनिया ललित भैया, खातू ल बगरावत हे.
बरसा के दिन आगे संगी, बादर ह बदरावत हे..

टपटप टपटप पानी गिरे, रेला घलो बोहावत हे.
कूद कूद के लइका नाचे, ओरछा में नहावत हे..

चिखला माटी में खेलत हावय, दाई ह खिसयावत हे
बरसा के दिन आगे संगी, बादर ह बदरावत हे..

पानी आगे

रचनाकार - बलदाऊ राम साहू

पानी आगे
मन हरसागे.

भाई छत्तर
आगे बत्तर.

धर ले नाँगर
समरथ जाँगर.

बाँवत कर ले
निकल घर ले.

खेत म जाबो
सुख ला पाब.

पढ़े ला आबे पाठशाला मा

रचनाकार - नंद कुमार सिंह

स्कूल खुल गे हे नोनी बाबू
पढ़े ला आबे पाठशाला मा
तहुं आबे अपन संगे संगे
मीना अऊ सीमा ला लानबे

खाये बर भात मिलही
पहिरे भर फराक
चढ़े बर साइकिल मिलही
पढ़े बर किताब

पढ़ई कर संगे संगे
बागवानी काम सीखबो
पेड़ पौधा लगाके
पर्यावरण ला बचाबो

खुल गे स्कूल

रचनाकार - महेत्तर लाल देवांगन 'राजू'

खुल गे स्कूल दाई ओ,
बस्ता मोर दे दे.
संगी साथी संग दाई,
स्कूल मोला जावन दे.

रामू जाथे, श्यामू जाथे
अउ जाथे भोला.
संग संग महुँ जाहुँ
संग जाही रमोला.

जाबे संग मोर दाई
नाम लिखाय बर
थारी बोतल देबे दाई
भात साग खाय बर.

स्कूल ड्रेस पुस्तक कापी
खाना फोकट मिलही
नई लागे बिसाय बर
सब्बो ल शासन देही.

नवा नवा शिक्षा आय हे
लइका ल सिखाय बर
खेल खेल म पढ़ई होही
पाठ सरल बनाय बर.

पढ़ लिखके मैं दाई
संस्कार पाहूं ओ
ददा दाई के नाम ल
उज्जर कराहूं ओ.

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