चित्र देख कर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको यह चित्र देख कर कहानी लिखने दी थी –

हमें जो कहानियाँ प्राप्त हुई हम नीचे प्रदर्शित कर रहे हैं

संतोष कुमार कौशिक द्वारा भेजी गई कहानी

हंस और उल्लू

एक समय की बात है. एक हंस तालाब के किनारे एक जंगल में रहता था. एक दिन एक उल्लू वहाँ पहुँचा. उल्लू खुद को दुनिया का सबसे सुंदर पक्षी समझता था.पर जब उसने हंस को देखा तो मन ही मन सोचने लगा-' अरे वाह! यह हंस कितना सुंदर है,शायद दुनिया का सबसे सुंदर पक्षी यही होगा इससे दोस्ती करनी चाहिए.' यह सोचकर उल्लू ने हंस से कहा-तुम कितने सुंदर और विशाल हो. लगता है कि तुम दुनिया के सबसे सुंदर पक्षी हो. मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ.

हंस बोला- दोस्ती तो मैं कर लूँगा लेकिन मुझसे भी ज्यादा सुंदर तोता है. तोते के अलग-अलग रंग होते हैं उसकी आवाज भी बहुत मधुर होती है इसलिए मुझे लगता है तोता ही इस दुनिया का सबसे सुंदर पक्षी है.यह सुनकर उल्लू जंगल में तोते के पास जा पहुँचा, वहाँ तोता पेड़ पर बैठा हुआ था.उल्लू तोते से बोला-' तोता भैया तुम इस दुनिया के सबसे सुंदर पक्षी हो मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ.'

तोता बोला-' भाई दोस्ती तो मैं कर लूँगा.लेकिन मुझसे भी सुंदर पक्षी मोर है. मोर रंग बिरंगे पंखों वाला पक्षी है इसलिए मुझे लगता है कि मोर ही इस दुनियां का सबसे सुंदर पक्षी है. तोते की बात सुनकर उल्लू मोर के पास गया और बोला -'मोर भैया क्या तुम ही दुनिया के सबसे सुंदर पक्षी हो ? तुम तो सच मे बहुत सुंदर दिख रहे हो क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे?

यह सुनकर मोर ने कहा-'दोस्ती तो मैं तुमसे कर लूँगा लेकिन पहले मेरी बात सुनो. मेरी इसी सुंदरता के कारण मानव मुझे पिंजरे में बंद कर लेता है. मेरे पंख नोंचकर लोग बाजार में बेच देते हैं. मेरी सुंदरता ही मेरी सबसे बड़ी दुश्मन है. तुमने सुना ही होगा-
जो अधिक गुणवान होते हैं उनके गुणों के कारण उनका ही नुकसान होता है
जैसे मीठे गन्ने को कोल्हू में पेरा जाता है..ठीक इसी प्रकार हमारा हाल है.
मुझे तो लगता है कि उल्लू भाई तुम ही इस दुनिया में सबसे सुखी पक्षी हो क्योंकि बिना डरे खुले आम घूम सकते हो,ईश्वर ने तुम्हे ऐसी नजर दी है कि तुम रात में भी सबकुछ देख सकते हो. मोर की यह बात सुनकर उल्लू खुश हो गया और वहाँ से खुशी-खुशी अपने घर लौट गया.

कु. श्रद्धा सुर्यवंशी, कक्षा आठवीं, शा.पू.मा.शाला, पंधी, बिलासपुर द्वारा भेजी गई कहानी

सच्ची मित्रता

जंगल में एक हंस रहता था. उसका कोई दोस्त नहीं था. हंस सोचता था कि काश मेरा भी कोई दोस्त होता तो कितना अच्छा होता! एक दिन बाद वहाँ एक उल्लू आया. हंस ने उल्लू से बातचीत की और कुछ ही देर में उनकी आपस में दोस्ती हो गई. उल्लू कुछ दिनों तक वहाँ रहा और जब मौसम बदला, गर्मी के दिन आए तो उस जगह को छोड़ कर चला गया. उल्लू के जाने के बाद हंस फिर अकेला हो गया उसे उल्लू की बहुत याद आती थी. हंस एक दिन उल्लू से मिलने गया. हंस को पहुँचते-पहुँचते रात हो गई.हंस रात को उल्लू के साथ ही रुक गया.रात को कुछ राहगीर आकर उसी पेड़ के नीचे विश्राम करने लगे.राहगीरों को वहाँ से भगाने के लिए उल्लू जोर जोर से चिल्लाने लगा. एक राहगीर को उल्लू का चिल्लाना अच्छा नहीं लगा इसलिए वह गुलेल से उल्लु को मारने की कोशिश करने लगा. पर उल्लू रात के समय देख पाते है इसलिए उल्लू ने अपने आप को तो बचा ही लिया साथ ही उसने हंस को भी पत्थरों से बचाया.

जान बचाने के लिए हंस ने अपने दोस्त उल्लू का शुक्रिया अदा किया और उनकी दोस्ती और भी पक्की हो गई.कुछ दिनों तक उल्लू के साथ रहने के बाद हंस अपने घर लौट आया. बाद में भी दोनों दोस्त एक दुसरे से मिलने मौसम के अनुसार आते जाते रहते थे.

कु. सुनीता साव कक्षा ग्यारहवीं, शास.उ.माध्य.शाला सांकरा, महासमुंद द्वारा भेजी गई कहानी

उल्लू और हंस की दोस्ती

एक जंगल था. उस जंगल में एक तालाब था. उस तालाब के किनारे एक हंस रहता था. उसी तालाब के किनारे एक बहुत बड़ा सा पेड़ था. एक दिन वहाँ एक उल्लू आया और उस पेड़ पर बैठकर नीचे देखने लगा. नीचे तालाब में एक हंस को देखकर उल्लू बहुत खुश हुआ. उसने सोचा कि अब वह यहीं रहेगा. उल्लू ने हंस से दोस्ती करनी चाही. पर हंस ने उल्लू को बताया कि यह तालाब गर्मी के दिनों में सूख जाता है तो बेहतर यही होगा कि वह अपने रहने के लिए कोई दूसरी जगह ढूँढ ले. पर उल्लू वहाँ से नहीं गया,क्योंकि वह जगह उसे बहुत ही शांत और आरामदायक लगी. अब हंस भी खुश हो गया कयोंकि उसे एक दोस्त मिल गया था. वे दोनों खुशी-खुशी वहाँ रहने लगे.

गर्मियों के दिन आने लगे और तालाब का पानी धीरे-धीरे सूखने लगा. उल्लू को अब वहाँ रहना बहुत मुश्किल लगने लगा. हंस भी पानी के बिना परेशान हो गया था. एक दिन हंस ने उल्लू से कहा कि वह उसकी चिंता न करके किसी पानी वाली जगह पर चला जाए. पर उल्लू नहीं माना. उसने हंस से कहा 'दोस्त जिएँगे साथ में और मरेंगे भी साथ में'. उल्लू की बात सुनकर हंस को अपनी दोस्ती पर गर्व हुआ. उसने उल्लू को अपनी पीठ पर बिठाया और वे दोनों उड़ चले एक नई जगह की तलाश में.

यशवंत कुमार चौधरी द्वारा भेजी गई कहानी

जीवन में शांति, मित्रता और पर्यावरणीय संतुलन

एक गाँव था. इस गाँव के लोगों का जीव –जंतुओ के प्रति व्यवहार बहुत क्रूर था. गाँव के निवासी जीव जंतुओं, पक्षियों का शिकार बनाने की फिराक में घूमते रहते थे. गाँव के लोग पेड़ों को भी बड़ी संख्या में काटते थे और अपनी जरूरतों को पूरा करते थे.

हुआ यूँ कि एक दिन गाँव का एक आदमी बीमार पड़ गया उसे डाँक्टर के पास ले जाया जा रहा था तभी रास्ते में एक बुजूर्ग ने नसीहत दी कि आपको यह बीमारी आपकी अपनी करतूतों की वजह से हुई है जिसका परिणाम आपके साथ ही और लोग भी भुगतेंगे. यह सुनकर बीमार आदमी काफी आहत हुआ और उसने ठान लिया कि अब पर्यावरण की संतुलन हेतु कारगर कदम उठाने की जरुरत है. डाँक्टर के पास से लौटकर उसने ग्रामीणों की एक बैठक बुलाई और पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के लिए जागरुक होकर कार्य करने जीव -जंतुओं की रक्षा करने पर सभी की सहमति हुई. बस फिर क्या था! देखते ही देखते गाँव की तस्वीर बदल गई लोगों की सोच में बदलाव आया जिसका वातावरण पर असर दिखने लगा. अब गाँव के तालाब का पानी निर्मल स्वच्छ हो गया,पेड़ों में नई जान आ गई. इसी बीच उल्लू और हंस के बीच तालाब के पास मित्रता हुई और आपस में खूब सारी बातें हुई. उल्लू ने कहा- देखो फूल भी अब मुस्कुराना लगे हैं और सारा पर्यावरण खिल उठा है. अब गाँव में स्वच्छ वातावरण,पर्यावरण सुधार के साथ शांति,समभाव और सहयोग की लहर उमड़ चली थी. अब गाँव में मानव और जीव -जंतुओं के बीच सौहार्द्रपूर्ण वातावरण निर्मित हो गया है. पक्षियों,जीव जंतुओं की उलझी हुई जिंदगी सुलझ गई है. लोगों को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होने का नतीजा है कि यह सब कुछ हुआ.

इसका दूरगामी प्रभाव यह हुआ कि नई पीढ़ी भी अब गाँव को समृद्ध बना रहे हैं.

अगले अंक की कहानी हेतु चित्र

अब आप दिए गये चित्र को देखकर कल्पना कीजिए और कहानी लिख कर हमें यूनिकोड फॉण्ट में टंकित कर ई मेल kilolmagazine@gmail.com पर माह की 15 तारीख तक भेज दें. आपके द्वारा भेजी गयी कहानियों को हम किलोल के अगल अंक में प्रकाशित करेंगे

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