कार्य ऊर्जा तथा मशीने
जब हम किसी वस्तु पर बल लगाकर उसे विस्थापित करते हैं तो हम कार्य करते है. यदि बल लगाने पर भी वस्तु विस्थापित नहीं हुई तो कार्य नहीं हुआ है. किये गये कार्य की गणना लगाए गए बल में वस्तु के विस्थापन की दूरी का गुणा करके की जाती है. अत: यदि किसी वस्तु पर 6 न्यूटन बल लगा और उसका विस्थापन 2 मीटर हुआ तो इसमें 6 गुणित 2 अर्थात 12 जूल कार्य हुआ.


कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं. ऊर्जा का मात्रक भी जूल ही है. ऊर्जा के अनेक रूप हैं. पहले बच्चों को यांत्रिक ऊर्जा के बारे में बतायें. किसी वस्तु की स्थिति के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है वह उसकी स्थितिज ऊर्जा कहलाती है. वस्तु की गति के कारण उसमें जो ऊर्जा है वह उसकी गतिज ऊर्जा कहलाती है. स्थितिज ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में बदला जा सकता है. यदि किसी वस्तु को ऊंचाई पर रखा जाये तो उसमें स्थितिज ऊर्जा बढ़ जायेगी. अब यदि उसे नीचे गिरने दिया जाये तो उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जायेगी और वह वस्तु नीचे की ओर गति करेगी.

इसके बाद बच्चों को बतायें कि ऊर्जा के विभिन्न रूप हैं – यांत्रिक ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, ऊष्मा, प्रकाश, ध्वनि और विय्दुत. ऊर्जा के इन रूपों के दैनंदिन जीवन के उदाहरण बच्चों को दें. इसके बाद ऊर्जा के एक रूप को दूसरे रूप में बदलने के उदाहरण बच्चों दें –
ऊष्मा का यांत्रिक ऊर्जा में बदलाव – पानी का उबलना –

ऊष्मा का प्रकाश में बदलना – जलती मोमबत्ती –

यांत्रिक ऊर्जा का ऊष्मा में बदलना – हाथों को आपस में रगड़कर ऊष्मा उत्पन्न करना –

प्रकाश का रासायनिक ऊर्जा में बदलना – पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण –

रासानिक ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में बदलना – भोजन का पाचन और उससे ऊर्जा उत्पन्न होना -

रायासनिक ऊर्जा का विय्दुत और विय्दुत का प्रकाश में बदलना – बैटरी से बल्ब का जलना –

विय्दुत का ध्वनि में बदलना – रेडियो –

यांत्रिक ऊर्जा का ध्वनि में बदलना – वाद्य यंत्र बजाना –

विय्दुत ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में बदलना – विय्दुत मोटर –

एक कागज़ को गोला काट कर उसमें कुछ पंख बना लें. इसे एक स्टील के स्क्रू में फंसा लें. इस स्क्रू की टोपी पर निकोडियम चुम्बक चिपका दें. इस स्क्रू को एक बैटरी सेल के पाजिटिव पोल पर लगा दें. शक्तिशाली निकोडियम चुम्बक के कारण स्क्रू चिपका रहेगा. इसके बाद एक एल्यूमिनियम फायल लेकर उसे बैटरी सेल के निगेटिव पोल से एक साधारण लोहे के चुम्बक से चिपका दें. एल्यूलमिनियम फायल का दूसरा छोर स्क्रू की टोपी पर लगायें. स्क्रू और उसके साथ कागज़ के पंख धूमने लगेंगे.

दूसरे प्रकार की मोटर भी बनाई जा सकती है – एक तांबे का तार लेकर चित्र में दिये अनुसार उसका लूप बनायें. इसके बाद इस तार को दूसरे चित्र के अनुसार मोड़ लें जिससे इसके दोनो स्तंभ एक बैटरी सेल से करीब 2 सेन्टीमीटर दूर हों.


बचे हुए अतिरिक्त तार को काट दें. इसके बाद आपकी मोटर तैयार है. इसे एक बैटरी सेल में इस प्रकार फंसायें कि तार का लूप सेल के पाजिटिव पोल में फंस जाये और खुले हुए सिरे सेल के निगेटिव पोल को छूते हुए हों.


आपकी मोटर सेल में लगाते ही घूमने लगेगी -

यांत्रिक ऊर्जा को विय्दुत ऊर्जा में बदलना – साइकिल डायनेमो –

कक्षा में डायनेमो बनाना – अरविंद गुप्ता जी के विडियो में देखें -
सरल मशीने –
उत्तोलक प्रथम श्रेणी –

उत्तोलक व्दितीय श्रेणी –

उत्तोलक तृतीय श्रेणी –

आनत तल – कक्षा में एक पटिया रखकर आसानी से भार ऊपर ठेलकर दिखाये -

कन्नी – इसमे दोनो ओर आनत तल होते हैं जैसे कुल्हाड़ी. इससे बेहतर तरीके से बल लगता है -

स्क्रू – यह भी एक प्रकार का आनत तल ही है -

घिरनी – कुएं से पानी निकालने की घिरनी, कक्षा में भी घिरनी से भार उठाकर दिखायें -

पहिया एवं धुरी – मोटर का पहिया, बैलगाड़ी का पहिया आदि -
