आओ मिल त्यौहार मनाएं

लेखिका - श्वेता तिवारी

आओ मिल त्यौहार मनाएं
हम सबके हैं सभी हमारे
सबसे मिल त्यौहार मनाएं
होली के रंग खेले
दीवाली के सब दिए जलाएं
ईदी ले अम्मी के हाथों
मीठी मीठी सेवई खाएं
ईसा मसीह का जन्म दिवस
या लीलाएँ हो राम की
गुरुपूरब ओणम और राखी
विजयदशमी कृष्ण की झांकी
किसी घर व्दार ना रहे अंधेरा
ऐसा उजियारा दिखाएं
सांता क्लॉस घर घर जाए
नए-नए उपहार दिलाए
कहीं कोई भूखा ना प्यासा
ऐसा कुछ जादू दिखाएं
छलका कर मस्ती का प्याला
गम सारे हम दूर भगाएं
खेले कूदें गाना गाए
नाच नाच कर धूम मचाए
आओ मिल त्यौहार मनाए
हम सबके हैं सभी हमारे
सबसे मिल त्यौहार मनाएं

आम फलों का राजा है

लेख‍िका - सुधा उपाध्याय

मटकू दादा हलवाई की
एक छोटी सी है दुकान

चुनिया- मुनिया सैर पे जाते
लेकर आते खूब सामान

गरम जलेबी दूध मलाई
खाकर सब ने धूम मचाई

हंसते गाते शाला आई
नाच कूद कर करी पढ़ाई

अ से अनार आ से आम
मिलकर होता सारा काम

आम फलों का राजा है
खाओ ताकत लाता है

आसमान पर

लेखक - नेमीचंद साहू

नीला-नीला अम्बर देखो
कितना सुंदर कितना प्यारा
फ़ैला उजियारा चारों ओर
जैसे हो आंखों का तारा

लाल-लाल गोले के जैसा
निकला सूरज आसमान पर
बनकर दूल्हा निकल पड़ा है
मंगल गाते घर-घर पर

सितारों को लेकर साथ
देखो चली हैं चंदा रानी
चमके चांदनी गगन पर
लगे सुंदर रंग आसमानी

कछुआ और खरगोश

लेखिका - प्रिया देवांगन प्रियू

कछुआ और खरगोश
हुई दोनो में रेस
बहुत घमण्डी था खरगोश
मारता था वह टेस
दोनों में एक बात चली
चलो लगाएँ रेस

हाथी आया बंदर आया
आया जंगल का राजा
चिड़िया रानी गाना गाई
लोमड़ी ने बजाया बाजा

दोनो निकले रेस लगाने
खरगोश ने दौड़ लगायी
धीरे-धीरे चलकर कछुआ
मंद-मंद फिर था मुस्काया

थक कर बैठा गया खरगोश
खाने लगा वह गाजर
खाते-खाते वहीं सो गया
अपनी नाक बजाकर

कछुआ आया धीरे-धीरे
देखा खरगोश को सोते
निकल पड़ा वह आगे भैया
बहुत ही खुश होते-होते

नींद खुली जब खरगोश की
फिर से दौड़ा होकर खुश
जीत गया पीर कछुआ राजा
ख़रगोश को हुआ दुःख

आया जंगल का राजा
कछुआ को दिया पुरस्कार
घमंडी एक खरगोश का
हो गया तिरस्कार

चमन ये चमन है ये अपना चमन

लेखक एवं चित्र - त्रिलोकी नाथ ताम्रकार

चमन ये चमन है ये अपना चमन
इस चमन में खिले हैं लाखों सुमन
हर सुमन का कथन है ये मेरा वतन

नहीं सिक्ख ईसाई कोई हिंदू मुसलमान
हर कोई गा रहे गीत वतन का
रंग रूप जाति धरम का संगम
चारों दिशा गूंज रहे जन गण मन
कहे धरती गगन है ये मेरा वतन-मेरा वतन।

घर-घर लहराया देखो प्यारा तिरंगा
ये तो निशां बन गया चैन अमन का
सत्य अहिंसा त्याग प्रेम का परचम
हर कोई बोल रहे वंदे मातरम
कहे धरती गगन है ये मेरा वतन-मेरा वतन
चमन ये चमन है ये अपना चमन

चलो बाजार

लेखक - टीकेश्वर सिन्हा गब्दीवाला

दोनों हाथों में लेकर झोला
मनु बाड़ी में जाकर बोला

सुनो सब्जियों ! हो जो भी
भटा मूली सेम गोभी

अरे हो जाओ अब तैयार
तुम्हें चलना है जी बाजार

कान देकर सबने सुना
कुंदरू करेला टमाटर तुमा

मिर्ची के संग मेथी इतराई
टिंडा कद्दू डोड़का तोराई

हरी-हरी भिण्डी मुस्काई
पालक धनिया और चवलाई

जंगल में

लेखक – बलदाऊ राम साहू

बंदर मामा बजा रहे थे
ताल मिलाकर ढ़म-ढ़म ढ़ोल
और बंदरिया गा रही थी
चंदा गोल जी सूरज गोल

साथी बंदर दौड़े आये
मारा ठुमका नाच दिखाये
गीदड़ लोमड़ी और सियार
सबने अपने राग मिलाए

भालू आया हिरन भी आए
वे भी झूमे नाचे गाए
हंसी-खुशी के इस अवसर पर
जंगल में सब खुशी मनाएं

धूप

लेखक - बलदाऊ राम साहू

सुबह - सुबह आती है धूप।
हँसती, खिलखिलाती है धूप।

रोज बिहाने औषधि-सी लगती,
दुपहरी में डराती है धूप।

आ जाती है चोटी को छूकर,
सागर को गरमाती है धूप।

लेकिन साँझ ढल जाती है जब
जानें कहाँ छिप जाती है धूप।

नववर्ष की शुभकामनाएं

लेखक - संतोष कुमार कौशिक

आपकी ज़िंदगी में खुशियों की बहार आए
आपको देते हैं हम नववर्ष की शुभकामनाएं

आपका प्यार जो हमने है पाया
हम पर बनी रहे सदा आपकी छत्रछाया

ये प्यार सदा ऐसा ही हम पर बनाएं
आपको देते हैं हम नव वर्ष की शुभकामनाएं

सभी शिक्षक साथी अपने स्कूल में पढ़ाते हैं
नई-नई विधाओं से बच्चों को समझाते हैं

नवाचार स्कूल तक ही सीमित नहीं उसे आगे बढ़ाएं
आपको देते हैं हम नववर्ष की शुभकामनाएं

नम्र सदा तुम रहना प्यारे, तभी श्रेष्ठ कहलाओगे
नम्र रहोगे तभी बालकों, जीवन की कली खिलाओगे

आपका जीवन खुशियों से भर जाए
आपको देते हैं हम नववर्ष की शुभकामनाएं

लेखक हूं, न कवि हूं, लिखता हूं दिल की बातें
बच्चों के बारे में सोचता हूं दिन रातें

गलती हो तो क्षमा कीजिए ये है हमारी भावनाएं
आपको देते हैं हम नववर्ष की शुभकामनाएं

पढ़ो आगे बढो

लेखिका - नंदा देशमुख

पढ़ो आगे बढो, पढ़ना जीवन की शान,
पढने से उन्नति होती, जीवन बनता महान,
होते हम संस्कारवान, पढ़ना है संजीवन,
हम सदा सीखते रहते, चलती पढ़ाई आजीवन,
पढने से पुरुषार्थ आता ,आता वैभव जीवन में,
पढाई का महत्व उतना, जितना फूल चमन में,
जो पढता,वो गढ़ता,सुधार समाज छूता गगन,
उठो प्रेरणा स्रोत बनो, पढ़ने का करो जतन

मुर्गा बोला

लेखक – बलदाऊ राम साहू

मुर्गा बोला कुकडूं कूं
हुआ सवेरा उठ जा तू
अब तक क्‍यों तू सोया है
जो सोया वह खोया है
देखो वह सूरज आया
पूरब का मन हरषाया
पंछी गा रहे हैं गीत
प्रकृत‍ि का मधुर संगीत
जब-जब भौंरे गाएंगे
तब-तब फूल मुसकाएंगे

मै सरहद पर जाऊंगा

लेख‍िका – सेवती चक्रधारी

मै सरहद पर जाऊंगा
मां! मुझको तु बन्दूक दे दे
मै शरहद पर जाऊंगा।
देश की रक्षा के खातिर
सीने में गोली खाऊंगा।
नहीं डरूंगा दुश्मन से
शेर सी दहाड़ लगाऊंगा।
एक एक को चुन चुन कर
मौत की नींद सुलाऊंगा।

शहीदों को नमन

लेखक - नेमीचंद साहू

याद करो कुर्बानी जिनसे
हर ओर शांति-अमन है
उन शहीदों को आज
सौ-सौ बार नमन है

आजादी के फूल खिलाकर
पुलकित हुआ चमन है
उन शहीदों को आज
सौ-सौ बार नमन है

जोश उमंग भरा हुआ
गौरवान्वित गगन है
उन शहीदों को आज
सौ-सौ बार नमन है

सत्य अहिंसा के दम पर
हुआ आजाद वतन है
उन शहीदों को आज
सौ-सौ बार नमन है

शेर आया

लेखक - ध्रुवकुमार महंत

भागो बकरी शेर आया
जंगल है खाली खाली
करो न अब देर कोई
टूट गयी है मोटी जाली
देखो भालू भाग रहा है
शेर पीछे जा रहा है
हिरन को कर देगा ढ़ेर
करो नहीं अब कोई देर

संविधान

लेखक - भानुप्रताप कुंजाम अंशु

नहीं किसी से भेदभाव, सब के लिए प्रेम भाव
गरिमा पूर्ण जीवन का, करो अपने मन का
स्वतंत्रता का अधिकार है, न्याय का यहाँ द्वार है
है सब के लिए समाधान, जय हो जय संविधान

राष्ट्रीय संपदा की रक्षा करें, वन्यजीव वृक्ष की रक्षा करें
लड़ो नहीं जात पात में, मिल जुल कर चलो साथ में
देता हौसला आगे बढ़ने का, राष्ट्र के लिए नेक करने का
मेरा देश सबसे महान, जय हो जय संविधान

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, लड़ो नहीं आपस में भाई
घर-घर में संविधान होगा, जन-जन का समाधान होगा
हम भारती भारतीय धर्म हमारा, सबसे बढ़कर यह ग्रंथ हमारा
करें मिलकर गुणगान, जय हो जय संविधान

चमन ये चमन है ये अपना चमन

लेखक एवं चित्र - त्रिलोकी नाथ ताम्रकार

चमन ये चमन है ये अपना चमन
इस चमन में खिले हैं लाखों सुमन
हर सुमन का कथन है ये मेरा वतन

नहीं सिक्ख ईसाई कोई हिंदू मुसलमान
हर कोई गा रहे गीत वतन का
रंग रूप जाति धरम का संगम
चारों दिशा गूंज रहे जन गण मन
कहे धरती गगन है ये मेरा वतन-मेरा वतन।

घर-घर लहराया देखो प्यारा तिरंगा
ये तो निशां बन गया चैन अमन का
सत्य अहिंसा त्याग प्रेम का परचम
हर कोई बोल रहे वंदे मातरम

कहे धरती गगन है ये मेरा वतन-मेरा वतन
चमन ये चमन है ये अपना चमन

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