कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिए दी थी –

लोमड़ी और बकरी

एक समय की बात है, एक लोमड़ी घूमते-घूमते एक कुएं के पास पहुंच गई। कुएं की जगत नहीं थी. उधर, लोमड़ी ने भी इस और ध्यान नहीं दिया. परिणाम यह हुआ कि बेचारी लोमड़ी कुएं में गिर गई.

कुआं अधिक गहरा तो नहीं था, परंतु फिर भी लोमड़ी के लिए उससे बाहर निकलना सम्भव नहीं था. लोमड़ी अपनी पूरी शक्ति लगाकर कुएं से बाहर आने के लिए उछल रही थी, परंतु उसे सफलता नहीं मिल रही थी. अंत में लोमड़ी थक गई और निराश होकर एकटक ऊपर देखने लगी कि शायद उसे कोई सहायता मिल जाए.

लोमड़ी का भाग्य देखिए, तभी कुएं के पास से एक बकरी गुजरी. उसके कुएं के भीतर झांका तो लोमड़ी को वहां देखकर हैरान रह गई.

“नमस्ते, लोमड़ी जी!” बकरी बोली- “यह कुएं में क्या कर रही हो?”

“नमस्ते, बकरी जी!” लोमड़ी ने उत्तर दिया- “यहां कुएं में बहुत मजा आ रहा है.”

हमे बहुत से लागों ने यह कहानी पूरी करके भेजी है. उनमें से कुछ हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं -

इंद्रभान सिंह कंवर व्दारा पूरी की गई कहानी

बकरी ने लोमड़ी से कहा तब तो मुझे भी इसका आनंद लेना चाहिए. तब लोमड़ी ने कहा बिल्कुल भी देर मत करो और आ जाओ मेरे साथ हम दोनों मिलकर इसका आनंद उठाते है. और इतना कहकर बकरी भी लोमड़ी के साथ कुआं में कूद जाती हैं. इसके पश्चात लोमड़ी चलाकी दिखाते हुए बकरी के पीठ पर पैर रखकर झट से कुएं के ऊपर आ जाती है.

बाहर आते ही लोमड़ी के मन में बकरी को खाने का विचार आता है. लेकिन वह सोचती है कि इसे मैं बाहर कैसे निकालूं. कुएं के अंदर से बकरी भी लोमड़ी को बाहर निकालने के लिए आवाज लगाती है. तब लोमड़ी बड़े प्यार से कहती है कि रुको मैं अभी तुम्हें निकालने के लिए कुछ इंतजाम करता हूं. और इतना कहकर वह जंगल के अंदर की ओर चली जाती है जहां उसकी मुलाकात जंगल के राजा शेर से होती है. वह शेर को बताती है कि राजा जी मैंने आपके लिए आज अच्छे खाने का इंतजाम किया है. शेर उससे पूछता है कहां है वह अच्छा खाना. तब लोमड़ी बोलती है इसके लिए आपको थोड़ी सी मेहनत करनी पड़ेगी. इतना कहते हुए वह पूरा घटना शेर को बताती है. फिर उसे कुएं के पास लेकर आ जाती है. वह शेर से कहती है की आप कुएं के अंदर जाइए तथा बकरी को बाहर निकालिए उसके पश्चात मैं भी आपको बाहर निकाल लूंगी. फिर दोनों जन मिलकर इसको बड़े मजे से खा जाएंगे. ऐसा कहकर वह शेर को कुएं में उतार देती है. शेर बकरी को बाहर निकालता है. लोमड़ी अपनी चालाकी दिखाते हुए अकेले ही बकरी को चट कर जाती है. अंदर से शेर सिर्फ चिल्लाता ही रह जाता है. लोमड़ी वहां से नौ दो ग्यारह हो जाती है.

सीख - इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है, कि हमें बकरी की तरह अत्यंत सीधा भी नहीं होना चाहिए जो झट से किसी के बहकावे में आ जाए और न ही शेर की तरह जो कि किसी भी तरह के प्रलोभन में आ जाए.

संतोष कौशिक व्दारा पूरी की गई कहानी

जैसे ही लोमड़ी ने कहा - कुएं में बहुत मजा आ रहा है, वैसे ही बिना सोचे समझे बकरी मजा लेने के लिए कुएं में छलांग मार देती है. उसे देखकर लोमड़ी बहुत खुश हो गई. चलो कुएं से निकलने का मेरा रास्ता खुल गया. बकरी कहती है - लोमड़ी बहन यहां तो कुछ मजा नहीं आ रहा है. मैं तो यहां आकर फंस गई. लोमड़ी कहती है - नहीं बहन मेरे पास एक तरकीब है, यहां से निकलने की. आप दो पैर पर खड़ी हो जाओ. मैं आपकी पीठ के सहारे छलांग मारकर बाहर निकलती हूं. उसके बाद मैं तुम्हें भी निकाल लूंगी. बाहर निकल कर हम दोनों मजा लेते हैं.

भोली बकरी फिर से उसके बातों पर आकर दो पैर के सहारे खड़ा हो जाती है. लोमड़ी छलांग मारने वाली होती है उसी समय बकरी को समझ में आ जाता है कि लोमड़ी मुझे फिर से धोखा दे रही है. अब इसके झांसे में नहीं आने वाली हूं. यह सोचकर वह पैर नीचे कर लेती है और लोमड़ी से कहती है - तुम धोखेबाज और चालाक हो. तुम्हारे अंदर कपट की भावना है. मैं अब तुम्हारी बातों में नहीं फ़ंसूंगी

इधर बकरी का दोस्त बंदर, पेड़ पर बैठा रहता है, जो यह सब लोमड़ी की चालाकी को देखता रहता है. बंदर भी समझ जाता है कि लोमड़ी चालाक है. इसको आज सबक सिखाने की जरूरत है. सोचकर कुएं के पास आता है. बकरी को निकालने के लिए अपनी पूंछ को कुएं के अंदर डाल कर अपनी दोस्त बकरी से कहता है - तुम मेरी पूछ के सहारे कुएं से बाहर निकल जाओ. मैं तुम्हारी सहायता करता हूं. बकरी बंदर की पूंछ को पकड़कर कुएं से बाहर निकल जाती है.

इधर लोमड़ी, बंदर और बकरी से कुएं से निकालने के लिए बार-बार प्रार्थना करती है, लेकिन बंदर और बकरी उसे बाहर नहीं निकलते. बन्दर लोमड़ी से कहता है कि तुम बहुत चालाक हो. वन में रहने वाले सभी जीव जंतुओं से चालाकी करके अपना काम निकाल लेती हो. इस बार तुम्हारी चालाकी काम में नहीं आएगी. जैसा बीज बोया है वैसा फल पाओगी. ऐसा कहकर बकरी और बंदर अपने-अपने घर चले जाते हैं. लोमड़ी को अपने किए पर पछतावा होता है.

उसी समय भालू भोजन की तलाश में घूमते हुए कुंएं के पास आ जाता है. लोमड़ी को कुएं के अन्दर देख कर भालू बहुत खुश होता है और वह लोमड़ी को अपना शिकार बना लेता है.

शिक्षा - हमें सोच समझकर कार्य करना चाहिए. असत्य का मार्ग अपनाते हैं तो उसका परिणाम एक ना एक दिन हमें भोगना पड़ता है अतः हमें सत्य के मार्ग पर हमेशा चलना चाहिए.

सेवती चक्रधारी व्दारा पूरी की गई कहानी

लोमड़ी तो थी बहुत चालाक. उसे भूख भी लग रही थी. उसने सोचा कि किसी तरह इस बकरी को कुएं के अंदर बुला लूं तो भोजन का बंदोबस्त हो जाएगा. लोमड़ी ने बकरी से कहा - यह बात किसी को मत बताना. यह कोई साधारण कुआं नहीं है जादुई कुआं है. इसके अंदर आकर तुम जो मांगो वह मिल जाता है. हां! पर यह कुछ-कुछ समय के अंतराल में होता है. मैंने अभी-अभी अपनी पसंद की खीर-पूड़ी खाई है. बकरी बहुत सीधी थी, तो उसकी बातों में आ गई. वह बोली - अच्छा! तो तुम मेरे लिए भी कुछ मांग दो न. इस पर लोमड़ी बोली - इसके लिए तुम्हें खुद ही कुएं के अंदर आना होगा. बकरी ने थोड़ा सोचा और बोली - यदि मैं कुएं में आई तो तुम मुझे खा जाओगी. इस पर लोमड़ी तुनक कर बोली - ये लो, भलाई का तो ज़माना ही नहीं रहा. जब मुझे बिना मेहनत के बैठे बिठाए खाना मिल रहा है तो मैं तुम्हें क्यों खाऊंगी? मुझे जो बताना था मैंने तुम्हें बता दिया. आगे तुम्हारी मर्जी. अब बकरी को लोमड़ी की बातों पर विश्वास होने लगा और वह बिना विचारे कुएं में कूद गई. इस तरह लोमड़ी ने बड़ी चालाकी से बकरी को अपना शिकार बना लिया.

कन्हैया साहू (कान्हा) व्दारा पूरी की गई कहानी

लोमड़ी के दिमाग में अब अपनी जान बचाने के बजाय किसी भी तरह से बकरी को कुएं के अंदर बुलाकर उसे मार कर खाने की बात आ गई. उसने बकरी को भी कुएं के अंदर नहाने के लिए बुलाया. बकरी ने सोचा कि ये चालाक लोमड़ी कुएं के अंदर मज़े कैसे कर सकती है जबकि वह कुएं में डूब रही है अब बकरी को समझ आ गई कि लोमड़ी कुएं में फंस गई है परंतु मुझे मारकर खाने के लालच में वह मदद मांगने के बजाय मुझे ही कुएं के अंदर बुलाकर मारना चाहती है. बकरी ने लोमड़ी से कहा कि आप कुएं में अकेले ही मज़ा करो, मुझे अभी अपने बच्चों को दूध पिलाना है. ऐसा कहकर बकरी वहाँ से चली गई. इधर लोमड़ी को अपनी चालाकी भारी पड़ गई और वह कुएं में कई दिनों तक डूबे रहने के कारण मर गई.

सीख - हर समय चालाकी दिखाना कभी-कभी भारी पड़ जाता है.

अगले अंक के लिये अधूरी कहानी –

लोमड़ी और सारस

एक बार की बात है, एक जंगल में चालाक लोमड़ी था जो हर किसी जानवर को अपनी मीठी बातों में फंसा कर कुछ न कुछ ले-लेता था या खाना खा लेता था. उसी जंगल में एक सारस पक्षी रहता था. लोमड़ी ने अपने चालाकी से उसे दोस्त बनाया और खाने पर घर बुलाया. सारस इस बात पर खुश हुआ और लोमड़ी के घर खाने बार जाने के लिए आमंत्रण स्वीकार कर लिया.

अगले दिन सारस, लोमड़ी के घर खाने पर पहुंचा. उसने देखा लोमड़ी उसके लिए और अपने लिए एक-एक प्लेट में सूप ले कर आया है. यह देख कर सारस मन ही मन बड़ा दुखी हुआ क्योंकि लम्बे चोंच होने के कारण वह प्लेट में सूप नहीं पी सकता था.

लोमड़ी ने चालाकी से सवाल पुछा – मित्र सूप कैसा लग रहा है. सारस ने उत्तर दिया – यह बहुत अच्छा है पर मेरे पेट में दर्द है इसलिए में नहीं पी पाउँगा और वह चला गया.

अब इस अधूरी कहानी को जल्‍दी से पूरा करके हमें भेज दो. कहानी भेजने का ई-मेल है – dr.alokshukla@gmail.com. कहानी तुम वाट्सएप से 7000727568 पर भी भेज सकते हो. सभी अच्‍छी कहानियां हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

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