चित्र देखकर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको कहानी लिखने के लिये यह चित्र दिया था –

इस चित्र पर हमें कई मज़ेदार कहानियां मिली हैं, जिन्हें. हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं –

रानू और टीनू

लेखिका - अंजूलता भास्कर

रानू अपने दोस्त टीनू (मेढ़क) के साथ दोनों स्वच्छता के बारे में बात करते जंगल के रास्ते अपने अपने घर जा रहे थे रास्ते में टीनू का घर था. टीनू आपनी दोस्त रानू से कहता है यहां से मेरा घर पास में है और मेरे घर के सामने आदमी, पशु पक्षी, सभी गंदगी फैला कर चले जाते हैं. क्यों न हम यही से शुरुवात करें. रानू ने कहा - ठीक है. तभी वहां से पानी पी कर आते हुए जंगल के राजा शेर ने उन दोनों की बातें सुन लीं. उसने रानू और टीनू से कहा - तुम लोगो ने तो गंदगी नहीं फैलाई है, तो तुम लोग साफ़ क्यों करोगे? तब रानू कहती है शेर दादा गंदगी किसी ने भी फैलाई हो, किसी न किसी को तो साफ़ करनी ही पड़ेगी. नहीं तो गंदगी के कारण बीमारियां फैलने लगेंगी. वातावरण दूषित हो जाएगा. तब जंगल के राजा शेर का मन पसीज जाता है और वह स्वच्छता में सहयोग करने की विनती करता है. दोनों शेर की बात सुनकर खुश हो जाते है. जंगल के राजा शेर ने जोर से दहाड़ लगाई. तब सभी जानवर वहां एकत्रित हो जाते हैं और सभी मिलकर आस-पास की सफाई करते हैं, और स्वच्छता बनाए रखने की शपथ लेते हैं - जीवन में स्वस्थ रहना है. प्रकृति को स्वच्छ रखना है. नारा लगाते हैं और सभी अपने अपने घर चले जाते हैं.

अनजान बहादुरी

लेखक – इंद्रभान सिंह कंवर

चिंकी एक 4 साल की छोटी बच्ची जो अपने प्यारे टफी को ढूंढते- ढूंढते जंगल की ओर जा पहुंचती है. जंगल के अंदर प्रवेश करते ही वह देखती है, कि उसका प्यारा टफी एक भेड़ि‍ये के कब्जे में है. भेड़ि‍या बहुत कुछ कुत्तोंक जैसा दिखता है. वह भेड़ि‍या टफी को खाने वाला था तथी चिंकी वहां पर पहुंच गयी. चिंकी जोर से चिल्लाई - छोड़ दो मेरे प्यारे टफी को. आवाज सुनकर भेड़िया पलटा तो उसने देखा कि एक छोटी सी बच्ची वहां है. भेड़िया और भी खुश हो गया. उसने सोचा - आज मुझे कुछ ज्यादा खाना मिलेगा.

भे‍ड़ि‍ये ने चिंकी से पूछा - तुम्हें डर नहीं लगता जो तुम यहां आ गई हो. चिंकी जोर से बोली - डर क्या होता है? तुम मेरे प्यारे टफी को छोड़ दो नहीं तो मैं तुम्हें भी अपने साथ ले जाऊंगी. यह सुनकर वह भेड़िया और भी गुस्से में आ गया और बोला - ए लड़की, क्या तू सच में मुझ से नहीं डरती? चिंकी बोली - मैं तुमसे क्यों डरूं? तुम्हारे जैसे और तुमसे भी अच्छे-अच्छे प्यारे-प्यारे कुत्तें हमारी कॉलोनी में कई घरों में हैं. हम सभी उनके साथ सुबह शाम खेलते हैं. तो फिर मैं तुमसे क्यों डरूं? भेड़िया आश्चउर्य से बोला - क्या सच में! चिंकी ने कहा - हां सच में. नहीं मानते तो चलो मेरे साथ, मेरी कॉलोनी में और चल कर खुद ही देख लो.

भेड़िया चलने को तैयार हो जाता है. दोनों कॉलोनी की ओर चल पड़ते हैं. भेड़िया देखता है कि कॉलोनी के कई घरों में भेड़िये जैसे दिखने वाले ही कुछ जानवर जिन्हें आप सभी कुत्ते के रूप में जानते हैं, बंधे हुए हैं. वे कई कई प्रकार के हैं. कुछ बड़े हैं, कुछ छोटे, कुछ प्यारे दिखते हैं, तो कुछ बहुत ही खतरनाक. भेड़िया उनको देखकर डर जाता है और बोलता है - सच में यहां के लोग तो बहुत ही खतरनाक हैं. इन्होंने तो मेरे जैसे कईयों को बांध कर रखा है. मुझे जल्दी से यहां से निकलना होगा नहीं तो यह लोग मुझे भी बांध लेंगे. इतना कहकर भेड़िया वहां से नौ दो ग्यारह हो जाता है. तो देखा आप लोगों ने किस तरह एक छोटी सी 4 साल की बच्ची ने अपनी अनजान बहादुरी से भेड़िए का सामना किया.

सीख -वास्तव में बच्चों को डर के बारे में पता नहीं रहता उनमें यह भावना हम स्वयं जागृत करते हैं.

अब नीचे दिये चित्र को देखकर कहानी लिखें और हमें वाट्सएप व्दारा 7000727568 पर अथवा ई-मेल से dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दें. अच्छी2 कहानियां हम किलोल के अगले में प्रकाशित करेंगे.

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