कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिए दी थी –

राक्षस और राजकुमारी

एक राजा की तीन बेटियां थीं. तीनों बेहद खूबसूरत थीं. सबसे बडी़ बेटी का नाम आहना उससे छोटी याना और सबसे छोटी का नाम सारा था. एक बार तीनों अपने राज्य के जंगल में घूमने निकलीं. अचानक तूफान आ गया. उनके साथ आया सुरक्षा दल इधर-उधर बिखर गया. वे तीनो जंगल में भटक गई थीं.

थोड़ी दूर चलने पर उन्हें एक महल दिखाई दिया. अंदर जाकर देखा तो वहां कोई नहीं था. उन्होंने वहां विश्राम किया और टेबल पर रखा भोजन खा लिया. सुबह होते ही सारा उस महल के बगीचे में घूमने निकल गई. सारा ने वहां गुलाब देखे और बिना कुछ सोचे उन्हें तोड़ लिया. उसके फूल तोड़ते ही उस पौधे में से एक राक्षस बाहर आ गया, उसने सारा से कहा कि मैंने तुम्हें रहने के लिए घर और खाने के लिए भोजन दिया और तुमने मेरे ही पसंदीदा फूल तोड़ दिए. अब मैं तुम तीनों बहनों को मार डालूंगा.

सारा बहुत डर गई उसने विनती की, लेकिन राक्षस नहीं माना. फिर राक्षस ने एक शर्त रखी कि तुम्हारी बहनों को जाने दूंगा पर तुम्हें यहीं रुकना होगा.

हमे बहुत से लागों ने यह कहानी पूरी करके भेजी है. उनमें से कुछ हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं -

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सारा ने राक्षस कि शर्तें मान लीं और वह उसी महल में रहने लगी. शर्त के मुताबिक राक्षस ने सारा की बहनों को छोड़ दिया. सारा रोज सुबह उठती और अपने काम में लग जाती. रोज सुबह चाय लेकर राक्षस के पास जाती. राक्षस को सारा का यह बर्ताव अच्छा लग रहा था. एक दिन सारा ने अपनी बहनों से मिलने जाने की बात राक्षस से कही. राक्षस ने कहा ठीक है तुम जा सकती हो किन्तु 7 दिन के बाद वापस आना होगा. सारा ने कहा ठीक है और अपनी बहनों से मिलने चली गई. सारा को देखकर उनकी बहने खुश हो जाती हैं. 7 दिन कब बीत गये पता ही नहीं चला. अचानक सारा को राक्षस की बात याद आई और वह भागी-भागी उसके महल लौट आई. महल में उसने सभी तरफ देखा पर राक्षस कहीं नहीं मिला. तब सारा बगीचे में ढूंढती है. राक्षस उसी गुलाब के पास बेहोश पड़ा मिलता है. सारा रोने लगती है. उसकी आंखो से आंसू गिरने लगते हैं. आंसू की बूंदे राक्षस पर पड़ते ही वह आदमी बन गया. उसकी वेश-भूषा राजा जैसे होती है. तब सारा आश्च र्य से देखती है और पूछती है अरे ये क्या? तब वह आदमी उसे अपनी कहानी सुनाता है. उसने बताया कि मै पहले यहां का राजा था. किसी श्राप के कारण मै राक्षस बन गया था. राजा सारा को अपनी बेटी की तरह रखता है और उनकी देखभाल करता है.

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सारा ने कहा ठीक है तुम मेरी बहनों को छोड़ दो. मैं यहां तुम्हारे साथ रुकने को तैयार हूं. राक्षस ने सारा की दोनों बहनों को छोड़ दिया, और फिर सारा वहीं रुक गई.

अब सारा ने राक्षस से पूछा क्या तुम मुझे मार कर खा जाओगे. तब राक्षस ने कहा हां बिल्कुल मैं तुम्हें मार कर खा जाऊंगा. यदि तुम्हें जिंदा बचना है तो तुम्हें फिर से वही पौधा लगाकर फूल खिलने तक रुकना पड़ेगा. जब वही फूल पुनः खिल जाएगा तब मैं तुम्हें वापस जाने दूंगा. सारा ने कहा ठीक है पर मैंने तो पहले ऐसा कार्य कभी नहीं किया है. तब उस राक्षस ने कहा धीरे-धीरे तुम सब सीख जाओगी.

अगली सुबह राक्षस ने सारा को उठाया और दूर पहाड़ी से वही पौधा लाने को कहा. सारा उठते ही पहाड़ी की ओर चल पड़ी और काफी देर बाद पौधा लेकर वापस लौटी. वह थक चुकी थी. राक्षस ने उसे तुरंत गड्ढा खोदकर पौधा लगाने को कहा. सारा ने डर के मारे तुरंत गड्ढा खोदा और उसमें पौधा लगाया. फिर राक्षस ने उसे पौधे पर पानी डालने को कहा. सारा एक एकदम थक चुकी थी, क्योंकि वह एक राजकुमारी थी और उसने पहले कभी ऐसा काम नहीं किया था. अगली सुबह से उसका पहला काम उस पौधे पर पानी डालना था.

वह प्रतिदिन उस पर पानी डालती और उसकी देखभाल करती. धीरे-धीरे अब यह सब उसकी आदत बनने लगी. उसे भी अपने पौधे से काफी लगाव होने लगा. आखिरकार एक दिन वह सुबह आ ही गई जब वह उस पौधे पर पानी डालने गई, तो उसने देखा कि उस पौधे पर एक बहुत ही सुंदर फूल खिला हुआ था, जो उस बगिया में सबसे सुंदर लग रहा था. वह दौड़ कर उस राक्षस के पास गई और बड़े ही उत्साह से उसे बताया कि फूल खिल गया है. मेरा फुल बगिया में सबसे सुंदर लग रहा है. राक्षस ने सारा के चेहरे के उत्साह और खुशी को देखकर सारा से पूछा कि तुम्हें कैसा लग रहा हैॽ सारा ने कहा मेरा फूल सबसे सुंदर लग रहा है. बगिया में सबसे अच्छा लग रहा है. उसने पूरी बगिया की शोभा में चार चांद लगा रखे हैं. वह बड़े उत्साह से यह सब बता रही थी. तब राक्षस ने कहा अब यदि मैं उस फूल को तोड़ दूं तो कैसा लगेगा. एकाएक सारा के चेहरे की हंसी उड़ गई और वह क्रोधित सी होने लगी. तब राक्षस ने कहा घबराओ नहीं मैं ऐसा बिल्कुल नहीं करूंगा. फूल की शोभा बगिया में लगे उसके पौधे पर ही शोभित होती है, न कि उसे तोड़ने से.

मुझे भी उस दिन ऐसा ही लगा था. तुम पर बहुत क्रोध आया था. मैं तुम्हारी गलती का आभास कराते हुए तुम्हेर सिखाना चाह रहा था. अब तुम्हारी शिक्षा पूरी हुई और तुम पुनः अपने महल जा सकती हो. ऐसा कहकर राक्षस ने सारा को खूब सारे सुंदर फूलों के पौधे देकर वहां से विदा किया. सारा ने राक्षस को धन्यवाद दिया और अपनी सीख का सदुपयोग करते हुए महल में सुंदर-सुंदर फूलों की एक बगिया बना डाली.

सीख - पुष्प की शोभा पौधे में लगे रहने से है न कि उसे पौधे से तोड़कर अलग करने से.

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सारा वहाँ रुकने को तैयार हो गई. राक्षस ने उसकी दोनो बहनो को घर जाने दिया. उसकी दोनो बहने घर पहुँच कर पूरी बात अपने माता पिता को बताए. सभी लोग चिंतित हो गए कि अब सारा कैसे बचेगी. इधर सारा ये सोचने लगी कि किसी भी प्रकार से इस राक्षस को खुश कर दिया जाए तो शायद ये मुझे घर जाने दे सकता है. सारा दिन रात उसकी सेवा करती और राक्षस के कहे अनुसार कार्य करती वह बिल्कुल भी नही घबरा रही थी. सारा ने उसके पसन्द के फूलों का एक पूरा बगिया अपनी मेहनत व लगन से राक्षस के रहने के स्थान के आसपास उगा लिया. अब राक्षस सारा के काम व मेहनत से बहुत खुश रहने लगा और कुछ दिनों बाद उसने सारा को भी घर जाने के लिए आजाद कर दिया. उसने सारा को उसकी पसंद की बहुत सारी वस्तुएं भेंट में भी दीं. उसके बाद से राक्षस ने कभी किसी अन्य को परेशान या कैद नही किया.

सीख:- लगन सच्ची हो तो किसी को भी खुश किया जा सकता है.

अगले अंक के लिये अधूरी कहानी -

स्नो व्हाइट और सात बौने

यह बेहद पुरानी बात है, एक राज्य की रानी सर्दियों के समय खिड़की के पास बैठकर कुछ सिल रही थी. अचानक सुई उसकी उंगली में चुभ गई और रानी के रक्त का क़तरा पास की बर्फ पर जा गिरा. इस घटना को देख रानी के मन में एक ख़्याल आया कि काश मेरी एक बेटी होती, जिसका रंग इस बर्फ की तरह की तरह ही सफेद होता, उसका होंठ रक्त के क़तरे से भी लाल होते और बाल काली घटाओं से.

कुछ समय बाद ही रानी को बेटी हुई और वो ठीक वैसी ही थी, जैसी उन्होंने कल्पना की थी, इसलिए उसका नाम रखा गया स्नो व्हाइट. कुझ समय बाद रानी की मृत्यु हो गया और समय बीतने के बाद राजा ने दूसरी शादी कर ली. वो नई रानी भी बेइंतेहा ख़ूबसूरत थी. रानी के पास एक जादुई आईना था, जिससे वो वो रोज़ पूछती कि बता इस दुनिया में सबसे सुंदर कौन है? चूंकि वो आईना कभी झूठ नहीं बोलता था, तो वो हमेशा कहता- आप ही सबसे सुंदर हो रानी. यह सुन रानी ख़ुद भी इतराती.

समय बीतने के साथ-साथ स्नो व्हाइट की ख़ूबसूरती और भी निखरती गई और एक दिन ऐसा आया, जब जादुई आईने ने रानी की बजाय जवाब दिया- जग में सबसे सुंदर है- स्नो व्हाइट! यह सुन रानी को सदमा लगा और वो स्नो व्हाइट से जलने लगीं. रानी ने अपने सबसे ख़ास और क़रीबी सिपाही को बुलाकर आदेश दिया कि स्नो व्हाइट को दूर जंगल में ले जाकर मार डालो.

सिपाही स्नो वहाइट को ले तो गया, पर उसे मार नहीं पाया. मासूम स्नो व्हाइट पर उसको दया आ गई और उसने स्नो व्हाइट को रानी की असलियत बताकर उससे दूर रहने को कहा. स्नो व्हाइट को जंगल में ज़िंदा ही छोड़कर जाते समय सिपाही एक जंगली जानवर का दिल ले गया सबूत के तौर पर.

स्नो व्हाइट यहां-वहां भटकती रही कि तभी उसकी नज़र एक छोटे-से घर पर पड़ी. वो घर एकदम बच्चों के घर जैसा था. वो घर था सात बौनों का.

अब इस अधूरी कहानी को जल्दी से पूरा करके हमें भेज दो. कहानी भेजने का ई-मेल है – dr.alokshukla@gmail.com. कहानी तुम वाट्सएप से 7000727568 पर भी भेज सकते हो. सभी अच्छी कहानियां हम किलोल के अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

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