नवाचार - अगर मैं प्रधान पाठक होता तो क्या करता

प्रस्तुातकर्ता एवं चित्र - एलन साहू

मार्केटिंग का फंडा है कि सीधे कस्टमर से ही पूछा जाए कि उन्हें किस प्रकार का प्रोडक्ट चाहिए. मैंने यही फण्डा बच्चों के साथ आजमाना चाहा और यह जानने का प्रयास किया कि स्कूल कैसा हो इस बारे में वे क्या चाहते हैं. सो मैंने कक्षा 5वीं के बच्चों को एक प्रश्न दिया - अगर मैं प्रधान पाठक होता, तो क्या - क्या करता?

बच्चों के उत्तर मेरे लिए भी कुछ सीखने लायक थे. बच्चों ने मुझे परोक्ष रूप में बता दिया कि उन्हें किस प्रकार का माहौल, शिक्षा और सुविधा शाला में चाहिए. उनमें से कुछ के उत्तर आप स्वयं भी पढ़ सकतें हैं.

मेरा अनुभव - जो बच्चे हाइपर एक्टिव किस्म के हैं वे स्वयं प्रधान पाठक बनने पर बच्चों को मारपीट कर बल पूर्वक कंट्रोल में रखना चाहते हैं, वहीं जो बच्चे शांत स्वभाव के हैं वे बच्चों को प्रेम पूर्वक समझाकर पढ़ाना लिखाना और अनुशासन में रखना चाहते हैं. इसके साथ ही साथ यह गतिविधि बच्चों के सह-संज्ञानात्मक विकास में मददगार होगी, ऐसा मुझे अनुभव हुआ.

नवाचार - पुस्तकालय

नवाचारी शिक्षक, आलेख एवं चित्र - निरंजन लाल पटेल

शासकीय प्राथमिक शाला लामीखार, संकुल - बोजिया, विकासखंड - धरमजयगढ़, जिला - रायगढ़ (छत्तीसगढ़)

उद्देश्य - विविध प्रकार के ज्ञान, सूचनाओं, विविधताओं आदि का संग्रह कर छात्र-छात्राओं एवं ग्रामीणों को पुस्तक की सहायता से लाभ पहुंचाना.

उपलब्ध पुस्तकें - ज्ञानवर्धक सामान्य जानकारी, पंचायत से संबंधित, कहानी, कविता, चुटकुले आदि से संबंधित लगभग 2500 पुस्तकें हैं.

क्रियान्वयन - बच्चों व्दारा पुस्तकों की आवक-जावक पंजी संधारण कर क्रियान्वयन किया जाता है. बच्चों एवं ग्रामवासियों को लाभ -

  1. किताबें पढ़ने से छात्र-छात्राओं एवं ग्रामवासियों की सोच में विस्तार हुआ है.
  2. सभी के लिए सभी पुस्तकें खरीदना संभव नहीं होता है. इसका लाभ विद्यार्थियों एवं ग्रामीण जनों को मिल रहा है.
  3. छात्र-छात्राओं एवं ग्रामवासियों के ज्ञान को विस्तार देने के लिए पुस्तकालय बहुत ही उपयोगी सिध्दव हो रहा है.
  4. अलग-अलग पुस्तकें पढ़ने में छात्राओ में हर क्षेत्र का ज्ञान बढ़ रहा है.
  5. छात्र-छात्राओं एवं ग्रामीण जनों के किताबें पढ़ने से जागरूकता आ रही है.
  6. बच्चों को स्वशिक्षा के साधन उपलब्ध हो रहे हैं.
  7. शिक्षाप्रद एवं सूचनात्मक सामग्री विद्यार्थियों को उपलब्ध हो रही है.

नवाचार - बाल सरंक्षण कार्नर

लेखक एवं चित्र - रिंकल बग्गा

उद्देश्य - बाल यौन दुर्व्यवहार की रोकथाम प्रशिक्षण के बाद हमारे मन मे विचार आया कि क्यों न हम शाला में बाल सरंक्षण कार्नर बनाएं. इसके बनाने का उद्देश्य है कि बच्चों के साथ साथ समाज मे जागरूकता आए, ताकि समाज मे इस प्रकार की घटना न हो.

क्रियान्वयन - बाल यौन दुर्व्यवहार की रोकथाम प्रशिक्षण से प्राप्त विभिन्न फोटो, पीडीएफ, फ़ाइल को मोबाइल में सेव किया गया. उसके बाद कुछ फोटो का चयन कर फोटोकॉपी करा कर, उन्हें शाला की दीवार में चिपकाया गया.

लाभ - इस कार्नर से बच्चे और पालक निम्लिखित बातों को समझ सकते हैं : -

  1. बाल शोषण क्या है
  2. गुड टच बैड टच
  3. दुर्व्यवहारी कोई भी हो सकता है
  4. इंटरनेट में बच्चे क्या न करें
  5. पास्को एक्ट क्या है
  6. महत्वपूर्ण फोन नंबर
  7. समाज की भूमिका क्या है
  8. क्या करें क्या न करें
  9. विद्यालय स्तर पर बाल सरंक्षण नीति
  10. बाल शोषण का प्रभाव

मेरा अनुभव - बाल शोषण रोकने के लिए समाज मे जागरूकता लानी होगी। इससे होनी वाली हानि का हम आकलन नही कर सकते हैं. वर्तमान में जो आकंड़े सरकार ने दिए है वो बहुत ही डरावने है इसलिए इसे हम्हे आज से ही रोकने का प्रयास करना होगा.

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