सुराजी गाँव

लेखक - द्रोणकुमार सार्वा

नदियां के तीर नानकुन गांव रहिस. गांव के मनखे मन बड़ भोला भाला अउ सिधवा रहिस. खेती-किसानी बनी-भूती ले जिनगी के दिन बीतय. गांव म जेठू के दिन के दिन उतलइ ले गांव म सब परसान होगे रहिस. पहिली गांव म टटटा गाड़ी धरके गंवई आय महुआ लेवय अउ समान बेचय. धीर लगाके उधारी बांट बांट के सूदखोरी करत गांव म जमगे. गांव के दु चार झन मनखे ल संग म खवा पिया के अपन तीर मिला डरे रहय. गांव म चन्दा देके मेला मड़ई अउ कहि कहि परब कराए बर अड़बड़ उतावला रहय. काबर ओमा ओकर नशा के धंधा के मुनाफा रहय. मनखे ल एक दूसर ले उभरा के लडवाय. अउ उँकर कोट कछेरी बर एके हवकी म अंगठा चपकत उधारी देवय. कोट कछेरी के चक्कर म मूल ते मूल सूद ल घला नई पटा सकय. अइसने गांव के धरसा के तीर के सरी धनहा डोली ल चपक डरिस. अउ सबर दिन के चले आवत गांव के गाड़ा-भिड़ा के रावण ल मूंद पाछु के खेत में ल औने पौने भाव म हड़पे के उदिम करय. उँकर टुरा पकलु गांव म नशा के धंधा चालू कर दिन. दु चार दिन जहुरिया टुरा म फोकट म खवा पिया के लत लगा दिन. धीर लगाके के गांव के नवा लइका मन गलत रद्दा म भटके लगिस. कोढिया लइका मन अब चोरी के उदिम घला करय. अतिक तेजी ले गांव के बिगड़त दशा ल देख गांव के सियान मन चिंतित रहिस. रघु मास्टर गांव संग बड़का सियान रहिस गांव के दु चार सियान मन सन बइठ के गांव के बिगड़त दसा बर सोचे लगिस. कुछु त उपाय सोचे ल लगही सबो आज मन म ठानिस.

गांव के जवान लइका मन ल समझाए के उदिम करिन फेर सफल नई होइस. कुंवार महीना म नवरात्रि के बेरा आइस रघु मास्टर गांव के लीला मण्डली के मुखिया रहिस. उँकर नाटक म ऐतराब म चर्च म रहय. ए दरी दशेरा बर एक दिन रघु गुरुजी आजादी के नाटक खेलिन. नाटक म विलयती व्यपारी मन कइसने भारत के किसान मजदूर के ऊपर अत्याचार ल देखइन. एक दूसर ल लड़ावत अपन राज चलावत अपने घर म अपने मन पर बरोबर किसने होगे रहेन गुरुजी ह सूत्रधार बनके बताइस. आजादी बर अमीर गरीब ऊँच नीच हिन्दू मुस्लिम सबो के जुड़ाव अउ बलिदान के बात ह सबके मन म परभाव डालिस.

गुरुजी के आधा काम बनगे रहिस गांव के पढ़े लिखे नवजवान अउ सब सियान ल सकेलिन अउ ए दारी मई लोगिन ल घला सकेलिन. गुरुजी के अड़बड़ विरोध होइस चैतू आव देखिस न ताव कहिस - गुरुजी अब हमन चूल्हा फुकबो अउ हमर डउकी मन के मुड़ी म पागा बँधाही का. गुरुजी उठ के सब ल समझइस - देखव रे भाई हो हमन जुग जोड़ी सब गाड़ी के चक्का बरोबर होथन अउ हमन बन के बनउती अन जी. हमर घर ल त इहि मन सम्भलथे त इनकर साथ ले म का हे. तमतमाये एक दु झन उठ के चल घला दिन. फेर गुरुजी कहिस कोनो डहर ले शुरुआत तो होना चाही.

धनी राम गांव के बुजुर्ग रहिस कहिस गुरुजी जेठू ले बैर करबो त कइ से चलहि. ऊँच नीच के त विही ह सहारा देथे. अउ हमन उँकर सूद के चक्कर म बइठ जान. बात ल कांटत बीचे म गुरुजी कहिस - अब ले हमन हमर गाँवे म रामकोठी बनाबो अउ उँकर ले जरूरत के समय पिसा उठाबो. ककरो मोहताज काबर रबो जी. जब तुंहर मेर सक लाही 10-20 करके जमा करदेहू महीना के महीना गांव भर के पइसा कतका होही. हमर तुमन जे बियाज बाँधहु वो तुंहर कामे आही. सब ल गुरुजी के बात बने लगिस. तुरते विही कर पांच झन के समिति बनगे अउ महिला मन खुसी खुसी नाम लिखाइन. बात सबो ल बने लगिस. थोड़ दिन बीते लगिस अब सब सूदखोरी के जंजाल ले गांव के समिति ले पइसा उठा के मुक्त होगे. उही समिति के डहर ले मांगा घला लगिस. खेत के काम ले ठेलहा बेर म इहि काम कर के पिसा कमाए. किसानी के विशेषज्ञ ल लाके जमीन के हिसाब ले अलग अलग फसल बोवाये बर निरनय लीन. एकर ले बुडती के मन बाढ़ ले बाच गे. अउ भर्री म उन्हारी मिलगे. धरसा के तीर लगे बियारा बखरी ले साग भाजी अउ परिया म मवेशी के चारा. अकाल के चपेट ले बाच गे अउ मिंजई कूटइ होगे अब फसल ल सीधा गाँव के समिति के डहर ले मिल म बेचिस, मवेशी मन के दूध ल बेचे बर तीर शहर के बड़का होटल ले बात चलिस. ए बार सब किसान ल मुनाफा ज्यादा होइस. गांव के मनखे मन के हालत अब सुधर गए रहिस. अब गुरुजी सबके विस्वास जीत डरे रहिस. सबो घर म लक्ष्मी के किरपा बरसत रहिस. अब कोनॉ बन्धुआ बनके जेठू के तीर नई रहिस. एसो वोकर खेत खार ल कोनो रेगहा कट्टू घला नई लीन परिया परगे. आधा कनिहा उँकर अइसने टूट गए रहिस. बने बेरा देख के समिति ह अब गांव म नियम बनिस जेकर घर जेठू कर ले मन्द मउहा लिही वोहा गांव ले अलग रही.

अब दु चार झन छटियाहा मन घला अपन गलती मान के हाथ म हाथ मिला डरीन. पूरा गांव के एक सुंत म बंधावत देख जेठू के तीर तखार रहइया मन घला गांव कोती मिलगे.

माई लोगन मन जुरियाके अब जेठू के घर के मोहाटी म हल्ला बोलिन. अउ नशाखोरी ल बन्द करे बर चेताइस. आधा ऐंठ ह तो पहिली ले सिरा गे रहिस पूरा गांव ल बिरोध म देख के जेठू के बचें खुचे अइठ ह निकलगे. गांव ले माफी मांगिस अउ अपन नशा के धंधा ल बन्द कर के चल दिस. गांव के लइका मन सियान मन के दब ले पहिली के पियई खवइ कमती कर दे रहिस. अउ गांव म बिक्री कम होए ले निर्मामुल सब छोड़े लगिस.

गांव म सब झन जुर मिल के विकास बर सोचे अउ नान्हे नान्हे दल बनाके साँझर मिझर काम करे. गांव म रामकोठी के आमदनी घला बाढ़ गए रहीस. उही म खेती खार बर बैंक के सहयोग गे टेक्टर लेवागे. कोनो कोनो महिला ल सिलई के काम मिलगे.

अमरैय्या के चटनी के सुवाद, नदियां के तीर बोवाये मिरचा हरदी चना गहुँ अब रामकोठी म लगे चक्की म पिसा के आजु बाजू के गाँव म बगरे लगिस. गांव के आमदानी बढ़गे. गाँव के लइका मन ल गांव में रोजगार मिलगे. गांव के सरकारी इस्कूल म बढ़िया पढ़ई बर मास्टर ,कम्प्यूटर के बेवस्था होगे. गांव के शोर सुनके नदिया म बंधानी बनगे, अस्पताल अउ जरूरी जिनिस के सुविधा. सरकार डाहर ले होगे. रघु गुरुजी अउ सियान मन चौरा म बइठ गांव के नवा रूप ल देख के खुश हावे. आज उँकर सुराजी गांव के सपना पूरा होवत रहिस.

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