बापू जी के नाम एक पत्र

लेखक - योगेश ध्रुव - भीम

आदरणीय बापू जी,

पथ प्रदर्शक प्रिय बापू जी,

आज मुझे पत्र लिखते इतनी खुशी हो रही है जिसको मैं शब्दो मे भी बयां नही कर सकता. आज मुझे कुछ कहने का सुनहरा मौका मिला है कि आप मेरे लिए कितना मायने रखते हो. आप तो हर भारतीय के दिल में बसते रहे हो.

आपका हर वाक्य हमारे लिए पथ प्रदर्शक की भाँति कार्य करता है. हम भारतीयों के लिए आपने क्या किया यह पूरा विश्व जानता है. आप हमें जज्बा प्रदान कर जीने की नई राह प्रदान करते रहे हो.

सोये मन में साहस भरते हुए युवा दिलों की धड़कन हो. मजहबो की दीवारो को तोड़ कर एकता का संदेश प्रदान कर हमें समतामूलक समाज मे जीने का हमारे हमेशा पथ प्रदर्शक रहोगे.

आपके व्दारा गाया गया प्रिय भजन है -

रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम,
सबको सन्मति दे भगवान.

आप सभी जात पंथ मजहबो को सद्भावना के साथ रहने का संदेश देते हैं. आप महान हो, मेरे लिए भगवान हो. आपके कार्यो को विभिन्न पुस्तको के माध्यम से अच्छे से पढ़ने एवं समझने मुझे मौका मिला. आप सत्य-अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिये हर क्षण प्रेरित करते हो.

प्रिय बापू जी! आपने सन 1894 में दक्षिण अफ्रीका में हिंदुस्तानियों की रक्षा के लिए पहली बार सत्याग्रह चलाकर विजय प्राप्त की. उससे प्रेरणा लेकर आपने भारत मे भी सन 1917 में चम्पारण में किसानों के हित में सत्याग्रह का प्रयोग कर विजयश्री प्राप्त की. आपने सविनय अवज्ञा, डांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन सभी सत्याग्रह के रूप में ही लड़े. अपका बताया यही सत्य-अहिंसा का मार्ग हमारे समाज को सही दिशा में चलने को प्रेरित करता है. आज हमारे बीच न होने के बावजूद आप सभी के दिलो में बसते हो. आज भी आपके कार्य हमें साहस और संघर्ष सि‍खाते हैं.

मेरे प्रिय बापू जी!! आपने हमारे छत्तीसगढ़ राज्य में भी बड़े काम किये. 20-21 दिसम्बर 1920 को प्रथम आपने छत्तीतसगढ़ में प्रथम आगमन पर ही कंडेल नहर सत्याग्रह में भाग लेकर किसानों का मनोबल ऊँचा किया. 22-28 नवम्बर 1933 को सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान हरिजन कल्याण के लिये छत्तीकसगढ़ आकर हमें छुआछूत और भेदभाव की भावना को दूर करके सबको एक साथ मिलकर रहने का सन्देश दिया, जो आज भी सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है. बापू जी!! आपके आत्मबल और दृढ़इच्छा शक्ति के व्दारा ही यह संभव हो सका. हम आपके जैसे महान तो नही बन सकते लेकिन आपके जैसे बनने का हर संभव प्रयास तो कर ही सकते हैं.

आपके व्दारा कहे तीन वाक्यों - बुरा मत कहो, बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और आपके सादा जीवन, उच्च विचार के मंत्र से प्रेरणा लेकर हम भी अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं. बापू जी!! मैं भी आपकी लाठी को पकड़कर सत्य-अहिंसा के बल पर सदैव आपके समान बनने का प्रयास करता रहूंगा. आप मेरे पूज्यनीय हैं और सदैव मेरे हृदय में बसे रहोगे.

धन्य धन्य भारत भूमि में अवतार लिए बापू जी,
सत्य-अहिंसा के पथ चल आजाद किए बापू जी.

आपका स्नेहाभिलाषी

योगेश ध्रुव - भीम

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