नवाचार - पॉक्सो बॉक्स

लेखिका तथा चित्र – विभा सोनी

मैं अपनी शाला में करीब 3 साल पहले से पहले इस नवाचार पर काम कर रही हूं. पॉक्सो बॉक्स का निर्माण मैनें अपनी शाला में बच्चों मे किसी भी प्रकार के अपराध, लैंगिक व मानसिक उत्पीड़न न होने के लिये कर रही हूं. इसका पूरा नाम प्रोटेक्श न आफ चिल्ड्रन फ्राम सेक्सुअल आफेंस है. बच्चों के साथ आये दिन अपराधों की खबरें समाज को शर्मसार करती नजर आती हैं. इस तरह के मामलों की बढ़ती संख्या को देखकर सरकार ने वर्ष 2012 में एक कानून बनाया जिसका नाम पॉक्सो एक्ट रखा गया. जो बालक और बालिकायें 18 वर्ष से कम उम्र के हों इस नियम के दायरे में आते हैं.

क्रियान्वयन - मैनें अपनी शाला में प्रार्थना सभा के समय पॉक्सो एक्ट की जानकारी देकर उन्हे सजग किया और साथ ही यह समझाया कि उन्हें कोई भी बात अपने पालक और शिक्षकों से छुपानी नहीं चाहिए. किसी भी प्रकार की समस्या होने पर अपनी शिकायत एक कागज पर लिखकर इस बॉक्स में डालना है. कुछ समय पश्चात् प्रधान अघ्यापक की उपस्थिति में उसे खोल कर निराकरण किया जाता है साथ ही साथ उनके माता-पिता से भी बात की जाती है. शाला का कोई छात्र अगर गलत हरकत करता है तो उसे समझाकर चेतावनी दी जाती है. मामला गंभीर होने पर उच्च अधिकारियों से व गांव के समिति के सदस्यों से बातचीत की जाती है.

लाभ - इस नवाचार के माध्यम से बालिकाओं में आत्मविश्वास में वृध्दि हुई है उ.नकी मानसिकता पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है. छेड़खानी और बच्चों में यौन उत्पीड़न जैसे मामलों की पहचान और समाधान का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. बालिकाओं में कक्षा उपस्थिति में सुधार के परिणाम सामने आये हैं जो प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिल रहा है.

नवाचार – कहानी का नाट्य रूपांतरण

प्रस्तुकतकर्ता एवं चित्र – नेहा पैगवार

उद्देश्य - कहानी का नाट्य रूपांतरण द्वारा हिन्दी भाषा व साक्षरता की समझ बच्चों में विकसित करना.

साम्रगी- चार्ट पेपर, कलर पेसिंल, धागा, पेसिंल.

गतिविधि- बच्चों के साथ मिल कर चार्ट पेपर पर पात्र-सफेद बिल्ली, काली बिल्ली एवं बंदर के चित्र पेसिंल से बना कर कलर कर कैची से out line काटकर मुखौटे का निर्माण किया गया एवं धागे से बांध दिया गया.

लाभ- बच्चों के कहानी के नाट्य रूपांतरण द्वारा प्रस्तुति के साथ अभिनय क्षमता का विकास. साथ ही साक्षरता के महत्व को समझ सकेंगें.

नवाचार – ग्रीन डे

प्रस्तुलतकर्ता एवं चित्र - कन्हैया साहू 'कान्हा'

बच्चों को पर्यावरण के महत्व को समझाने व पर्यावरण से जोड़ने के लिए हमारी शाला में ग्रीन डे का आयोजन किया गया जिसमें सभी बच्चे व शिक्षक हरे रंग के कपड़े पहनकर शाला में उपस्थित रहे. बच्चो द्वारा पेड़ पौधों के महत्व व आवश्यकता पर निबंध लेखन, भाषण आदि प्रस्तुत किया गया. बच्चो के लिए चित्रकला, राखी बनाने, बॉल बॉक्स में डालने, गुब्बारा फुलाने, गुब्बारा फोड़ने जैसे अन्य खेलों का आयोजन किया गया. बच्चों के लिए सावन का झूला भी लगाया गया. सभी ने पर्यावरण, पेड़, हवा, पानी की सुरक्षा एवं संरक्षण का संकल्प लिया.

नवाचार - चित्रकारी की क्षमता का विकास

प्रस्तुुतकर्ता एवं चित्र – प्रतिभा त्रिपाठी

आवश्यक सामग्री - कापी का कवर पेज, पेंसिल,कलर.

गतिविधि - शून्य निवेश नवाचार में अपनी कांपी के कवर पेज को आकर्षित बनाना.

लाभ - बच्चो की चित्रकारी का विकास.

मेरा अनुभव - बच्चे सुंदर और साफ चित्र बना लेते हैं.

नवाचार - मासिक वाल मैगजीन बाल दर्पण का प्रकाशन

नवाचारी शिक्षक एवं चित्र - प्रेमचंद साव

उद्देश्य: -मासिक वाल मैगजीन बाल दर्पण का नियमित प्रकाशन कर छात्र-छात्राओं में स्वयं सीखने की प्रवृत्ति, लेखन क्षमता, बौध्दिक क्षमता, मौलिक सोच को बढ़ावा देना.

आवश्यक सामग्री: -कलर पेपर, स्केच पेन, पेंसिल, प्रकाशन हेतु स्कूल की दीवार आदि.

क्रियान्वयन: - वाल मैगजीन के प्रभारी शिक्षक प्रेमचंद साव अपनी टीम की सहायता से सभी छात्र छात्राओं से प्राप्त् निबंध, चित्र, स्वरचित कविता, स्वरचित लेख, संस्मरण, यात्रा वृत्तांत, सामान्य ज्ञान, प्रेरक प्रसंग, पहेलियां, महापुरूषों के बारे में, राष्ट्रीय पर्व, राष्ट्रीय दिवस, अंतर्राष्ट्रीय दिवस आदि के बारे में संकलन कर बाल कैबिनेट में दिखाते हैं. उसके बाद प्रतिमाह की एक तारीख को वाल बाल दर्पण वाल मैगजीन प्रकाशित कर दी जाती है.

लाभ: -

  1. इससे छात्र-छात्राओं में स्वयं सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिल रहा है.
  2. लेखन क्षमता, बौध्दिक क्षमता, मौलिक सोच को बढ़ावा. अपने आसपास के घटनाक्रम को जानने व समझने में सहायता मिल रही है.
  3. राज्य, देश, विदेश में घटित घटनाओं को लिखने और समझने में सहायता मिल रही है.
  4. वॉल मैगजीन से छात्र-छात्राएं सामान्य ज्ञान के साथ-साथ, कहानी, कविता, चित्र, अनमोल वचन, पहेली, विज्ञान पहेली, चुटकुले, निबंध, प्रेरक प्रसंग, पर्यावरण संरक्षण, ग्लोबल वार्मिंग, विज्ञान एवं स्वच्छता से संबंधित, चित्र एवं अन्य मनोरंजक जानकारियों को नए तरीके से पेश कर पा रहे हैं और जान पा रहे है.
  5. इससे बच्चों का व्यक्तित्व, जिज्ञासा और भावनाएं सामने आने लगी हैं. इस तरह से बच्चों में माह भर किए गए संज्ञानात्मक एवं सह संज्ञानात्मक क्षेत्रों में निपुण बना रहा है.
  6. इससे छात्र-छात्राएं के स्वरचित लेख भी समाहित हो रहे हैं, जिससे उनमें लेखन में रुचि उत्पन्न हो रही है.

मेरा अनुभव: - नियमित मासिक वॉल मैगजीन बाल दर्पण प्रकाशन से बच्चों में भाषायी कौशल, लेखन क्षमता, बौध्दिक क्षमता, सोच विचार से तर्क बुध्दि प्रखर हो रही है और बच्चों के प्रतिभा निखारने में सफलता प्राप्त हो रही है.

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