कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिए दी थी –

कबूतर और बहेलिया

जंगल में एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था। उस पर तरह-तरह के पक्षी रहते थे. एक दिन एक बहेलिए ने आकर उस पेड़ के नीचे अपना जाल फैला दिया और दाने डालकर स्वयं उस विशाल पेड़ के पीछे छिपकर बैठ गया.

कुछ समय बाद उधर से कबूतरों का एक झुंड आता दिखाई दिया। बहेलिए की खुशी का ठिकाना न रहा. धीरे-धीरे सारे कबूतर दानों के लालच में आकर उस स्थान पर बैठ गए, जहां पर जाल बिछा हुआ था.

कुछ समय बाद सभी कबूतर बहेलिए के बिछाए जाल में फँस गये. कबूतरों में उनका राजा चित्रग्रीव भी था। दूर से बहेलिए को आता देख चित्रग्रीव ने कहा, ‘‘मित्रों यह हमारे लिए संकट की घड़ी है. किन्तु हमें घबराना नहीं चाहिए. संकट की इस घडी का हमें मिलकर मुकाबला करना चाहिए. तभी इस संकट से छुटकारा मिल सकता है.’’

इंद्रभान सिंह कंवर व्दारा पूरी की गई कहानी

सबसे पहले चित्रग्रीव ने सभी को ढांढस बंधाया और एकजुट रहने को कहा. बाकी कबूतरों ने कहा – ‘‘हम सब तो जाल में फंसे हुए हैं. हम छोटे पक्षी उस बहेलिए का सामना कैसे कर सकते हैंॽ’’ तब चित्रग्रीव ने कहा - ‘‘आप सभी अपने अंदर छुपी ताकत को पहचाने जो आपने नाखूनों और चोंच को हथियार के रूप में हैं इस्तेममाल करें. जैसे ही बहेलिया हमें उठाने आएगा, हम सबको मिलकर अपने पंजे और चोंच से उस पर हमला करेंगे. आपको अपनी एकता और ताकत प्रदर्शित करना है.’’ सभी ने मिलकर उस बहेलिए पर अपनी चोंच और पंजे से आक्रमण कर दिया. बहेलिया घायल हो गया. कबूतर उस जाल को ले उड़े. इसके बाद चित्रग्रीव सभी कबूतरों को टीले के ऊपर अपने मित्र चूहे के पास ले गया. उसने चूहे से जाल को कुतरने को कहा. तब फिर चूहे ने जाल को कुतरकर सारे कबूतरों को छुटकारा दिलवाया. सभी कबूतरों ने चूहे को धन्यवाद दिया और चित्रग्रीव की जय जय कार लगाई.

सीख - कठिन परिस्थितियों में हमें घबराना नहीं चाहिए. एकजुट होकर पूरी ताकत के साथ उनका सामना करना चाहिए. एकता में ही ताकत होती है.

अगले अंक के लिये इस मज़ेदार कहानी को पूरा करके हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दीजिये. अच्छी कहानियां हम अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

शरारती बंदर

राजवन में राजू बंदर की शरारतों से सभी जानवर परेशान थे. वह आए दिन सबके साथ शरारत करता था. जंगल के सभी जानवर उसे समझाते, फिर भी वह किसी की बात नहीं सुनता था. एक बार स्कूल में हिन्दी के टीचर ने राजू को जोरदार डांट लगाई. लेकिन उसने उनका भी मजाक उड़ाया. राजू ने दूसरे दिन उनकी कुर्सी पर खुजली की पत्ती रख दी, जिससे पूरे शरीर में उनको खुजली होने लगी.

राजू सिर्फ स्कूलों में ही नहीं, बल्कि घर के पड़ोसियों को भी परेशान करता था. वह पड़ोसी की भैंसों को भी तंग करता. एक दिन तो उसने भैंस की पूंछ के सारे बाल कुतर डाले. एक बार स्कूल से घर जाते समय उसे लंबा जिराफ मिला. जिराफ लंगड़ा कर चलता था. राजू उसे लंगडू-लंगड़ू कहकर चिढ़ाता था. जिराफ समझाने के लिए उसके पास जा रहा था, लेकिन राजू ने सोचा शायद जिराफ उसकी पिटाई के लिए आ रहा है. उसने झट से सड़क की ओर छलांग लगा दी. सड़क पर छलांग लगाते समय राजू कार की चपेट में आ गया. जंगल के सभी जानवर वहां पर आ गए. राजू को देखने के लिए जिराफ भी वहां पर पहुंच गया.

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