अड़हा टूरा के कहानी
लेखक - मनोज कश्यप
हमर गाँव म एक झन जुवर्रा टूरा रहिस हे. मूड़ ला अडबड खजुवाय अउ लडर-बडर गोठियावय. ओखर मूड माँ बहुत अकन ले जुवा अउ लीख फरे रहाय. एक झन मितान हा ओला बताइस - आज-कल जुवा-लीख ला मारे बर नवा शेम्पू आय हे. एको बेर लगा लेते, तोर समस्या हा हल हो जाही. बने साफ-सुथरा रहे कर भाई! मितान हा ओला शरीर के साफ-सफाई के महत्व ल बताइस. जुवर्रा टूरा हा तरिया म नहाय ला जात रहिस. ओला मितान के बात सुरता आइस. जात-जात सोचिस आज शेम्पू लगा के बने खल-खल ले नहाहूँ, तरिया मा डुबकहूँ अउ मूड ला फरियाहू वो हा दुकान म जाके कहिस-ऐ भाई मोला बाल सफा करेके शेम्पू देबे. दुकानदार मेर ले वो हा शेम्पू लेके तरिया चल दिस. शेम्पू लगा के, बने मूड ला मींज के नहाइस बपुरा हा, तरिया माँ बूड के जइसे निकलिस अउ सोचिस, आज तो मोर चुंदी हा शाहरुख़ सही बने फ़रियागे होही. अरे ......ये का? मूड म जइसने हाथ लगाइस, वोखर चूंदी मन सब झरगे रहाय. रोवन लागिस बिचारा अउ मितान ला अडबड गारी देवन लागिस. टावेल-गमछा माँ अपन मूड ला तोप के गारी देवत-देवत मितान- घर गईस. मितान हा ओला नहीं चीन्हीस. तय कोन हस, मोरे घर माँ आके मोहि ला गारी देवत हस. अड़हा टूरा अपन नाव बताइस अउ अपन मूड ला देखाइस अरे..... ये का? तोर तो सब्बो चूंदी सफा होगे. चल तो दुकानदार ला धमकाबो, वो हा का शेम्पू दे रहिस, दुनों झन दुकान माँ गईंन. दुकानदार हा बताइस -बाबू! तयं हा बाल सफा करे बर शेम्पू मांगे रहे. बाल साफ करे बर मांगे रहिते तो वइसन शेम्पू देये रहितौं. मोर कुछु गलती नहीं हे. अड़हा बिचारा का करय? थोरिक भी पढ़े-लिखे रहितिस त ये नौबत नहीं आतिस.
शिक्षा:- पढ़े-लिखे के बात ला सुन के, मूडी ला झन खजुवावौ, बेटा-बेटी मा फरक झन करव, सबला पढ़ावौ -लिखावौ.