कर्तव्य
लेखिका - पद्यमनी साहू
गर्मी की छुट्टियां लग गई थीं. काव्या व रुद्र बहुत खुश थे. दोनो रात में दादा जी के पास जाते और कहानियां सुनते. दोनो एक दिन ज़िद करने लगे कि दादा जी हम भी आपके साथ शाम को टहलने जायेंगे. दादा जी ने हामी भर दी.
काव्या व रुद्र रोज दादा जी के साथ पार्क जाने लगे. वहां सभी उम्र के बहुत सारे लोग जाते थे. कोई तेजी से चलता तो कोई दौड़ लगाता कोई योग तो कोई व्ययाम करता. एक दिन पार्क जाते समय दादा जी ने कहा कि हम सब आज हरे रंग के कपडे पहन कर जायेंगे. काव्या व रुद्र हरे रंग के कपड़े पहन कर आ गये. मन मे बड़ी जिज्ञासा थी कि हमने हरे रंग के कपड़े क्यो पहने हैं.
पार्क पहुँच कर दोनों ने देखा कि सभी हरे रंग के कपड़े पहने हुए हैं. सभी के हाथ मे एक एक पौधा है. दादा जी भी पास की पौधों की दुकान से एक नीम का पौधा ले आये. काव्या ने बड़ी उत्सुकता से पूछा कि दादा जी आज कोई खास दिन है क्या? सभी पौधा लेकर क्यो आये हैं? दादा जी ने बताया कि आज विश्व पर्यावरण दिवस है. इसलिए आज के दिन को यादगार बनाने के लिए हम सब पौधा लगाना चाहते हैं. रुद्र ने पूछा दादा जी पर्यावरण दिवस क्यो मनाया जाता है. दादा जी ने बताया कि इस दिन हम अपने पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों पर चर्चा करते हैं व अपने पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेकर पर्यावरण के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करते हैं. इसके बाद पार्क के आस पास खाली जगहों पर सभी पौधा रोपण करने लगे.
काव्या और रुद्र ने कहा दादा जी ये पौधा हम अपने हाथों से लगाना चाहते हैं. यह सुन दादा जी को बहुत खुशी हुई. काव्या व रुद्र ने दादा जी को विश्वास दिलाया कि वे प्रति वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस और अपने जन्मदिन पर पौधे जरूर लगाएंगे और पर्यावरण के प्रति अपने कर्तव्य का पालन जरूर करेगें. तो आओ बच्चो काव्या और रुद्र के जैसे हम भी अपने कर्तव्य को निभाये विश्व पर्यावरण दिवस के दिन पेड़ लगाएं.