छत्तीसगढ़ी लेख
आमा खाव मजा पाव
लेखिका - प्रिया देवांगन 'प्रियू'
गरमी के मौसम आते साठ सब झन ला आमा के सुरता आथे. लइका मन ह सरी मंझनिया आमा टोरे ला जाथे, अऊ घर में आ के नून - मिरचा संग खाथे. लइका मन ला आमा चोरा के खाय बर बहुत मजा आथे. मंझनिया होथे तहान आमा बगीचा मा आमा चोराय ला जाथे. आमा एक प्रकार के रसीला फल होथे. ऐला भारत में फल के राजा बोले जाथे. आमा ला अंग्रेजी में मैंगो कहिथे एकर वैज्ञानिक नाम - मेंगीफेरा हे.
आमा के किसम - आमा भी कई किसम के होथे अउ सबके सुवाद अलग अलग होथे. जइसे - तोतापरी आमा, सुंदरी आमा, लंगडा आमा, राजापुरी आमा, पैरी अउ बंबइया आमा.
फल के राजा - आमा ला फल के राजा कहे जाथे. आमा ला फल के राजा काबर कहिथे जबकि सबो फल हा स्वास्थ्य वर्धक होथे. दरअसल, भारतीय आमा अपन स्वाद के लिए पूरा दूनिया में मशहूर हे. भारत में मुख्य रूप से 12 किसम के आमा होथे.
आमा के उपयोग - आमा के उपयोग सिरिफ फल के तौर में नही बल्कि सब्जी, चटनी, पना, जूस, कैंडी, अचार, खटाई, शेक, अमावट (आमा पापड़) अऊ बहुत से खाये-पीये के चीज के सुवाद बढाये बर करे जाथे.
आमा के फायदा - आमा के बहुत से फायदा भी हे. जइसे –
- कैंसर से बचाव - आमा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कोलोन कैंसर, ल्यूकोमिया अऊ प्रोटेस्टेट कैंसर के बचाव में फायदामंद हे.ऐमा बहुत से तत्व होथे जो कैंसर से बचाव में मददगार होथे.
- आंख के रौशनी बाढथे - आमा में विटामिन ए भरपूर होथे, जो आंखी के लिए बरदान हे. एकर से ऑखी के रोशनी बने रहिथे.
- त्वचा बर फायदामंद हे - आमा के गुदा ला चेहरा मा लगाय से चेहरा में निखार आथे.
- पाचन क्रिया ला ठीक रखथे - आमा में कई प्रकार के एंजाइम होथे जेहा प्रोटीन ला तोड़े के काम करथे. एकर से खाना जल्दी पच जाथे.
- गरमी से बचाव - गरमी के दिन मा कही घर से बाहर निकलना रहीथे ता एक गिलास आमा के पना पी के निकलना चाहिए. एकर से लू नइ लगे.
ये परकार से आमा हा बहुत उपयोगी चीज हरे. एला सबझन ला खाना चाहिए अउ मजा लेना चाहिए.
पानी बिना जग अंधियार
लेखक - महेन्द्र देवांगन 'माटी'
पानी ह जिनगी के अधार हरे. बिना पानी के कोनो जीव जन्तु अऊ पेड़ पौधा नइ रहि सके. पानी हे त सब हे, अऊ पानी नइहे त कुछु नइहे. ये संसार ह बिन पानी के नइ चल सकय. पानी बिना जग अंधियार हे. ऐकरे पाय रहिम कवि जी कहे हे -
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न उबरे, मोती मानुष चून।।
आज के जमाना में सबले जादा महत्व होगे हे पानी के बचत करना. पहिली के जमाना में पानी के जादा किल्लत नइ रिहिसे. नदियाँ, तरिया अऊ कुंवा मन में लबालब पानी भराय राहे. जम्मो मनखे मन तरीया, नदियां में जाये अऊ कूद-कूद के, दफोड़-दफोड़ के डूबक-डूबक के नहा के आये. लड़का मन ह घंटा भर ले तउरत राहे अऊ पानी भीतरी छू छुवऊला तक खेले. एकर से शरीर ल फायदा तक राहे.
एक तो शरीर के ब्यायाम हो जाये अऊ दूसर जेला पानी में तंउरे बर आ जाथे ओहा पानी में कभू नइ बूड़े. आज तरिया नदिया में नहाय बर छूट गेहे तेकरे सेती आदमी मन तँउरे ल नइ सीखे हे. अऊ ओकरे सेती कतको आदमी मन पानी में बूड़ के मर जथे. नल के नवहइया मन कहां ले तंउरे ल सीखही ग? अऊ कभू कभार संऊख से टोटा भर पानी में चल देथे त उबुक चुबुक हो जाथे.
आज पानी ह दिनो दिन अटात जावत हे जे नदियां, तरिया, कुंवा, बावली मन लबालब भराय राहे आज सुखावत जात हे. गांव मन मे हेण्डपम्प लगे हे ओला टेड़त-टेड़त थक जबे त एक मग्गा पानी निकलथे. नल में बिहनिया ले संझा तक लाइन लगे रहीथे. पानी के नाम से रोज लडई झगरा होवत हे.
ये सब ह हमरे गलती के कारण हरे. गांव गाँव अऊ खेत खार सब जगा आदमी मन बोर खोद डरे हे. धरती दाई के छाती ल जगा जगा छेदा कर डरे हे. पेड़ पौधा ल रात दिन काटत जात हे. बड़े बड़े कारखाना लगा के परयावरन ल परदुसित करत जात हे. एकरे सब परिनाम आय,पानी ह दिनो दिन कम होवत जात हे.
हमर देश ल नदिया के देश कहे जाथे।इंहा गंगा, जमुना, कृष्णा, कावेरी, शिवनाथ, महानदी जइसे कतको बड़े बड़े नदियां हे. फेर बड़े दुख के बात हरे के अइसन बड़े बड़े नदियां के राहत ले बोतल में पानी ल खरीद के पीये बर परत हे. कोनो ह सोचे नइ रिहिसे के हमरो देश में पानी ल खरीद के पीये बर परही. फेर आज का से का नइ होगे.
आज हमला पानी के बचत करना बहुत जरूरी होगे हे. नही ते आने वाला समय ह अऊ भयंकर हो जाही. गांव शहर में देखे बर मिलथे के कतको नल में टोटी नइ राहे. अऊ पानी ह भक्कम बोहात रहिथे. त जनता मन ला भी चाहिए कि टोटी लगा के पानी के बरबादी ल रोके.
जतके पानी के बचत करबो ओतके हमला फायदा हेअऊ आने वाला पीढ़ी ह सुख से रही. ओकरे पाय कहे हे – जल ही जीवन हे.
पानी जिनगी के अधार ए.
पानी बिना जग अंधियार हे.