चित्र देखकर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको कहानी लिखने के लिये यह चित्र दिया था –

इस चित्र पर हमें कई मज़ेदार कहानियां मिली हैं. कुछ को हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं –

रामू और सॉंप

लेखिका – सेवती चक्रधारी

गोपालपुर नामक गाँव मे रामू नाम का किसान रहता था. वह बहुत मेहनती था और स्वभाव से बहुत अच्छा था. वह हमेशा दूसरो की मदद करता था. इस कारण गांव के सभी लोग उसे बहुत पसंद करते थे.

एक दिन रामू अपने खेत मे काम कर रहा था. काम करते हुए अचानक उसने देखा कि खेत के कोने मे एक सांप चोटिल हो गया है. वह दर्द से तड़प रहा था. रामू को उस पर दया आ गई पर वह सांप के पास जाने से डर रहा था कि कही सांप उसे काट न ले. पर सांप की हालत उसे देखी नही जा रही थी. सांप भी दर्द के कारण अचेत सा हो गया था. रामू ने हिम्मत दिखाई और सांप को उठाया. उसके घाव को धोया व पास की औषधि वाली झाड़ी से पत्ते तोड़कर, पीसकर उसके घाव मे लगाया और घाव में कपड़ा बांध दिया. वह वहीं बैठकर सांप को देखने लगा. सांप को थोड़ी राहत मिली और वह वहां से चला गया. रामू भी घर वापस आ गया.

कुछ दिन बीतने के बाद एक सुबह जब रामू उठा तो उसने देखा कि, वही सांप फन फैलाये उसने आंगन मे बैठा था. उसने रामू से कहा कि वह कोई साधारण सांप नही बल्कि नागलोक का राजा नागराज है. ‘‘तुमने मेरी जान बचाई है. इस उपकार के बदले मैं तुम्हे सोने के सिक्को से भरा यह कलश दे रहा हूं.’’ रामू ने हाथ जोड़कर कहा – ‘‘प्रभु आपकी उदारता के लिए थन्यवाद! पर मुझे क्षमा करें. मै ये धन नही ले सकता, क्योकि ये मेरी मेहनत का नही है. मुफ्त मे मिले धन का कोई महत्व नही रहता है. सांप ने कहा- ‘‘तुम धन्य हो रामू. पर फिर भी कभी ज़रूरत पड़े तो मुझे याद करना. मै तुरंत आ जाऊँगा.’’ ऐसा कहकर सांप अदृश्य हो गया.

मित्रता

लेखिका - पद्यमनी साहू

छोटी छोटी पहाड़ी व हरे भरे पेड़ो से घिरा था एक गांव सोनपुर. सोनपुर में एक परोपकारी व बुध्दिमान किसान रहता था गोपाल. सुहानी सुबह थी भगवान सूर्य नारायण अपनी समस्त रश्मियों के साथ नील गगन में उदीयमान थे. गोपाल अपने खेतो की ओर जा रहा था. तभी उसका सामना एक विषधर से हुआ. गोपाल उस विषधर के बारे में जानता था कि वह बहुत गुस्से वाला था. वहाँ से गुजरने वालो को डस लेता था.

गोपाल ने उसे समझाया कि निर्दोष लोगों पर वार नही करना चाहिए. विषधर ने उसकी बात मान ली व दोनो दोस्त बन गये. अब विषधर किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाजा था. अब उससे कोई नहीं डरता था. लोग उसे पत्थरो से मारने लगे. विषधर मरणासन्न स्थिति में पहुँच गया.

एक दिन गोपाल को अपने मित्र की बहुत याद आई. उसने सोचा मित्र से मिल आता हूं. मित्र को इस हाल में देख गोपाल को बहुत दुःख हुआ. गोपाल ने उसे समझाया डसना मत किन्तु अपनी रक्षा के लिए फुफकार ज़रूर मारना. विषधर ने ऐसा ही किया. लोग विषधर से डरने लगे. किन्तु वह किसी को काटता नही था. विषधर मित्र की बात से समझ गया था कि कभी कभी दिखाने के लिए गुस्सा करना पड़ता हैं, ताकि लोग हमारी सहजता का नाजायज फायदा न ले सकें.

सांप और किसान

लेखिका - कु. भूनेश्वरी

एक गांव में एक बड़ा दयालु किसान रहता था. वह अपने 10 साल के बेटे और अपनी पत्नी के साथ रहता था. एक दिन वह किसान अपने खेत जा रहा था. रास्ते में उसे एक प्यारा सा घायल सांप मिला. किसान को उस पर दया आ गई. उसने उसकी घाव पर दवाई लगाई. सांप व किसान दोस्त बन गए.

किसान उसके लिए रोज दूध ले जाता और सांप उसे पीकर अपना पेट भरता और धन्यवाद कहता. एक दिन किसान ने अपने बेटे को दूध ले जाने को कहा. उसका बेटा बहुत ही शरारती था. उसने सांप को मारने की कोशिश की. तब सांप ने उसे काट लिया. लड़का रोने लगा. उसकी आवाज सुनकर गांव वाले इकट्ठा हो गए. किसान ने सांप से विनती की कि वह उसके बेटे को बचा ले. पर सांप न माना. फिर किसान रोने लगा. अपने दोस्त को रोता देख सांप मान गया. उसने अपना ज़हर वापस खींच लिया. उसके बेटे ने सांप से माफी मांगी और उसे धन्यवाद भी दिया.

शिक्षा - हमें सभी जीव जंतुओं की सेवा और रक्षा करना चाहिए.

दयालु लकड़हारा

लेखिक - कु. अरुणा

एक गांव में एक लकड़हारा रहता था. उसका नाम सामू था. सामू बहुत ही दयालु और ईमानदार था. वह लकड़ी बेचकर अपना जीवन यापन करता था. हर रोज की तरह एक दिन वह जंगल लकड़ी काटने जा रहा था कि उसे एक सूखी लकड़ी का पेड़ मिला, जिसके नीचे एक सांप घायल पड़ा हुआ था. सामू को उस पर दया आ गई और उसे अपने घर ले जाकर उसका इलाज किया. दो दिनों में ही सांप ठीक हो गया. सांप ने सामू को धन्यवाद किया और घर के पास एक पेड़ पर रहने लगा.

सामू और सांप रोज सुबह उसी पेड़ के पास मिलने लगे. इस तरह दोनों में दोस्ती हो गई. सामू रोज सुबह उस पेड़ के नीचे सांप से मिलने कटोरी में दूध लेकर जाता था.

शिक्षा - सभी प्राणियों से प्रेम करना चाहिए.

चिड़िया

लेखिका - कु. प्रमिला

एक चिड़िया थी जो अपने लिए एक घोंसला बनाने के लिए एक पेड़ की तलाश कर रही थी. आखिरकार उसे एक पेड़ मिल ही गया. वह पेड़ उस जंगल का सबसे बड़ा पेड़ था. उसमें पहले से ही एक घोसला बना था. चिड़िया को बहुत दुःख हुआ कि उस पेड़ में एक भी चिड़िया नहीं थी. लेकिन उसे यह देख कर बड़ी प्रसन्नता हुई कि वहीं पास में एक झोपड़ी में राम नाम का लड़का था.

चिड़िया और राम के बीच दोस्ती हो गई. चिड़िया राम के घर रोज दाने के लिए जाती थी. एक बार चिड़िया अंडे दे रही थी तभी एक सांप आया और उसने चिड़िया को अंडे देते हुए देख लिया. जब चिड़िया भोजन करने के बाद लौट रही थी तो उसने देखा कि सांप उसके अंडे खा कर जा रहा था. चिड़िया ने राम को बताया कि सांप उसके अंडे खाता है.

अगली सुबह राम चिड़िया के पास जा रहा था तब झाड़ी के पास उसे सांप दिखाई दिया. उसने सांप समझाते हुए कहा कि तुम चिड़िया के अंडे नहीं खाओगे तो मैं तुम्हें रोज दो बार दूध दूंगा. सांप राम की बात को मान गया. अब रोज सुबह शाम राम सांप को दूध देता था. तीनों में दोस्ती हो गई और तीनों खुशी-खुशी रहने लगे.

शिक्षा- आपस में मिलजुल कर रहना चाहिए.

अब नीचे दिये चित्र को देखकर कहानी लिखें और हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दें. अच्छी कहानियां हम किलोल के अगले में प्रकाशित करेंगे.

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