कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको कविता कोरी जी की लिखी अधूरी कहानी मछुआरा पूरी करने के लिये दी थी. पिछले अंक में दी गई अधूरी कहानी नीचे दी गई है.

अधूरी कहानी - मछुआरा

लेखिका - कविता कोरी

एक बड़ा जलाशय था. जलाशय में पानी गहरा होता है, इसलिए उसमें काई तथा मछलियों का प्रिय भोजन जलीय सूक्ष्म पौधे उगते हैं. ऐसे स्थान मछलियों को बहुत रास आते हैं. उस जलाशय में भी बहुत-सी मछलियां रहती थी. वह जलाशय दूर से आसानी से नजर नहीं आता था.

उस तालाब में तीन मछलियां रहती थीं. उनके स्वभाव भिन्न-भिन्न थे. ईना नामक मछली संकट आने के लक्षण मिलते ही संकट टालने का उपाय करने में विश्वास रखती थी. मिना कहती थी कि संकट आने पर ही उससे बचने का यत्न करो. डिका का सोचना था कि संकट को टालने या उससे बचने की बात बेकार है. करने कराने से कुछ नहीं होता. जो किस्मत में लिखा है, वह होकर रहेगा. एक दिन शाम को मछुआरे नदी में मछलियां पकड़ कर घर जा रहे थे. बहुत कम मछलियां उनके जाल में फंसी थीं, अतः उनके चेहरे उदास थे. तभी उन्हें झाडियों के ऊपर मछलीखोर पक्षियों का झुंड जाता दिखाई दिया. सबकी चोंच में मछलियां दबी थीं. उन्होने अनुमान लगाया कि झाडियों के पीछे नदी से जुड़ा जलाशय है, जहां बहुत सी मछलियां पल रही हैं. मछुआरे पुलकित होकर झाडियों में से होकर जलाशय के तट पर आ निकले और ललचाई नजर से मछलियों को देखने लगे. एक मछुआरा बोला अहा! इस जलाशय में तो मछलियां भरी पड़ी हैं। आज तक हमें इसका पता ही नहीं लगा. यहां हमें ढेर सारी मछलियां मिलेंगी - दूसरा बोला. तीसरे ने कहा आज तो शाम घिरने वाली है. कल सुबह ही आकर यहां जाल डालेंगे. इस प्रकार मछुआरे दूसरे दिन का कार्यक्रम तय करके चले गए. तीनों मछलियों ने मछुआरे की बात सुन ली थी.

यह अधूरी कहानी हमें दिलकेश मुधकर जी ने पूरी करके भेजी है. उनकी पूरी की हुई कहानी हम नीचे दे रहे हैं –

दिलकेश मधुकर जी व्दारा पूरी की गई कहानी

मछुवारे के जाने के बाद तीनों मछलियां आपस में बात करने लगीं. ईना ने कहा चलो सुबह होने से पहले यह स्थान छोड़ देते हैं. पर उसकी बात मीना और डिका ने अनसुनी कर दी. तब ईना उस जलाशय को छोड़कर नदी के रास्ते दूर चली गई. जब सुबह मछुवारे जलाशय के किनारे आ गये तब मीना मछली चतुराई से जलाशय में पड़ी ऊदबिलाव के सड़ी हुई लाश के अंदर घुस गई. जब मछुवारे ने जाल डाला तो मीना और डिका दोनों फंस गए. मछुवारे ने जाल बाहर निकाला तो मीना मरी हुई मछली का अभिनय करने लगी. जब मछुवारे ने उसे उठाया तो उसमें से बहुत बदबू आ रही थी. मछुवारे ने उसे वापस जलाशय में फेंक दिया. पानी में पहुंचते ही मीना झट से गहराई में जाकर छिप गई. इधर डिका ने भाग्यवादी होने के कारण कुछ उपाय नहीं किया और पकड़ा गई. मछुवारे उसे पकड़कर अपने साथ ले गए.

शिक्षा - हमें भाग्यवादी नहीं बल्कि कर्मवादी होना चाहिए.

अगले अंक के लिए अधूरी हम नीचे दे रहे हैं.

बुध्दिमान खरगोश

एक बड़े से जंगल में शेर रहता था. शेर गुस्से का बहुत तेज था. सभी जानवर उससे बहुत डरते थे. वह सभी जानवरों को परेशान करता था. वह आए दिन जंगलों में पशु-पक्षियों का शिकार करता था. शेर की इन हरकतों से सभी जानवर चिंतित थे. एक दिन जंगल के सभी जानवरों ने एक सम्मेलन रखा. जानवरों ने सोचा शेर की इस रोज-रोज की परेशानी से तो क्यों न हम खुद ही शेर को भोजन ला देते हैं. इससे वह किसी को भी परेशान नहीं करेगा और खुश रहेगा.

सभी जानवरों ने एकसाथ शेर के सामने अपनी बात रखी. इससे शेर बहुत खुश हुआ. उसके बाद शेर ने शिकार करना भी बंद कर दिया. एक दिन शेर को बहुत जोरों से भूख लग रही थी. एक चतुर खरगोश शेर का खाना लाते-लाते रास्ते में ही रुक गया. फिर थोड़ी देर बाद खरगोश शेर के सामने गया. शेर ने दहाड़ते हुए खरगोश से पूछा इतनी देर से क्यों आए? और मेरा खाना कहां है?

चतुर खरगोश बोला, शेरजी रास्ते में ही मुझे दूसरे शेर ने रोक लिया और आपका खाना भी खा गया. शेर बोला इस जंगल का राजा तो मैं हूं यह दूसरा शेर कहां से आ गया.

अब आप इस कहानी को पूरा करके हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दीजिये. अच्छी कहानियां हम अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

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