कला

कमीशिबाई थियेटर का प्रदर्शन

प्रस्तुतकर्ता - दिलकेश मधुकर

उद्देश्य - कलात्मक शैली का विकास करना. कहानी को चित्रांकन रूप में समझाना

सामग्री - पुराने चित्र, कागज का पुट्ठा, रंगीन पेपर, कलर पेन, गोंद, सेलोटेप.

गतिविधि/क्रिया - पुट्ठे के कार्टून को चित्र के अनुसार टीवी जैसे आकृति में काट लेते हैं, या थियेटर की शक्ल दे देते हैं. पुराने या नये कैलेण्डर या अन्य चित्रों को काटकर एक श्रेणी में जमाकर रख दिया जाता है, जिससे घटना, कहानी या सामान्य ज्ञान बताया जा सकता है।

आज की कहानी - मीना और चोर

एक दिन की बात है. मीना और मिट्ठू पढ़ाई कर रहे हैं. तभी एक चोर दबे पांव चढ़कर एक मुर्गी चुरा कर भाग जाता है. मीना मुर्गियां गिनती है तो देखती है कि एक मुर्गी कम है. वह इधर उधर देखती है तो उसकी नजर मुर्गी लेकर भागते चोर पर पड़ती है. 'चोर-चोर' - मीना चिल्लाती है, और चोर के पीछे दौड़ पड़ती है. मिट्ठू भी मीना के साथ हो लेता है. देखते ही देखते सारे लोग अपना-अपना काम को छोड़कर चोर का पीछा करने लगते हैं. मिट्ठू उड़ते-उड़ते सबसे पहले चोर के पास पहुंच जाता है और उसके कान में चिल्लाता है 'चोर- चोर'. डर के मारे चोर का पैर फिसलता है, और वह धान के खेत में गिर पड़ता है. चोर पानी से भरे धान के खेत में फंस जाता है, और उसका पीछा करते लोग उसे पकड़ लेते हैं. मुखिया जी मीना की बहादुरी से बहुत खुश होते हैं. वह पूछते हैं मीना ने चोर को कैसे देखा? मीना बताती है कि उसने जब मुर्गियां गिनी तो एक मुर्गी कम निकली. वह मुर्गी ढूंढने लगी तो उसके उस ने चोर को मुर्गी लेकर भागते देखा. मुखिया जी सोचते हैं कि मीना के माता-पिता उसे स्कूल भेजते हैं इसके लिए उन्हें बधाई देते हैं.

लाभ -

  1. कक्षा अनुशासित होती है.
  2. विद्यार्थियों में क्रियात्मक शैली का विकास होता है.
  3. बच्चों की प्रतिभा का विकास होता है.
  4. बच्चों का ध्यान लगा रहता है.
  5. कक्षा में बच्चों की उपस्थिति में सुधार होता है.
  6. सामान्य ज्ञान का विकास होता है.
  7. बच्चे कहानी सुनने में बड़ा आनंद लेते हैं.

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