संपादक – डा. आलोक शुक्ला

सह-संपादक – एम. सुधीश

संपादक मंडल –
राजेंद्र कुमार विश्वकर्मा , शेख अजहरुद्दीन

प्यारे बच्चों,

परीक्षाओं का समय फिर से आ गया. आप सभी मेहनत से और दिल लगा कर पढ़ाई कर रहे होंगे. मुझे उम्मीद है कि सभी बच्चे अच्छे नम्बरों से पास होंगे और आगे की कक्षाओं में जायेंगे. बच्चों परीक्षाओं से कभी घबराना नहीं चाहिए. जीवन में हमे हमेशा कठिन परीक्षाओं से गुज़रना होता है. याद रखो तपकर ही सोना कुन्दन बनता है. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मेहनत करने पर भी हमे उतनी सफलता नहीं मिल पाती है जितनी की आशा हो. ऐसे में हिम्मत नहीं हारना चाहिये और बिना निराश हुए मेहनत के साथ आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए. दो बकरियों की अधूरी कहानी का प्रयोग बहुत सफल रहा और हमे उसे पूरा करने के लिये बहुत सी अच्छी कहानियां मिली हैं. कुछ को हम इस अंक में प्रकाशित कर रहे हैं. इस अंक में हम विज्ञान पहेली भी प्रारंभ कर रहे हैं. तो बच्चों जुट जाओ पढ़ाई में. जल्दी ही परीक्षा समाप्त होगी और गर्मी की छुट्टियों में हमे फिर से खेलने-कूदने और घूमने-फिरने का मौका मिलेगा. हमेशा की तरह यह अंक भी http://alokshukla.com/Books/BookForm.aspx?Mag=Kilol पर नि:शुल्क डाउनलोड के लिये उपलब्ध है. सभी से पुन: अनुरोध है कि dr.alokshukla@gmail.com पर ई-मेल व्दारा अच्छी रचनाएं भेजें.

आलोक शुक्ला

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