छत्तीसगढ़ी बालगीत

आगे होरी तिहार

लेखक - रघुवंश मिश्रा

उड़थे धुर्रा गुलाल रे
आगे-आगे होरी तिहार रे।

बड़े बिहनिया ले टोली बनाके ।
किसम-किसम के मुखौटा लगाके।।
रंग के करें बउछार रे...

जगह-जगह म बाजे नगाड़ा।
गली-गली ह बनगे अखाड़ा।।
चारों तरफ मचे रार रे...

एक - दूसर ल लगाके गुलाल।
पुछत लागिन हाल-चाल।।
भरें हे मन म दुलार रे ...

फूले हे टेसू चारो ओर ।
मन के उमंग ह मारे जोर ।।
हिरदय में खुशी अपार रे ...

आगे-आगे होरी तिहार रे ।।

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