बालगीत

कोयल

लेखिका – पुष्पा शुक्ला

काली कोयल बोल रही है
डाल-डाल पर डोल रही है '
कुहू–कुहू का गीत सुनाती
कभी नही मेरे घर आती '
आमों कि डाली पर गाती
बच्चों के दिल को बहलाती '
कूक-कूक कर किसे बुलाती
क्या अम्मा की याद सताती ?
यदि हम भी कोयल बन जाते
उड़ते फिरते, गीत सुनाते '

जग में नाम कमाना है

लेखि‍का - कविता कोरी

लो आ गई परीक्षा,
जितनी भी ली शिक्षा-दीक्षा,
अब उसको बतलाना है,
जग में नाम कमाना है ''
शिक्षा,कौशल और अभ्यास,
जितने भी हैं किये प्रयास,
अब सबको दिखलाना है,
जग में नाम कमाना है ''
रुकें नहीं दिन हो या रात,
जब तक लक्ष्य न लेते साध,
मुट्ठी में सारा ज़माना है,
जग में नाम कमाना है ''

Visitor No. : 6721567
Site Developed and Hosted by Alok Shukla