पर्यावरण (गीत) पहेलियाँ

श्रवण कुमार साहू 'प्रखर'

फल के अन्दर बिस्तर अपना
छिपे -छिपे हम सोए रहते
मिट्टी में मिलकर हम उग आते
बताओ हम क्या हैं?

उत्तर:--बीज।

पौधों को मैं जकड़े रहती,
मिट्टी के अन्दर घर मेरा
लवण और जल पहुंचाती,
बताओ क्या नाम मेरा?

उत्तर:--जड़।

पत्ती फूलों का ले छाता,
पेड़ों की ताकत कहलाता
ऊपर - ऊपर बढ़ता जाता
कभी न सोता, सदा जागता

उत्तर:--तना।

हरी-हरी पोशाक हमारी
हरा- भरा है, सबका रूप
पौधों को भोजन हम देते
जब भी मिलती हमको धूप

उत्तर:--पत्ती

रंग –बिरंगा रूप हमारा
तितली को लगता है प्यारा
भौंरे हम पर गुंजन करते
खुशबू फैलाना काम हमारा

उत्तर:--फूल

खट्टा – मीठा स्वाद हमारा
रोग नहीं हम होने देते
पोषक तत्व हमारे अन्दर
बताओ हमको क्या कहते

उत्तर:--फल

पहेलियां

प्रस्तुंतकर्ता - विद्यार्थी , प्राथमिक शाला बर्रापारा, डौंडीलोहारा

  1. तीन रंग तथा चौड़ी छाती, फर-फर फर-फर भरे उड़ान
    जय-जयकार कर, मेरा करते सब सम्मान
  2. चले सुंदर,घूमे फिरे, तुम बिन चला जाए
    और जो तुम बिन चले, वो दिन दिए गँवाए
  3. हरा ताज वह पहने आई, फिरती फूली-फूली
    गोरा रंग है उसका, बताओ नाम बड़ी मामूली
  4. सबसे बड़ा मरुस्थल जग का, आखिर में फिर भी हार
    बीच कटा तो सरा हो गया, नाम बताओ जरा
  5. दुध का पोता, दही का बच्चा
    सब पीते हैं उसे कच्चा

उत्तर- 1. तिरंगा झंडा, 2. घड़ी, 3. मूली, 4. सहारा, 5. लस्सी

बूझो तो जाने

प्रस्तुतकर्ता - चन्द्रहास सेन

  1. बिना पैर के दौड़ लगाऊं, टेढ़ी मेढ़ी चाल
    पानी सेमैं प्यास बुझाऊं,भागूं देख के जाल
  2. नाना ने नानी से,बुझी एक पहेली
    सुबह आती शाम को जाती, दुल्हन नई नवेली
  3. पवन सवारी लेकर उडुं, धरती से आकाश
    जीवों को जीवन देने लाऊं मैं प्रकाश
  4. अड़ी हूं पर पड़ी हूं, दूर तक चली हूं
    मंजिल तक तुम्हें पहुंचाने, धरा पर बनी हूं
  5. एक फूलवारी ऐसी, जिसमें पत्त़ा न डाली
    दिन में छिपे, रात में निकले, करे न कोई रखवाली
  6. न कोई छोटी न कोई बड़ी, सात सहेलियों की टोली
    मिलकर रहते सारे, जैसे दामन और चोली
  7. मैं सवार जल पर, मुझपे कई लोग सवार
    चलने से पहले मांगू, तुमसे कोई पतवार
  8. इसने दिया उसने लिया,चलती रही हर बार
    मेरे बिना सुना लागे पूरा ये संसार
  9. पहरेदार तुम्हारे घर का, दिन सोऊं न रात
    अंदर बाहर जाते लोग, रखते मुझ पे हाथ
  10. अड़ा हूं पड़ा हूं बरसों से खड़ा हूं
    आंधी और तूफानों से कई बार लड़ा हूं
  11. बादल बरसे बिजली चमके, या बरसे अंगारा
    मातृभूमि की रक्षा खातिर, बीते जीवन हमारा

उत्तर

1 – मछली, 2 – सूरज, 3 – वाष्प, 4- सड़क, 5 – चांदनी, 6 – सप्ताह के दिन, 7 - नाव, 8 - रुपया, 9 - दरवाजा, 10 – पर्वत, 11 - फौजी

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