चित्र देखकर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको कहानी लिखने के लिये यह चित्र दिया था –

इस चित्र पर हमें अनेक कहानियां मिली हैं जिनमें से कुछ को हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं.

जंगल की मित्रता

लेखिका - जयश्री कर्ष

एक जंगल था. जहां सभी जानवर मिलजुल कर रहते थे. इसी जंगल में चार मित्र थे, हिरण, कौआ, चूहा और कछुआ. उनकी मित्रता दूर-दूर तक सभी जानते थे. यह चारों मित्र मिलकर सभी की मदद करते थे. तभी वहां एक शिकारी आया, जिसकी खबर कौए ने उनको दी. सभी डर गए, क्योंकि वह हिरण को पकड़ने आया था. लेकिन कछुए ने सभी का हौंसला बढ़ाया और कहा कि जब तक हम सब एक हैं तब तक कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता.

एक दिन हिरण पानी की खोज में गया. अन्या तीनों मित्र अपने भोजन के प्रबंध में लगे हुए थे. देर रात तक हिरण लौटकर नहीं आया तो सभी मित्र चिंतित हो गए. वे उसे ढूंढने लगे. कौवे ने कहा – ‘मैं पता लगा कर आता हूं’. तभी उसे हिरण दिखा. उसका पैर जाल में फंसा हुआ था. वह उसके पास गया और बोला – ‘तुम चिंता मत करो. मैं बाकी मित्रों को बुला कर लाता हूं.’ सभी मित्र हिरण के पास पहुंचे. हिरण ने कहा – ‘अरे तुम सब यहां क्यों आ गए? अगर शिकारी आ गया तो वह तुम्हें भी पकड़ लेगा.’ तथी शिकारी वहां पर आ गया. उसने कछुए को पकड़ लिया. लेकिन तब तक चूहे ने हिरण का जाल काट दिया था.

उन्होंने तुरंत योजना बनाई. हिरण चुपचाप लेट गया और उसे कौआ नोचने का अभिनय करने लगा. यह देखकर शिकारी हिरन की ओर लपका. उसने कछुए को वहीं छोड़ दिया. तभी चूहे ने कछुए के पैर की रस्सी को काट दिया. कछुआ तुरंत पानी में चला गया. उधर हिरण ने शिकारी को आते देखा तो उठ कर भाग गया और कौआ फुर्र से उड़ गया. शिकारी के हाथ कुछ ना लगा. मरे हुए हिरण को भागता देखकर शिकारी डर गया. उसे लगा यह जंगल शापित है. वह भूत भूत चिल्लाता हुआ भाग खड़ा हुआ. चारों मित्र यह देखकर खूब हंसे और खुशी खुशी जंगल में रहने लगे.

चार मित्र

लेखक - नंदनी राजपूत

पुराने समय की बात है एक जंगल में कौआ, एक चूहे के बिल के पास घोंसला बना कर जीवन यापन कर रहा था. एक दिन कौआ, चूहे की बिल के पास गया और उसे आवाज दी. चूहा बिल से बाहर निकला. उसने कौंवे से पूछा कि तुम्हें मुझसे क्या काम है? कौवे ने कहा हम एक दूसरे के पड़ोसी हैं, अतः हम दोनों अच्छे मित्र बन सकते हैं. चूहे ने कहा मैंने तो कौवे और चूहे की दुश्मनी के बारे में ही हमेशा सुना है. कौवे चूहे को अपना शिकार बनाते हैं. मैं तुमसे दोस्ती नहीं कर सकता. परंतु कौंवे ने चूहे को भरोसा दिलाया कि वह कभी उसका शिकार नहीं करेगा. हमेशा पक्का दोस्त बनकर ही रहेगा. इस प्रकार दोनों अच्छे दोस्त बन गए और खुशी-खुशी जीवन व्यतीत करने लगे.

एक दिन की बात है कौवे ने चूहे से कहा – ‘हम इस जंगल में चैन की जिंदगी नहीं जी सकते क्योंकि यहां से शिकारियों का गुजरना बहुत होता है. मैं पहले एक और हरे-भरे मैदान में एक जल सोते के किनारे अपने एक अन्य मित्र कछुए के साथ रहता था. वहां बड़ी अच्छी जगह है और खाने-पीने की चीजें भी बहुतायत से है. अगर तुम तैयार हो तो हम वही चलते हैं.’ चूहा कौवे की बात मान गया. कौवे ने चूहे को एक टोकरी में रखा और उस टोकरी को अपनी चोंच में दबाकर उस हरे मैदान की ओर रवाना हुआ, जहां कछुआ रहता था. कछुआ कौवे को देखकर बहुत खुश हुआ. कौवे ने चूहे के साथ अपनी दोस्ती की पूरी कहानी बताई. वह तीनों बहुत देर तक एक साथ बैठे रहे और इधर-उधर की बातें करते रहे. अचानक उन्होंने एक हिरण को देखा, जो उनकी ओर चला आ रहा था. उन्हें लगा कोई शिकारी हिरण का पीछा कर रहा है, अतः तीनो मित्र अलग अलग दिशा में भागे. परंतु हिरण ने उस स्थान पर आकर से पानी पिया. जब तीनों दोस्त्त वापस आए तो हिरन से भागने का कारण पूछा. कौवे ने उसने कहा – ‘मैने कुछ दूर एक काली चीज देखी तो मुझे लगा कोई शत्रु है, अतः मैं भाग निकला. परन्तु तुम तो सीधे-साधे पशु हो. तुम किसी को परेशान भी नहीं करते. हम तीन दोस्त यहां बड़े प्रेम से रहते हैं. तुम चाहो तो हमारे साथ रह सकते हो.’ हिरण ने यह स्वीकार कर लिया. अब चारों दोस्त खुशी से परिपूर्ण जीवन व्यतीत करने लगे.

एक दिन कौआ, कछुआ और चूहा तीनों तालाब के पास पहुंचे किंतु हिरण नहीं आया. तीनों परेशान हो गए. कछुए और चूहे के कहने पर कौए ने आसपास उड़ कर देखा, तो उसे पता चला कि हिरण एक शिकारी के जाल में फंस गया है. कौए ने चूहे से कहा यह बलिदान का समय है. तुम जल्दी से हिरण के पास पहुंचो और उसे आजाद कराओ. चूहा वहां पहुंचा और उसने अपने तेज दांतों से जाल काट दिया. हिरण आजाद हो गया. इस बीच कछुआ भी वहां पहुंच गया. हिरण ने कछुए से कहा – ‘मेरे मित्र अब हमें यहां से भागना है, तुम यहां क्यों चले आए? तुम भागोगे कैसे?’ कछुए ने कहा कि मैंने दोस्ती का हक अदा किया है. तीनो दोस्तो ने कछुए से कहा – ‘जितना तेज भाग सकते हो, भागो!’ यह कह कर तीनो तेजी से भाग निकले. उसी समय शिकारी वहां आया. उसने देखा कि जाल कटा हुआ है और हिरण भाग गया है. शिकारी ने चारों ओर देखा तो उसे कुछ दूरी पर कछुआ नजर आया. शिकारी ने उसे ही पकड़ लिया और उसे थैली में डालकर आगे बढ़ने लगा.

जब चूहा, कौवा और हिरन एक दूसरे से मिले तो उन्होरने देखा कि कछुआ नहीं है. वह समझ गए कि शिकारी ने कछुए को पकड़ लिया है. सभी दुखी हुए और अपने दोस्तों को छुड़ाने की तरकीब सोचने लगे. कौआ ने कहा – ‘हम सब एक नाटक करते हैं. हिरण तुम शिकारी के रास्ते में जा कर लेट जाओ. मैं तुम पर झपटूंगा और इस प्रकार हमला करूंगा मानो तुम्हारी आंख निकाल रहा हूं. शिकारी तुम्हें देख लेगा. तुम अपनी जगह से उठना और लड़खड़ाते हुए भागना शुरू कर देना. शिकारी समझेगा कि तुम तेजी से नहीं भाग सकते. अतः वह तुम्हें पकड़ने का प्रयास करेगा. जब शिकारी करीब आए तो तुम अपनी रफ्तार तेज कर देना. शिकारी तेज दौड़ने के प्रयास में झोली वही जमीन पर डाल देगा. यहां पर चूहा जाल को काट देगा और कछुआ आजाद हो जाएगा.’

तीनों को यह तरकीब बहुत अच्छी लगी. नाटक के अनुसार हिरण ने वैसा ही किया जैसा बोला गया था. शिकारी ने हिरण को पकड़ने के लालच में कछुए को जमीन पर रख दिया. चूहे ने जाल काटकर कछुए को आजाद कर दिया. उधर कौवा पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रखा था. जब उसने देखा कि कछुआ और चूहा सुरक्षित स्थान पर गए तो उसने हिरण को उसकी सूचना दे दी. हिरण तेजी से भाग निकला. शिकारी हिरण पकड़ नहीं सका ओर निराश होकर अपनी झोली की ओर लौटा. उसने देखा कि कछुआ भी भाग चुका है. उसने बड़े दुखी मन से अपनी झोली उठाई और शहर लौट गया. इस प्रकार चारों दोस्तों ने मिलकर अपनी समझदारी से शिकारी से अपने आप को बचाया.

इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है कि एकता और सहयोग से किये गए कार्य में हमेशा सफलता मिलती है. साथ मिलकर ही बड़ी से बड़ी परेशानी का सामना किया जा सकता है.

अब आप लक्ष्मी मधुकर जी का बनाया गये नीचे दिये चित्र को देखकर कहानी लिखें और हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दें. अच्छी कहानियां हम किलोल के अगले में प्रकाशित करेंगे.

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