चित्र देखकर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको कहानी लिखने के लिये यह चित्र दिया था –

इस चित्र पर हमें कहानियाँ प्राप्त हुई हैं, जो हम नीचे प्रकाशित कर रहे हैं –

पूर्णेश डड़सेना द्वारा भेजी गयी कहानी

रीता जब काम से घर आती तो रोज उसके बच्चे आते ही मम्मी का हाल-चाल पूछने के बजाय वह मोबाइल मांग लेते थे और उसमें घंटों गेम खेलते रहते थे. राज्य में लॉक डाउन होने से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही थी. कक्षा कार्य न होने और गृह कार्य न मिलने से बच्चे दिनभर खेलने में ही अपना समय बिता रहे थे. रीता के काफी समझाने पर भी उन बच्चों को यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि मोबाइल खेलने के अलावा और भी ज्ञानवर्धक चीजें देखने, सीखने और समझने के लिए है, पर जैसे ही समझाती बच्चे चिढ़ जाते थे. काफी दिनों तक यही स्थिति बनी रही. बच्चों को अपनी ही मम्मी और पापा से भी बात करने की फुर्सत नहीं रहती थी.वह मोबाइल में इतने मगन हो जाते थे कि उन्हें ना खाने का होश रहता ना ही वे बाहर खेलने जाते थे. जब रीता ने अपनी परेशान होकर अपनी यह समस्या अपनी सहेली वंदना से कहीं जो उसके पड़ोस में रहती थी. वह इस साल कक्षा 12वीं की परीक्षा दे रही थी उसने समस्या को सुनकर कहा दीदी सरकार के द्वारा बच्चों को घर पर रहकर ही पढ़ाई करने के लिए पढ़ाई तुहर द्वार योजना शुरू की गई है जिसमें बच्चे पढ़ाई के वीडियो और साथ में गतिविधियां देखकर सीख सकते हैं और अपनी शिक्षिका से प्रश्न भी पूछ सकते हैं और अपना उत्तर जांच भी करवा सकते हैं तब रीता ने कहा अच्छा इसके बारे में मुझे पता नहीं था इनकी शिक्षिका ने फोन किया था पर मैं बात नहीं कर पाई थी शायद इसीलिए फोन की रही होंगी तो अब क्या करना चाहिए, इन बच्चों से मोबाइल में पढ़ाई करने के लिए? वंदना बोलती है दीदी तुम कुछ ना करो कल मैं कुछ बच्चों को लेकर तुम्हारे घर आऊंगी और उन्हें रोचक तरीके से मोबाइल में पढ़ाऊंगी . दूसरे दिन जब रीता काम से लौटी तभी वंदना उसके घर आई कुछ बच्चों को लेकर और उसने कहा दीदी मैं इन बच्चों को थोड़ी देर आपके आंगन में पढ़ाऊंगी क्योंकि इनमें से बहुत से बच्चों के पास मोबाइल नहीं है तब रीता ने हां में सिर हिला दिया पर उनके बच्चे इस वक्त भी मोबाइल में गेम खेल रहे थे जब वंदना नहीं नए-नए वीडियो पढ़ाई के दिखाने शुरू किए और बच्चों को मजे लेकर पढ़ते हुए देखा तो रीता के बच्चों का भी ध्यान उधर गया और वे धीरे से वंदना के पास पहुंच कर देखने लगे कि वह क्या पढ़ा रही है. उन बच्चों को तब वंदना ने धीरे से समझाया कि मोबाइल का उपयोग हमें सही तरीके से करना है. सही चीजें देखने के लिए और अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए करना है और अब बच्चे रोज वंदना के साथ बच्चे इकट्ठे होकर मोबाइल से पढ़ाई करने लगे और उन्हें मजा भी आने लगा इस तरह रीता की समझदारी से उसकी समस्या हल हो गई.

अपर्णा वर्मा कक्षा दशवीं भानुप्रतापपुर, कांकेर द्वारा भेजी गयी कहानी

लाॅकडाउन में पढ़ाई

गर्मी की छुट्टियाँ चल रहीं थीं, पर इस बार कुछ अधूरा लग रहा था. मजा नहीं आ रहा था. इसका एक ही कारण था, 'लाॅकडाउन'. कोरोना वायरस के चलते सभी को घर पर रहना था. केवल आवश्यक सामान लेने ही बाहर जा सकते थे. हर साल गर्मियों में बुआ जी सपरिवार आतीं थीं. पर इस साल वे सभी अपने-अपने घर पर हैं. वे सब इस बार नहीं आ रहे इसलिए बुरा तो लग रहा है पर ये अच्छा है कि सभी अपने घर पर सुरक्षित हैं.

घर पर बैठे-बैठे हम सब ऊबने लगे थे. ये और बात है कि फोन पर देख कर कुछ स्वादिष्ट बना लेते थे. कभी कुछ पढ़ लेते थे, कभी चित्र बना लेते थे. प्रतिदिन मरीजों की संख्या और लाॅकडाउन की तारीख बढ़ती जा रही थी. स्कूल भी बंद थे, दोस्तों से मिलना भी नहीं हो रहा था. एक दिन हमारे टीचर का फोन आया, उन्होंने हमें सरकार द्वारा 'पढ़ाई तुंहर दुआर' नाम की स्कीम के बारे में सारी जानकारी दी.

फिर क्या था, कुछ दिनों बाद हमारी भी आॅनलाइन क्लासेस शुरू हो गईं. हमें इस स्कीम से पढ़ाई में बहुत लाभ हुआ. हमारे टीचर्स ने हमें पढ़ाई से संबंधित वीडियो तथा फोटो भेजे. हमने उसकी मदद से पढ़ना शुरु किया. टीचर्स ने गृहकार्य दिए. हमने उसके उत्तर स्कैन करके उन्हें भेज दिए. उन्होंने उत्तर जाँचे. यदि उत्तर में कोई गलती रहती है तो वे वीडियो काॅल क्लासेस के दौरान हमें समझा दिया करते हैं.

यदि तब भी समझ में नहीं आता है तो हम अपने आस-पास जो टीचर रहते हैं उनकी मदद से समझ लेते हैं. अब हम घर पर बैठे-बैठे ही अपने दोस्तों और शिक्षकों से मिल लेते हैं, साथ ही पढ़ भी लेते हैं.

इस स्कीम के बारे में हमने अपने आस-पड़ोस के सभी दोस्तों को भी सारी बातें बताईं. कोई आठवीं कक्षा में था तो कोई ग्यारहवीं में. सभी को यह स्कीम बड़ी अच्छी लगी. वे सब भी जानना चाहते थे कि यह कौन सी वेबसाइट है और मोबाइल से पढ़ाई कैसे होगी ? इसलिए हमने उन्हें अपने घर पर बुलाया और पढ़ाई तुंहर दुवार के बारे में सब-कुछ समझाया. सब साथ में बैठे तो जरूर थे पर हमने सोशल डिस्टेंसिग का पूरी तरह से ध्यान रखा था!!

अब हम सब अपने - अपने विषय की पढ़ाई मोबाइल की सहायता से कर रहे हैं एक दूसरे से दूर रहते हुए भी मोबाइल पर क्लास के समय ऐसा लगता है कि हम सब साथ में बैठे हुए हैं. कभी-कभी हम चार पांच सहेलियाँ हमारे घर के आंगन में बैठकर अपने - अपने अनुभव आपस में एक दूसरे को बताया करते हैं और मेरी मम्मी भी हमारे साथ शामिल हो जाती हैं. मम्मी इस बात का भी ध्यान रखती हैं कि हम सभी सोशल डिस्टेंसिग का पालन कर रहे हैं या नहीं?

पढाई तुंहर दुवार योजना से लाॅकडाउन में भी हमारी पढ़ाई चल रही है और इस नये तरीके से हम सभी को बहुत मज़ा भी आ रहा है.

अब नीचे दिये चित्र को देखकर एक बढ़िया सी कहानी स्वयं या अपने बच्चों को चित्र दिखाकर लिखने का अवसर दें और हमें ई-मेल से kilolmagazine@gmail.com पर भेज दें. अच्‍छी कहानियां हम किलोल के अगल अंक में प्रकाशित करेंगे.

Visitor No. : 6719776
Site Developed and Hosted by Alok Shukla