कहानी पूरी करो

पिछले अंक में हमने आपको यह अधूरी कहानी पूरी करने के लिए दी थी -

बुध्दिमान खरगोश

एक बड़े से जंगल में शेर रहता था. शेर गुस्से का बहुत तेज था. सभी जानवर उससे बहुत डरते थे. वह सभी जानवरों को परेशान करता था. वह आए दिन जंगलों में पशु-पक्षियों का शिकार करता था. शेर की इन हरकतों से सभी जानवर चिंतित थे. एक दिन जंगल के सभी जानवरों ने एक सम्मेलन रखा. जानवरों ने सोचा शेर की इस रोज-रोज की परेशानी से तो क्यों न हम खुद ही शेर को भोजन ला देते हैं. इससे वह किसी को भी परेशान नहीं करेगा और खुश रहेगा.

सभी जानवरों ने एकसाथ शेर के सामने अपनी बात रखी. इससे शेर बहुत खुश हुआ. उसके बाद शेर ने शिकार करना भी बंद कर दिया. एक दिन शेर को बहुत जोरों से भूख लग रही थी. एक चतुर खरगोश शेर का खाना लाते-लाते रास्ते में ही रुक गया. फिर थोड़ी देर बाद खरगोश शेर के सामने गया. शेर ने दहाड़ते हुए खरगोश से पूछा इतनी देर से क्यों आए? और मेरा खाना कहां है?

चतुर खरगोश बोला, शेरजी रास्ते में ही मुझे दूसरे शेर ने रोक लिया और आपका खाना भी खा गया. शेर बोला इस जंगल का राजा तो मैं हूं यह दूसरा शेर कहां से आ गया.

इस कहानी को बहुत से लोगों ने पूरा करके भेजा है. उसमें से कुछ हम नीचे दे रहे हैं.

श्रीमती नंदनी राजपूत व्दारा पूरी की गई कहानी

शेर गुस्से में बोला आखिर यह दूसरा शेर कहां है ? मुझे उसके पास ले चलो. खरगोश तैयार हो गया और उसे उस जगह पर ले गया. वहां जाकर शेर ने पूछा - दूसरा शेर कहां है ? खरगोश ने एक कुएं की तरफ इशारा करते हुए कहा - वह दूसरा शेर इसी अंधेरी गुफा में है. वही आपका खाना खाना खा गया है.

चूंकि शेर बहुत गुस्से में था, इसलिए बिना सोचे समझे अपने शत्रु से लड़ने के मकसद से वह उस कुएं में कूद गया. फिर वहां से वह वापस नहीं आ पाया. सिर्फ उसके दहाड़ने की आवाज़ ही अब भी सुनाई देती है. इस प्रकार बड़ी ही चतुराई से चतुर खरगोश ने जंगल के सभी जीव जंतुओं को उस शेर से मुक्ति दिलाई.

विश्वविजय मरकाम व्दारा पूरी की गई कहानी

शेर ने कहा - वहां शेर कहां है ? चलो मुझे उसके पास ले चलो. खरगोश उसे एक कुएं के पास ले गया और बोला - वह शेर इसी कुए के अंदर छिपा है. शेर ने कुएं में झांका तो उसे अपनी परछाई दिखाई दी. उसे उसने दूसरा शेर समझा. वह अपने दुश्मन को मारने के लिए जोर-जोर से दहाड़ने लगा. उसकी आवाज कुएं से वापस आने लगी. शेर गुस्से में आ गया और अपनी परछाई को दुश्मन समझकर मारने के लिए कुएं में कूद गया और पानी में डूब कर मर गया. अब सभी जानवर खुशी-खुशी रहने लगे.

अदिति देवांगन व्दारा पूरी की गई कहानी

तो फिर खरागोश ने शेर से कहा – शेर जी मुझे हूबहू आप जैसा ही एक शेर नज़र आया तो मैने उसे आप का खाना दे दिया मगर उसकी भूख कम ही नहीं हो रही थी और वह जितना खाना खाता था उतना ही छोटा होता जा रहा था. मालिक मै तो किसी प्रकार अपनी जान बचाकर आया हूं. अब आप ही समझो कि उस शेर के साथ आप क्या कर सकते हो.

यह सुनने के बाद शेर घबरा गया और बोला – मुझे उस शेर के पास ले चलो जिसे तुमने मेरा खाना खिलाया है, और जिसे खाकर वह छोटा हो गया है. चतुर खरगोश में जंगल के बीच एक मृत बिल्ला रख दिया था और उसपर गीली हल्दी लगा दी थी जिससे वह बिल्कुल शेर जैसा दिखने लगा था.

जब शेर ने उस मृत बिल्ले को देखा तो सोचा कि मेरा खाना खाने से यह शेर छोटा होगा गया और अंत में इसकी मृत्यु हो गई. अगर मैं भी इस जंगल का खाना लगातार खाउंगा तो एक दिन मेरी भी मृत्यु हो जायेगी. यह सोचकर वह बेवकूफ शेर वहां से भाग गया और फिर लौटकर कभी नहीं आया. अब जंगल के सब जानवर खुशी से रहने लगे.

राधे तिवारी व्दारा पूरी की गई कहानी

इतना सुनते ही शेर आग बबूला हो गया. क्रोधित होकर उसने खरगोश से कहा - चलो अभी दिखाओ. आज उसकी खैर नहीं. खरगोश उसे कुएं के पास ले गया, और कहा - हे जंगल के राजा आपका भोजन छीनने वाला इसी कुएं में रहता है. शेर ने ललकार कर जैसे ही कुएं मे देखा तो अपनी ही छाया पानी में देखकर अपना आपा खो बैठा. उसने लडऩे के लिए जैसे ही कदम बढाया, धड़ाम से कुएं में गिर गया और उसकी मृत्यु हो गई. जंगल में फिर से सुख शांति छा गई. जंगल के सभी जीवों ने बुध्दिमान खरगोश की भूरि-भूरि प्रशंसा की.

शिक्षा - बिना बिचारे जो करे सो पाछे पछताय.

विश्वमोहन मिश्र व्दारा पूरी की गई कहानी

खरगोश की बात पर शेर को यकीन नहीं हुआ. उसने खरगोश से कहा -'तुम झूठ बोल रहे हो. इस जंगल में मेरे सिवा कोई दूसरा शेर नहीं है.' खरगोश ने कहा -'नहीं महाराज मैं सच कह रहा हूं. आप मेरे साथ चलिये.' ऐसा कहकर खरगोश शेर को अपने साथ एक ऊंची पहाड़ी पर ले गया जिसके नीचे एक गहरी झील थी. झील के पानी में शेर को अपनी परछाई दिखाई दी तो शेर ने जोर से दहाड़ लगाई. खरगोश ने शेर को उकसाते हुए कहा – ‘‘देखिये महाराज वह आपको ललकार रहा है.’’ शेर ने तैश में आकर झील में छलांग लगा दी और मर गया.

शिक्षा - हमे विपत्ति का सामना धैर्य और चातुर्य से करना चाहिए.

अगले अंक के लिये अधूरी कहानी - दो बिल्लियां और एक बंदर

बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में 2 बिल्लियां रहती थीं. दोनों बहुत ही अच्छी दोस्त थीं और दोनों आपस में बहुत प्यार से रहती थीं. दोनों की दोस्ती का सभी लोग उदाहरण देते थे. वो दोनों बहुत ख़ुश थीं. उन्हें जो कुछ भी मिलता था, उसे आपस में मिल-बांटकर खाया करती थीं.

एक दिन दोनों दोपहर के वक्त खेल रही थीं कि खेलते-खेलते दानों को ज़ोर की भूख लगी. वो भोजन की तलाश में निकल पड़ीं. कुछ दूर जाने पर एक बिल्ली को एक स्वादिष्ट रोटी नज़र आई. उसने झट से उस रोटी को उठा लिया और जैसे ही उसे खाने लगी, तो दूसरी बिल्ली ने कहा, “अरे, यह क्या ? तुम अकेले ही रोटी खाने लगीं ? मुझे भूल गई क्या ? मैं तुम्हारी दोस्त हूं और हम जो भी खाते हैं आपस में बांटकर ही खाते हैं.

पहली बिल्ली ने रोटी के दो टुकड़े किए और दूसरी बिल्ली की ओर एक टुकड़ा बढ़ा दिया. यह देख दूसरी बिल्ली फिर बोली, “यह क्या, तुमने मुझे छोटा टुकड़ा दिया. यह तो ग़लत है.

बस, इसी बात पर दोनों में झगड़ा शुरू हो गया और झगड़ा इतना बढ़ गया कि सारे जानवर इकट्ठा हो गए. इतने में ही एक बंदर आया.

इस मज़ेदार काहनी आपको पूरा करके हमें dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दीजिये. अच्छी कहानियां हम अगले अंक में प्रकाशित करेंगे.

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