सामान्य ज्ञान
सामान्य ज्ञान – दर्शनीय पर्यटन स्थल रतनपुर
लेखक - दिलकेश मधुकर
छत्तीसगढ़ में बस्तर अंचल में जगदलपुर का 'चित्रकोट जलप्रपात' बड़ा मनमोहक है. यह इंद्रावती नदी के पहाड़ी से नीचे गिरने से बना है. इसे भारत का नियाग्रा फाल भी कहा जाता है. लगभग पौन किलोमीटर चौड़ा और 90 फीट ऊंचा यह जलप्रपात देश भर में सबसे चौड़ा है. अलग-अलग मौकों पर इस जलप्रपात से कम से कम तीन और अधिकतम सात धाराएं गिरती हैं. आकार में यह घोड़े की नाल के समान है. इस जल प्रपात के आस पास घने वन हैं. पर्यटन विभाग ने इस स्थान पर रोशनी की है जिससे रात के समय प्रपात का पानी बहुत सुंदर नज़र आता है. वर्षा के समय इसकी सुंदरता और बढ़ जाती है.
बिलासपुर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर कटघोरा मार्ग पर रतनपुर स्थित है. प्राचीन काल में राजा रत्नदेव प्रथम ने मणिपुर नामक गांव को रतनपुर नाम देकर अपनी राजधानी बनाया. यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं: -
(1) राम टेकरी - राम टेकरी मंदिर का निर्माण मराठा राजा शिवाजीराव भोसले ने ने कराया था. यहां भगवान राम, सीता और हनुमान की शानदार ग्रेनाइट की मूर्तियां हैं. इस मंदिर के समीप बूढ़ा महादेव मंदिर, गिरजा बंद हनुमान मंदिर और बिकमा तालाब दर्शनीय हैं.
(2) महामाया मंदिर - यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. यह मंदिर लगभग 12 वीं शताब्दी में निर्मित माना जाता है. नवरात्रों में मुख्य उत्सव तथा विशेष पूजा अर्चना होती है. मंदिर जाने के पूर्व तीन भव्य प्रवेश व्दार हैं, जो अपनी कलाकृति के लिए अद्भुत हैं. मंदिर के समीप नौका विहार की सुविधा है. गार्डनों में सुंदर फूल लगे हैं.
(3) गज किला - पुराना बस स्टैंड के पास राष्ट्रीय राजमार्ग से लगा हुआ एतिहासिक किला हाथी अथवा गज किले के नाम से जाना जाता है. किले में लक्ष्मी नारायण मंदिर तथा जगन्नाथ मंदिर हैं. किले का जीर्णोध्दार पुरातत्व विभाग कर रहा है. इसके साथ ही यहां कलचुरी कालीन मूर्तियां, अप्सरा, गज एवं महा पराक्रमी गोपाल राय की एक विशाल प्रतिमा भी है. वर्तमान में यहां का सुंदर उपवन नगर वासियों का सायं कालीन मनोरंजन स्थल बना हुआ है.
(4) लखनी देवी मंदिर - छत्तीसगढ़ में एकमात्र लक्ष्मी का प्राचीन मंदिर एकविरा पहाड़ी रतनपुर कोटा मार्ग पर स्थित है. इकवीरा पर्वत वाराह पर्वत, श्री पर्वत व लक्ष्मी धाम पर्वत के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर का निर्माण कलचुरी राजा रत्नदेव तृतीय प्रधानमंत्री गंगाधर ने सन 1179 में कराया था. इस पहाड़ी के ऊपर हनुमान जी की विशाल प्रतिमा है. समीप में भैरो बाबा मंदिर, खंडोबा मंदिर, दुलहरा तालाब एवं बादल महल देखने योग्य है।
(5) खूंटाघाट बांध - यह बांध खारून नदी पर है. इसे खारंग जलाशय भी कहते हैं. आस-पास के जंगल और पहाड़ियां इस बांध के लिए अतिरिक्त आकर्षण का केंद्र हैं. यह एक सुंदर पिकनिक स्थल है जहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं. यह बांध ब्रिटिशकालीन है तथा लगभग 1930 ईस्वी में बनाया गया था. इनके अलावा राधा स्वामी मंदिर, सिध्दि विनायक मंदिर, कृष्णार्जुन तालाब, कका पहाड़, सिध्द बाबा मंदिर, गायत्री मंदिर नवागांव, कोसगाई मंदिर, कबीर कुटी, मस्जिद आदि देखने योग्य स्थल हैं।
सामान्य ज्ञान – पर्यावरण
लेखिका – श्रीमती सुचिता साहू
पर्यावरण शब्द का निर्माण ‘परि’ और ‘आवरण’ से मिलकर हुआ है. परि का मतलब है हमारे आसपास, और आवरण का मतलब है जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है. इसका अर्थ हुआ कि पार्यवरण हमारे जीवन को प्रभावित करने वाली सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं को कहते हैं. यह हमारे चारों ओर व्यावप्त है और हमारे जीवन को प्रभावित करता है. मनुष्यों व्दारा की जाने वाली क्रियाएं भी पर्यावरण को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं. पर्यवरण और मावन का संबंध बहुत महत्वपूर्ण है.
मानव हस्तक्षेप के आधार पर पर्यावरण को दो भागों में बांटा जा सकता है. पहला है, प्राकृतिक पर्यावरण और दूसरा है मानव निर्मित पर्यावरण. आज मानव के हस्त्क्षेप के कारण विभिन्न पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न. हो गई हैं जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन आदि. इन समस्याओं के कारण मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा है. यह समस्याएं अब हमें अपनी जीवन शैली के बारे में पुर्नविचार के लिये प्रेरित कर रही हैं. पर्यावरण संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता से अब सभी सहमत हैं.