चित्र देखकर कहानी लिखो

पिछले अंक में हमने आपको कहानी लिखने के लिए कु. दिलेश्वशरी पाल का बनाया यह चित्र दिया था –

इस चित्र पर जो कहानियां प्राप्त हुई हैं उन्हें हम नीचे प्रकाशित कर रहे हैं –

मेरी चित्रकार बिटिया

लेखक - रामनारायण प्रधान उ.व.शि.पूर्व मा.शाला कोथारी

एक शिक्षक हर छात्र को उसके जन्मदिन पर सामने बुलाकर और कक्षा के सभी बच्चों के साथ हैप्पीबर्थडे गाकर शुभकामना देते थे. एक दिन शिक्षक के कक्षा में प्रवेश करते ही सभी बच्चे समवेत स्वर में हैप्पी बर्थडे गाने लगे. आज शिक्षक का जन्मदिन था. सभी बच्चे फूल, पेन आदि गिफ्ट देने लगे. तभी एक छात्रा ने शर्माते हुए एक चार्ट पेपर दि‍या. शिक्षक ने जब उसे खोलकर देखा तो भावविभोर हो गये. आंखें भर आईं. चार्ट मे एक ओर शिक्षक को पेंटिंग बोर्ड पर चित्र बनाते दिखाया गया था. दूसरी ओर दौड़ते हुए घोड़े का चित्र था. आसमान में पक्षियों और बादलों को उन्मुक्त भाव से उड़ते हुए दर्शाया गया था. दाहिने किनारे पर सूर्य अभी उदय हुआ ही हुआ था. पूरा दृश्य शिक्षक को प्रकृति के समान निःस्वार्थ भाव से सेवा करने की शुभकामनाएं देता दिखाई दे रहा था. शिक्षक संभलते हुए दीपिका को सामने बुलाकर धन्यवाद कहा. सभी बच्चे भी भावुक हो गये.

शिक्षक ने चित्रकला, साहित्य लेखन, हस्तकला, खेलकूद आदि का महत्व बताते हुए सहसंज्ञनात्मक क्षेत्र में सभी को भाग लेने के लिए प्रेरित किये. शिक्षक ने कहा कि सभी बच्चों को इस दृश्य को देखकर एक कहानी लिखकर लाना है. श्रेष्ठ रचना लाने वाले को और दीपिका को स्वतंत्रता दिवस पर उचित ईनाम और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जायेगा.

कुछ दिन बाद ऊर्जा मंत्रालय व्दारा ऊर्जा संरक्षण पर चित्रकला प्रतियोगिता हुई. दीपिका पूरे विद्यालय में प्रथम आई. सभी ने दीपिका को शुभकामनाएं दीं. शिक्षक का प्रोत्साहन बच्चों के लिए मार्गदर्शन का काम करता है. शिक्षक अपनी क्षमता से कठिन विषय को भी सरल बना देते हैं.

जादुई पेंसिल

लेखिका – कु. अंजुला रीना, कक्षा आठवीं

एक वैभव नाम का पेंटर था. वह हमेशा पेंटिंग करता था, पर उसके पास वह सारी चीजें नहीं थी जिसकी उसे जरूरत होती थी. वह अपनी कॉपी में ही तस्वीरें पेंसि‍ल से बनाता था. उसकी मां उसे हर खुशी देना चाहती थी, मगर उसके पास पैसे नहीं थे. वह जो कुछ थोड़ा बहुत कमाती, उस पैसे से राशन लाती थी. वैभव के पिता नहीं थे. वैभव धीरे-धीरे बड़ा होने लगा. उसकी मां अब बूढ़ी हो चुकी थी. वैभव पास के गांव में जाकर काम करता और शाम तक लौट आता था.

एक दिन रास्ते में उसे एक पेंसिल मिली. वह उसे घर ले आया. फिर वह अपनी पुरानी कॉपी को निकाल कर लाया और खाट पर बैठकर कॉपी पर चित्र बनाने लगा. उसने उस पेंसिल से एक चिड़िया बनायी. जैसे ही चित्र पूरा हुआ, उसमें से चिड़िया निकलकर साक्षात उसके सामने आ गई. यह देखकर वैभव हैरान रह गया. वैभव सवेरे फिर काम के लिए निकला. रास्ते में उसने एक दुकान से एक कोरा कागज लिया. वह जंगल में जाकर, उस कोरे कागज पर चित्र बनाने लगा. उसने एक घोड़ा, बादल, सूरज, चिड़िया, घास बनाये. चित्र बनते ही चित्र की सारी वस्तुएं तुरंत सामने आ गईं. वह एक बल्कि जादुई पेंसिल थी. अब वैभव जादूई पेंसिल से आपनी सब जरूरतें पूरी करने लगा. वह और लोगों की मदद भी करता था. कहते हैं आज भी वह पेंसिल उस घर में है. पर वहां अब कोई नहीं रहता. वह पेंसिल जमीन के नीचे दब गई है.

अब हम दिलकेश मधुकर जी का भेजा गया चित्र अगले अंक की कहानी लिखने के लिये दे रहे हैं. इस चित्र पर कहानी लिखकर जल्दी से dr.alokshukla@gmail.com पर भेज दो. सभी अच्छी कहानियां हम प्रकाशित करेंगे –

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