बालगीत

सारा जग रंगो से भरा

लेखिका – कविता कोरी

चलो करे रंगों का ज्ञान।
बच्चों इस पर देना ध्यान।।
आओ जाने रंग के भेद।
हंस का रंग होता है सफेद।।
हरी हरी होती है घास।
और नीला होता आकाश।।
लाल रक्त और काले बाल।
पीली पीली होती दाल।।
नारंगी रंग में रंगा संतरा।
स्वाद और सेहत से भरा।।
बैंगन बैंगनी रंग चढ़ाए।
नाचे कूदे पेट फुलाए।।
रंगों से नहाती ये धरा।
सारा जग है रंगो से भरा।।

बेटी हूँ मै

लेखिका - कु. साहिस्ता बेगम, कक्षा- 8वीं, पूर्व माध्यमिक शाला कोंटा सुकमा

पारस का पत्थर हूं,
एक अनमोल मोती हूँ मै,
बेटी हूँ मै.

घर की लक्ष्मी बनकर आई,
खुशियों की बारात मै लाई,
आँगन की रंगोली हूँ मैं,
बेटी हूँ मै.

सुख-दुःख में है साथ निभाया,
पंछी बन उड़ कर दिखलाया
प्रेम-प्यार की ज्योति हूँ मैं,
बेटी हूँ मै.

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