छत्तीसगढ़ी कहानी

लालच का फल

लेखिका - दीप्ति दीक्षित

एक गांव म एक झन किसान रहिस. ओखर बखरी मे गेहूं भूट्टा अउ किसम किसम के फल लगे रहिस. एक बार रात के ओ हा अपन बखरी म रखवारी करत रहिस त देखिस कि एक ठन घोड़ा जेखर मे पंख लगे हे, ते हा ओखर बखरी मे चरत हे. ओ घोड़ा हा अति सुघ्घर दिखत रहिस. किसान ह धिर लगा के ओखर कर गिस अउ ओखर पुछी ला धर लिस. घोड़ा डरागे ता किसान ओला पुछिस - ते कहां ले आये हस, अउ तोर मे पाखी काबर लगे हे. घोड़ा किहिस - मे राजा इंद्र के घोड़ा हो, अउ स्वर्ग म रहिथो. तोर बखरी ह बड़ सुघ्घर दिखीस. ता चरे बर आगे हो. किसान कहिथे - ओ सब तो ठीक हे, फेर मोला भी तोर संग स्वर्ग जाना हे. घोड़ा कहिथे ठिक हे फेर जब मे उड़ाहु, ततका जुवार ते मोर गोड़ ला धर लेबे, काबर के मोर पिठ मे तो केवल इंद्र देव ही बइठ सकत हे. ता ते मोर गोड़ ला धरबे. किसान तैयार हो गे अउ अब ओहा घोड़ा संग स्वर्ग पहुच गे. हा ओ देखिस की चारो तरफ महल सुंदर-सुंदर औरत मन बड़े बड़े लड्डू, समोसा, जलेबी, बरा, बोबरा, सोहारी हावे. दूसर दिन जब किसान अपन घर आथे ता ओखर गांव के मन ला बताथे - मे तो काली स्व र्ग गे रेहेव. कोनो ओखर बात ला नई पतियाये. ता किसान कहिथे - ठीक हे तुमन मोर बात ला नई पतियावत हो ना, तो आज रात के तहु मन ला घुमाहु. किसान कहिथे की जब मे हर घोड़ा के गोड़ ला धरहु ता तहु मन पारी पारी मोर गोड़ ला धरत जाहू. जैसे रात के घोड़ा हा चरे बर आथे सब किसान के बताये अनुसार ओखर गोड़ ला धरत जाथे. अब घोड़ा हा जइसने आधा बिच म पहुचे रहिथे एक झन मइनखे किसान ला पुछ परथे कि स्वर्ग के कतका बड़े बड़े लड्डू मिलथे. अउ किसान बपरा घलोक अपन हाथ ला फइला के बता परथे - अतका बड़े बड़े.

अब ओखर बाद का होइस होही लइका मन तुमन बताओ?

एखरे सेती केहे गे हे कि लालच के फल हा बुरा होथे।

प्रश्ने 1 - घोड़ा कहा ले आये रहिस?

प्रश्ने 2 - किसान के बारी मा का का रहिस?

प्रश्ने 3 - किसान स्वर्ग म का का देखिस?

प्रश्ने 4 - मइनखे हा उड़ात खानी किसान ले का पुछिस?

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